014-001 अलिफ़ लाम रा ऐ रसूल ये (क़ुरान वह) किताब है जिसकों हमने तुम्हारे पास इसलिए नाज़िल किया है कि तुम लोगों को परवरदिगार के हुक्म से (कुफ्र की) तारीकी से (ईमान की) रौशनी में निकाल लाओ ग़रज़ उसकी राह पर लाओ जो सब पर ग़ालिब और सज़ावार हम्द है
Al-Lahi Al-Ladhī Lahu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi ۗ Wa Waylun Lilkāfirīna Min `AdhābinShadīdin
014-002 वह ख़ुदा को कुछ आसमानों में और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और (आख़िरत में) काफिरों को लिए जो सख्त अज़ाब (मुहय्या किया गया) है अफसोस नाक है
Al-Ladhīna Yastaĥibbūna Al-Ĥayāata Ad-Dunyā `Alá Al-'Ākhirati Wa Yaşuddūna `An Sabīli Allāhi Wa Yabghūnahā `Iwajāan ۚ 'Ūlā'ika Fī Đalālin Ba`īdin
014-003 वह कुफ्फार जो दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी को आख़िरत पर तरजीह देते हैं और (लोगों) को ख़ुदा की राह (पर चलने) से रोकते हैं और इसमें ख्वाह मा ख्वाह कज़ी पैदा करना चाहते हैं यही लोग बड़े पल्ले दर्जे की गुमराही में हैं
Wa Mā 'Arsalnā MinRasūlin 'Illā Bilisāni Qawmihi Liyubayyina Lahum ۖ Fayuđillu Allāhu Man Yashā'u Wa Yahdī Man Yashā'u ۚ Wa Huwa Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
014-004 और हमने जब कभी कोई पैग़म्बर भेजा तो उसकी क़ौम की ज़बान में बातें करता हुआ (ताकि उसके सामने (हमारे एहक़ाम) बयान कर सके तो यही ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिस की चाहता है हिदायत करता है वही सब पर ग़ालिब हिकमत वाला है
Wa Laqad 'Arsalnā Mūsá Bi'āyātinā 'An 'AkhrijQawmaka Mina Až-Žulumāti 'Ilá An-Nūri Wa Dhakkirhum Bi'ayyāmi Allāhi ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyātin Likulli ŞabbārinShakūrin
014-005 और हमने मूसा को अपनी निशानियाँ देकर भेजा (और ये हुक्म दिया) कि अपनी क़ौम को (कुफ्र की) तारिकियों से (ईमान की) रौशनी में निकाल लाओ और उन्हें ख़ुदा के (वह) दिन याद दिलाओ (जिनमें ख़ुदा की बड़ी बड़ी कुदरतें ज़ाहिर हुई) इसमें शक़ नहीं इसमें तमाम सब्र शुक्र करने वालों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
Wa 'IdhQāla Mūsá Liqawmihi Adhkurū Ni`mata Allāhi `Alaykum 'Idh 'Anjākum Min 'Āli Fir`awna Yasūmūnakum Sū'a Al-`Adhābi Wa Yudhabbiĥūna 'Abnā'akum Wa Yastaĥyūna Nisā'akum ۚ Wa Fī Dhālikum Balā'un MinRabbikum `Ažīmun
014-006 और वह (वक्त याद दिलाओ) जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ख़ुदा ने जो एहसान तुम पर किए हैं उनको याद करो जब अकेले तुमको फिरऔन के लोगों (के ज़ुल्म) से नजात दी कि वह तुम को बहुत बड़े बड़े दुख दे के सताते थे तुम्हारा लड़कों को जबाह कर डालते थे और तुम्हारी औरतों को (अपनी ख़िदमत के वास्ते) जिन्दा रहने देते थे और इसमें तुम्हारा परवरदिगार की तरफ से (तुम्हारा सब्र की) बड़ी (सख्त) आज़माइश थी
