'Alif-Lām-Mīm-Rā ۚ Tilka 'Āyātu Al-Kitābi Wa ۗ Al-Ladhī 'Unzila 'Ilayka MinRabbika Al-Ĥaqqu Wa Lakinna 'Akthara An-Nāsi Lā Yu'uminūna
013-001 अलिफ़ लाम मीम रा ये किताब (क़ुरान) की आयतें है और तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से जो कुछ तुम्हारे पास नाज़िल किया गया है बिल्कुल ठीक है मगर बहुतेरे लोग ईमान नहीं लाते
013-002 ख़ुदा वही तो है जिसने आसमानों को जिन्हें तुम देखते हो बग़ैर सुतून (खम्बों) के उठाकर खड़ा कर दिया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और सूरज और चाँद को (अपना) ताबेदार बनाया कि हर एक वक्त मुक़र्ररा तक चला करते है वही (दुनिया के) हर एक काम का इन्तेज़ाम करता है और इसी ग़रज़ से कि तुम लोग अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करो
Wa Huwa Al-Ladhī Madda Al-'Arđa Wa Ja`ala Fīhā Rawāsiya Wa 'Anhārāan ۖ Wa Min Kulli Ath-Thamarāti Ja`ala Fīhā Zawjayni Athnayni ۖ Yughshī Al-Layla An-Nahāra ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyātin Liqawmin Yatafakkarūna
013-003 (अपनी) आयतें तफसीलदार बयान करता है और वह वही है जिसने ज़मीन को बिछाया और उसमें (बड़े बड़े) अटल पहाड़ और दरिया बनाए और उसने हर तरह के मेवों की दो दो किस्में पैदा की (जैसे खट्टे मीठे) वही रात (के परदे) से दिन को ढाक देता है इसमें शक़ नहीं कि जो लोग और ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं
Wa Fī Al-'Arđi Qiţa`un Mutajāwirātun Wa Jannātun Min 'A`nābin Wa Zar`un Wa NakhīlunŞinwānun Wa GhayruŞinwānin Yusqá Bimā'in Wāĥidin Wa Nufađđilu Ba`đahā `Alá Ba`đin Fī Al-'Ukuli ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyātin Liqawmin Ya`qilūna
013-004 और खुरमों (खजूर) के दरख्त की एक जड़ और दो याखें और बाज़ अकेला (एक ही याख़ का) हालॉकि सब एक ही पानी से सीचे जाते हैं और फलों में बाज़ को बाज़ पर हम तरजीह देते हैं बेशक जो लोग अक़ल वाले हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं
013-005 और अगर तुम्हें (किसी बात पर) ताज्जुब होता है तो उन कुफ्फारों को ये क़ौल ताज्जुब की बात है कि जब हम (सड़गल कर) मिट्टी हो जाएंगें तो क्या हम (फिर दोबारा) एक नई जहन्नुम में आंऎंगें ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार के साथ कुफ्र किया और यही वह लोग हैं जिनकी गर्दनों में (क़यामत के दिन) तौक़ पड़े होगें और यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये इसमें हमेशा रहेगें
Wa Yasta`jilūnaka Bis-Sayyi'ati Qabla Al-Ĥasanati Wa QadKhalat MinQablihimu Al-Mathulātu ۗ Wa 'Inna Rabbaka Ladhū Maghfiratin Lilnnāsi `Alá Žulmihim ۖ Wa 'Inna Rabbaka Lashadīdu Al-`Iqābi
013-006 और (ऐ रसूल) ये लोग तुम से भलाई के क़ब्ल ही बुराई (अज़ाब) की जल्दी मचा रहे हैं हालॉकि उनके पहले (बहुत से लोगों की) सज़ाएं हो चुकी हैं और इसमें शक़ नहीं की तुम्हारा परवरदिगार बावजूद उनकी शरारत के लोगों पर बड़ा बख़शिश (करम) वाला है और इसमें भी शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सख्त अज़ाब वाला है
Wa Yaqūlu Al-Ladhīna Kafarū Lawlā 'Unzila `Alayhi 'Āyatun MinRabbihi~ ۗ 'Innamā 'Anta Mundhirun ۖ Wa Likulli Qawmin Hādin