Wa 'Idh Ta'adhdhana Rabbukum La'inShakartum La'azīdannakum ۖ Wa La'in Kafartum 'Inna `Adhābī Lashadīdun
014-007 और (वह वक्त याद दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें जता दिया कि अगर (मेरा) शुक्र करोगें तो मै यक़ीनन तुम पर (नेअमत की) ज्यादती करुँगा और अगर कहीं तुमने नाशुक्री की तो (याद रखो कि) यक़ीनन मेरा अज़ाब सख्त है
Wa Qāla Mūsá 'In Takfurū 'Antum Wa Man Fī Al-'Arđi Jamī`āan Fa'inna Allāha Laghanīyun Ĥamīdun
014-008 और मूसा ने (अपनी क़ौम से) कह दिया कि अगर और (तुम्हारे साथ) जितने रुए ज़मीन पर हैं सब के सब (मिलकर भी ख़ुदा की) नाशुक्री करो तो ख़ुदा (को ज़रा भी परवाह नहीं क्योंकि वह तो बिल्कुल) बे नियाज़ है
'Alam Ya'tikum Naba'u Al-Ladhīna MinQablikumQawmi Nūĥin Wa `Ādin Wa Thamūda Wa ۛ Al-Ladhīna Min Ba`dihim ۛ Lā Ya`lamuhum 'Illā Al-Lahu ۚ Jā'at/humRusuluhum Bil-Bayyināti Faraddū 'Aydiyahum Fī 'Afwāhihim Wa Qālū 'Innā Kafarnā Bimā 'Ursiltum Bihi Wa 'Innā Lafī Shakkin Mimmā Tad`ūnanā 'Ilayhi Murībin
014-009 और हम्द है क्या तुम्हारे पास उन लोगों की ख़बर नहीं पहुँची जो तुमसे पहले थे (जैसे) नूह की क़ौम और आद व समूद और (दूसरे लोग) जो उनके बाद हुए (क्योकर ख़बर होती) उनको ख़ुदा के सिवा कोई जानता ही नहीं उनके पास उनके (वक्त क़े) पैग़म्बर मौजिज़े लेकर आए (और समझाने लगे) तो उन लोगों ने उन पैग़म्बरों के हाथों को उनके मुँह पर उलटा मार दिया और कहने लगे कि जो (हुक्म लेकर) तुम ख़ुदा की तरफ से भेजे गए हो हम तो उसको नहीं मानते और जिस (दीन) की तरफ तुम हमको बुलाते हो बड़े गहरे शक़ में पड़े है
014-010 (तब) उनके पैग़म्बरों ने (उनसे) कहा क्या तुम को ख़ुदा के बारे में शक़ है जो सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (और) वह तुमको अपनी तरफ बुलाता भी है तो इसलिए कि तुम्हारे गुनाह माफ कर दे और एक वक्त मुक़र्रर तक तुमको (दुनिया में चैन से) रहने दे वह लोग बोल उठे कि तुम भी बस हमारे ही से आदमी हो (अच्छा) अब समझे तुम ये चाहते हो कि जिन माबूदों की हमारे बाप दादा परसतिश करते थे तुम हमको उनसे बाज़ रखो अच्छा अगर तुम सच्चे हो तो कोई साफ खुला हुआ सरीही मौजिज़ा हमे ला दिखाओ
Qālat LahumRusuluhum 'In Naĥnu 'Illā Basharun Mithlukum Wa Lakinna Allāha Yamunnu `Alá Man Yashā'u Min `Ibādihi ۖ Wa Mā Kāna Lanā 'An Na'tiyakum Bisulţānin 'Illā Bi'idhni Allāhi ۚ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mu'uminūna
014-011 उनके पैग़म्बरों ने उनके जवाब में कहा कि इसमें शक़ नहीं कि हम भी तुम्हारे ही से आदमी हैं मगर ख़ुदा अपने बन्दों में जिस पर चाहता है अपना फज़ल (व करम) करता है (और) रिसालत अता करता है और हमारे एख्तियार मे ये बात नही कि बे हुक्मे ख़ुदा (तुम्हारी फरमाइश के मुवाफिक़) हम कोई मौजिज़ा तुम्हारे सामने ला सकें और ख़ुदा ही पर सब ईमानदारों को भरोसा रखना चाहिए
Wa Mā Lanā 'Allā Natawakkala `Alá Allāhi Wa Qad Hadānā Subulanā ۚ Wa Lanaşbiranna `Alá Mā 'Ādhaytumūnā ۚ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mutawakkilūna
014-012 और हमें (आख़िर) क्या है कि हम उस पर भरोसा न करें हालॉकि हमे (निजात की) आसान राहें दिखाई और जो तूने अज़ियतें हमें पहुँचाइ (उन पर हमने सब्र किया और आइन्दा भी सब्र करेगें और तवक्कल भरोसा करने वालो को ख़ुदा ही पर तवक्कल करना चाहिए
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū Lirusulihim Lanukhrijannakum Min 'Arđinā 'Aw Lata`ūdunna Fī Millatinā ۖ Fa'awĥá 'IlayhimRabbuhum Lanuhlikanna Až-Žālimīna
014-013 और जिन लोगों नें कुफ्र एख्तियार किया था अपने (वक्त क़े) पैग़म्बरों से कहने लगे हम तो तुमको अपनी सरज़मीन से ज़रुर निकाल बाहर कर देगें यहाँ तक कि तुम फिर हमारे मज़हब की तरफ पलट आओ-तो उनके परवरदिगार ने उनकी तरफ वही भेजी कि तुम घबराओं नहीं हम उन सरकश लोगों को ज़रुर बर्बाद करेगें
Wa Lanuskinannakumu Al-'Arđa Min Ba`dihim ۚ Dhālika Liman Khāfa Maqāmī Wa Khāfa Wa`īdi
014-014 और उनकी हलाकत के बाद ज़रुर तुम्ही को इस सरज़मीन में बसाएगें ये (वायदा) महज़ उस शख़्श से जो हमारी बारगाह में (आमाल की जवाब देही में) खड़े होने से डरे
Yatajarra`uhu Wa Lā Yakādu Yusīghuhu Wa Ya'tīhi Al-Mawtu Min Kulli Makānin Wa Mā Huwa Bimayyitin ۖ Wa Min Warā'ihi `Adhābun Ghalīžun
014-017 (ज़बरदस्ती) उसे घूँट घँट करके पीना पड़ेगा और उसे हलक़ से आसानी से न उतार सकेगा और (वह मुसीबत है कि) उसे हर तरफ से मौत ही मौत आती दिखाई देती है हालॉकि वह मारे न मर सकेगा-और फिर उसके पीछे अज़ाब सख्त होगा
014-018 जो लोग अपने परवरदिगार से काफिर हो बैठे हैं उनकी मसल ऐसी है कि उनकी कारस्तानियाँ गोया (राख का एक ढेर) है जिसे (अन्धड़ के रोज़ हवा का बड़े ज़ोरों का झोंका उड़ा लेगा जो कुछ उन लोगों ने (दुनिया में) किया कराया उसमें से कुछ भी उनके क़ाबू में न होगा यही तो पल्ले दर्जे की गुमराही है
Wa Barazū Lillāh Jamī`āan Faqāla Ađ-Đu`afā'u Lilladhīna Astakbarū 'Innā Kunnā Lakum Taba`āan Fahal 'Antum Mughnūna `Annā Min `Adhābi Allāhi MinShay'in ۚ Qālū Law Hadānā Al-Lahu Lahadaynākum ۖ Sawā'un `Alaynā 'Ajazi`nā 'AmŞabarnā Mā Lanā Min Maĥīşin
014-021 और (क़यामत के दिन) लोग सबके सब ख़ुदा के सामने निकल खड़े होगें जो लोग (दुनिया में कमज़ोर थे बड़ी इज्ज़त रखने वालो से (उस वक्त) क़हेंगें कि हम तो बस तुम्हारे क़दम ब क़दम चलने वाले थे तो क्या (आज) तुम ख़ुदा के अज़ाब से कुछ भी हमारे आड़े आ सकते हो वह जवाब देगें काश ख़ुदा हमारी हिदायत करता तो हम भी तुम्हारी हिदायत करते हम ख्वाह बेक़रारी करें ख्वाह सब्र करे (दोनो) हमारे लिए बराबर है (क्योंकि अज़ाब से) हमें तो अब छुटकारा नहीं
Wa Qāla Ash-Shayţānu Lammā Quđiya Al-'Amru 'Inna Allāha Wa`adakum Wa`da Al-Ĥaqqi Wa Wa`adtukum Fa'akhlaftukum ۖ Wa Mā Kāna Lī `Alaykum Min Sulţānin 'Illā 'An Da`awtukum Fāstajabtum Lī ۖ Falā Talūmūnī Wa Lūmū 'Anfusakum ۖ Mā 'Anā Bimuşrikhikum Wa Mā 'Antum Bimuşrikhīya ۖ 'Innī Kafartu Bimā 'Ashraktumūnī MinQablu ۗ 'Inna Až-Žālimīna Lahum `Adhābun 'Alīmun
014-022 और जब (लोगों का) ख़ैर फैसला हो चुकेगा (और लोग शैतान को इल्ज़ाम देगें) तो शैतान कहेगा कि ख़ुदा ने तुम से सच्चा वायदा किया था (तो वह पूरा हो गया) और मैने भी वायदा तो किया था फिर मैने वायदा ख़िलाफ़ी की और मुझे कुछ तुम पर हुकूमत तो थी नहीं मगर इतनी बात थी कि मैने तुम को (बुरे कामों की तरफ) बुलाया और तुमने मेरा कहा मान लिया तो अब तुम मुझे बुंरा (भला) न कहो बल्कि (अगर कहना है तो) अपने नफ्स को बुरा कहो (आज) न तो मैं तुम्हारी फरियाद को पहुँचा सकता हूँ और न तुम मेरी फरियाद कर सकते हो मै तो उससे पहले ही बेज़ार हूँ कि तुमने मुझे (ख़ुदा का) शरीक बनाया बेशक जो लोग नाफरमान हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
Wa 'Udkhila Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā Bi'idhni Rabbihim ۖ Taĥīyatuhum Fīhā Salāmun
014-023 और जिन लोगों ने (सदक़ दिल से) ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए वह (बेहश्त के) उन बाग़ों में दाख़िल किए जाएँगें जिनके नीचे नहरे जारी होगी और वह अपने परवरदिगार के हुक्म से हमेशा उसमें रहेगें वहाँ उन (की मुलाक़ात) का तोहफा सलाम का हो
014-024 (ऐ रसूल) क्या तुमने नहीं देखा कि ख़ुदा ने अच्छी बात (मसलन कलमा तौहीद की) वैसी अच्छी मिसाल बयान की है कि (अच्छी बात) गोया एक पाकीज़ा दरख्त है कि उसकी जड़ मज़बूत है और उसकी टहनियाँ आसमान में लगी हो
Wa Mathalu Kalimatin Khabīthatin Kashajaratin Khabīthatin Ajtuththat Min Fawqi Al-'Arđi Mā Lahā MinQarārin
014-026 और गन्दी बात (जैसे कलमाए शिर्क) की मिसाल गोया एक गन्दे दरख्त की सी है (जिसकी जड़ ऐसी कमज़ोर हो) कि ज़मीन के ऊपर ही से उखाड़ फेंका जाए (क्योंकि) उसको कुछ ठहराओ तो है नहीं
Yuthabbitu Allāhu Al-Ladhīna 'Āmanū Bil-Qawli Ath-Thābiti Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Fī Al-'Ākhirati ۖ Wa Yuđillu Allāhu Až-Žālimīna ۚ Wa Yaf`alu Allāhu Mā Yashā'u
014-027 जो लोग पक्की बात (कलमा तौहीद) पर (सदक़ दिल से ईमान ला चुके उनको ख़ुदा दुनिया की ज़िन्दगी में भी साबित क़दम रखता है और आख़िरत में भी साबित क़दम रखेगा (और) उन्हें सवाल व जवाब में कोई वक्त न होगा और सरकशों को ख़ुदा गुमराही में छोड़ देता है और ख़ुदा जो चाहता है करता है
014-028 (ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर ग़ौर नहीं किया जिन्होंने मेरे एहसान के बदले नाशुक्री की एख्तियार की और अपनी क़ौम को हलाकत के घरवाहे (जहन्नुम) में झोंक दिया
014-030 और वह लोग दूसरो को ख़ुदा का हमसर (बराबर) बनाने लगे ताकि (लोगों को) उसकी राह से बहका दे (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (ख़ैर चन्द रोज़ तो) चैन कर लो फिर तो तुम्हें दोज़ख की तरफ लौट कर जाना ही है
Qul Li`ibādiya Al-Ladhīna 'Āmanū Yuqīmū Aş-Şalāata Wa Yunfiqū Mimmā Razaqnāhum Sirrāan Wa `Alāniyatan MinQabli 'An Ya'tiya Yawmun Lā Bay`un Fīhi Wa Lā Khilālun
014-031 (ऐ रसूल) मेरे वह बन्दे जो ईमान ला चुके उन से कह दो कि पाबन्दी से नमाज़ पढ़ा करें और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी है उसमें से (ख़ुदा की राह में) छिपाकर या दिखा कर ख़र्च किया करे उस दिन (क़यामत) के आने से पहल जिसमें न तो (ख़रीदो) फरोख्त ही (काम आएगी) न दोस्ती मोहब्बत काम (आएगी)
Al-Lahu Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Wa 'Anzala Mina As-Samā'i Mā'an Fa'akhraja Bihi Mina Ath-Thamarāti Rizqāan Lakum ۖ Wa Sakhkhara Lakumu Al-Fulka Litajriya Fī Al-Baĥri Bi'amrihi ۖ Wa Sakhkhara Lakumu Al-'Anhāra
014-032 ख़ुदा ही ऐसा (क़ादिर तवाना) है जिसने सारे आसमान व ज़मीन पैदा कर डाले और आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिए से (मुख्तलिफ दरख्तों से) तुम्हारी रोज़ा के वास्ते (तरह तरह) के फल पैदा किए और तुम्हारे वास्ते कश्तियां तुम्हारे बस में कर दी-ताकि उसके हुक्म से दरिया में चलें और तुम्हारे वास्ते नदियों को तुम्हारे एख्तियार में कर दिया
Wa 'Ātākum Min Kulli Mā Sa'altumūhu ۚ Wa 'In Ta`uddū Ni`mata Allāhi Lā Tuĥşūhā ۗ 'Inna Al-'Insāna Lažalūmun Kaffārun
014-034 (और अपनी ज़रुरत के मुवाफिक) जो कुछ तुमने उससे माँगा उसमें से (तुम्हारी ज़रूरत भर) तुम्हे दिया और तुम ख़ुदा की नेमतो गिनती करना चाहते हो तो गिन नहीं सकते हो तू बड़ा बे इन्साफ नाशुक्रा है
Wa 'IdhQāla 'Ibrāhīmu Rabbi Aj`al Hādhā Al-Balada 'Āmināan Wa Ajnubnī Wa Banīya 'An Na`buda Al-'Aşnāma
014-035 और (वह वक्त याद करो) जब इबराहीम ने (ख़ुदा से) अर्ज़ की थी कि परवरदिगार इस शहर (मक्के) को अमन व अमान की जगह बना दे और मुझे और मेरी औलाद को इस बात को बचा ले कि बुतों की परसतिश करने लगे
Rabbi 'Innahunna 'Ađlalna Kathīrāan Mina An-Nāsi ۖ Faman Tabi`anī Fa'innahu Minnī ۖ Wa Man `Aşānī Fa'innaka GhafūrunRaĥīmun
014-036 ऐ मेरे पालने वाले इसमें शक़ नहीं कि इन बुतों ने बहुतेरे लोगों को गुमराह बना छोड़ा तो जो शख़्श मेरी पैरवी करे तो वह मुझ से है और जिसने मेरी नाफ़रमानी की (तो तुझे एख्तेयार है) तू तो बड़ा बख्शने वपला मेहरबान है)
Rabbanā 'Innī 'Askantu MinDhurrīyatī Biwādin Ghayri Dhī Zar`in `Inda Baytika Al-Muĥarrami Rabbanā Liyuqīmū Aş-Şalāata Fāj`al 'Af'idatan Mina An-Nāsi Tahwī 'Ilayhim Wa Arzuqhum Mina Ath-Thamarāti La`allahum Yashkurūna
014-037 ऐ हमारे पालने वाले मैने तेरे मुअज़िज़ (इज्ज़त वाले) घर (काबे) के पास एक बेखेती के (वीरान) बियाबान (मक्का) में अपनी कुछ औलाद को (लाकर) बसाया है ताकि ऐ हमारे पालने वाले ये लोग बराबर यहाँ नमाज़ पढ़ा करें तो तू कुछ लोगों के दिलों को उनकी तरफ माएल कर (ताकि वह यहाँ आकर आबाद हों) और उन्हें तरह तरह के फलों से रोज़ी अता कर ताकि ये लोग (तेरा) शुक्र करें
Rabbanā 'Innaka Ta`lamu Mā Nukhfī Wa Mā Nu`linu ۗ Wa Mā Yakhfá `Alá Allāhi MinShay'in Fī Al-'Arđi Wa Lā Fī As-Samā'i
014-038 ऐ हमारे पालने वाले जो कुछ हम छिपाते हैं और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं तू (सबसे) खूब वाक़िफ है और ख़ुदा से तो कोई चीज़ छिपी नहीं (न) ज़मीन में और न आसमान में उस ख़ुदा का (लाख लाख) शुक्र है
014-042 और जो कुछ ये कुफ्फ़ार (कुफ्फ़ारे मक्का) किया करते हैं उनसे ख़ुदा को ग़ाफिल न समझना (और उन पर फौरन अज़ाब न करने की) सिर्फ ये वजह है कि उस दिन तक की मोहलत देता है जिस दिन लोगों की ऑंखों के ढेले (ख़ौफ के मारे) पथरा जाएँगें
Wa 'Andhiri An-Nāsa Yawma Ya'tīhimu Al-`Adhābu Fayaqūlu Al-Ladhīna Žalamū Rabbanā 'Akhkhirnā 'Ilá 'AjalinQarībin Nujib Da`wataka Wa Nattabi`i Ar-Rusula ۗ 'Awalam Takūnū 'Aqsamtum MinQablu Mā Lakum Min Zawālin
014-044 और (ऐ रसूल) लोगों को उस दिन से डराओ (जिस दिन) उन पर अज़ाब नाज़िल होगा तो जिन लोगों ने नाफरमानी की थी (गिड़गिड़ा कर) अर्ज़ करेगें कि ऐ हमारे पालने वाले हम को थोड़ी सी मोहलत और दे दे (अबकी बार) हम तेरे बुलाने पर ज़रुर उठ खड़े होगें और सब रसूलों की पैरवी करेगें (तो उनको जवाब मिलेगा) क्या तुम वह लोग नहीं हो जो उसके पहले (उस पर) क़समें खाया करते थे कि तुम को किसी तरह का ज़व्वाल (नुक्सान) नहीं
Wa Sakantum Fī Masākini Al-Ladhīna Žalamū 'Anfusahum Wa Tabayyana Lakum Kayfa Fa`alnā Bihim Wa Đarabnā Lakumu Al-'Amthāla
014-045 (और क्या तुम वह लोग नहीं कि) जिन लोगों ने (हमारी नाफ़रमानी करके) आप अपने ऊपर जुल्म किया उन्हीं के घरों में तुम भी रहे हालॉकि तुम पर ये भी ज़ाहिर हो चुका था कि हमने उनके साथ क्या (बरताओ) किया और हमने (तुम्हारे समझाने के वास्ते) मसले भी बयान कर दी थीं
Wa Qad Makarū Makrahum Wa `Inda Allāhi Makruhum Wa 'In Kāna Makruhum Litazūla Minhu Al-Jibālu
014-046 और वह लोग अपनी चालें चलते हैं (और कभी बाज़ न आए) हालॉकि उनकी सब हालतें खुदा की नज़र में थी और अगरचे उनकी मक्कारियाँ (उस गज़ब की) थीं कि उन से पहाड़ (अपनी जगह से) हट जाये
Yawma Tubaddalu Al-'Arđu Ghayra Al-'Arđi Wa As-Samāwātu ۖ Wa Barazū Lillāh Al-Wāĥidi Al-Qahhāri
014-048 (मगर कब) जिस दिन ये ज़मीन बदलकर दूसरी ज़मीन कर दी जाएगी और (इसी तरह) आसमान (भी बदल दिए जाएँगें) और सब लोग यकता क़हार (ज़बरदस्त) ख़ुदा के रुबरु (अपनी अपनी जगह से) निकल खड़े होगें
Hādhā Balāghun Lilnnāsi Wa Liyundharū Bihi Wa Liya`lamū 'Annamā Huwa 'Ilahun Wāĥidun Wa Liyadhdhakkara 'Ūlū Al-'Albābi
014-052 ये (क़ुरान) लोगों के लिए एक क़िस्म की इत्तेला (जानकारी) है ताकि लोग उसके ज़रिये से (अज़ाबे ख़ुदा से) डराए जाए और ताकि ये भी ये यक़ीन जान लें कि बस वही (ख़ुदा) एक माबूद है और ताकि जो लोग अक्ल वाले हैं नसीहत व इबरत हासिल करें