013-007 और वो लोग काफिर हैं कहते हैं कि इस शख़्श (मोहम्मद) पर उसके परवरदिगार की तरफ से कोई निशानी (हमारी मर्ज़ी के मुताबिक़) क्यों नहीं नाज़िल की जाती ऐ रसूल तुम तो सिर्फ (ख़ौफे ख़ुदा से) डराने वाले हो
Al-Lahu Ya`lamu Mā Taĥmilu Kullu 'Unthá Wa Mā Taghīđu Al-'Arĥāmu Wa Mā Tazdādu ۖ Wa Kullu Shay'in `Indahu Bimiqdārin
013-008 और हर क़ौम के लिए एक हिदायत करने वाला है हर मादा जो कि पेट में लिए हुए है और उसको ख़ुदा ही जानता है व बच्चा दानियों का घटना बढ़ना (भी वही जानता है) और हर चीज़ उसके नज़दीक़ एक अन्दाजे से है
Sawā'un Minkum Man 'Asarra Al-Qawla Wa Man Jahara Bihi Wa Man Huwa Mustakhfin Bil-Layli Wa Sāribun Bin-Nahāri
013-010 तुम लोगों में जो कोई चुपके से बात कहे और जो शख़्श ज़ोर से पुकार के बोले और जो शख़्श रात की तारीक़ी (अंधेरे) में छुपा बैठा हो और जो शख़्श दिन दहाडें चला जा रहा हो
Lahu Mu`aqqibātun Min Bayni Yadayhi Wa Min Khalfihi Yaĥfažūnahu Min 'Amri Allāhi ۗ 'Inna Allāha Lā Yughayyiru Mā Biqawmin Ĥattá Yughayyirū Mā Bi'anfusihim ۗ Wa 'Idhā 'Arāda Allāhu Biqawmin Sū'āan Falā Maradda Lahu ۚ Wa Mā Lahum Min Dūnihi Min Wa A-
013-011 (उसके नज़दीक) सब बराबर हैं (आदमी किसी हालत में हो मगर) उस अकेले के लिए उसके आगे उसके पीछे उसके निगेहबान (फरिश्ते) मुक़र्रर हैं कि उसको हुक्म ख़ुदा से हिफाज़त करते हैं जो (नेअमत) किसी क़ौम को हासिल हो बेशक वह लोग खुद अपनी नफ्सानी हालत में तग्य्युर न डालें ख़ुदा हरगिज़ तग्य्युर नहीं डाला करता और जब ख़ुदा किसी क़ौम पर बुराई का इरादा करता है तो फिर उसका कोई टालने वाला नहीं और न उसका उसके सिवा कोई वाली और (सरपरस्त) है
Wa Yusabbiĥu Ar-Ra`du Biĥamdihi Wa Al-Malā'ikatu Min Khīfatihi Wa Yursilu Aş-Şawā`iqa Fayuşību Bihā Man Yashā'u Wa Hum Yujādilūna Fī Al-Lahi Wa Huwa Shadīdu Al-Miĥāli
013-013 और ग़र्ज और फरिश्ते उसके ख़ौफ से उसकी हम्दो सना की तस्बीह किया करते हैं वही (आसमान से) बिजलियों को भेजता है फिर उसे जिस पर चाहता है गिरा भी देता है और ये लोग ख़ुदा के बारे में (ख्वामाख्वाह) झगड़े करते हैं हालॉकि वह बड़ा सख्त क़ूवत वाला है
Lahu Da`watu Al-Ĥaqqi Wa ۖ Al-Ladhīna Yad`ūna Min Dūnihi Lā Yastajībūna Lahum Bishay'in 'Illā Kabāsiţi Kaffayhi 'Ilá Al-Mā'i Liyablugha Fāhu Wa Mā Huwa Bibālighihi ۚ Wa Mā Du`ā'u Al-Kāfirīna 'Illā Fī Đalālin
013-014 (मुसीबत के वक्त) उसी का (पुकारना) ठीक पुकारना है और जो लोग उसे छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो उनकी कुछ सुनते तक नहीं मगर जिस तरह कोई शख़्श (बग़ैर उंगलियां मिलाए) अपनी दोनों हथेलियाँ पानी की तरफ फैलाए ताकि पानी उसके मुँह में पहुँच जाए हालॉकि वह किसी तरह पहुँचने वाला नहीं और (इसी तरह) काफिरों की दुआ गुमराही में (पड़ी बहकी फिरा करती है)
Wa Lillāh Yasjudu Man Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Ţaw`āan Wa Karhāan Wa Žilāluhum Bil-Ghudūwi Wa Al-'Āşāli
013-015 और आसमानों और ज़मीन में (मख़लूक़ात से) जो कोई भी है खुशी से या ज़बरदस्ती सब (अल्लाह के आगे सर बसजूद हैं और (इसी तरह) उनके साए भी सुबह व शाम (सजदा करते हैं) (15) (सजदा)
Qul ManRabbu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Quli Allāhu ۚ Qul 'Afāttakhadhtum Min Dūnihi~ 'Awliyā'a Lā Yamlikūna Li'nfusihim Naf`āan Wa Lā Đarrāan ۚ Qul Hal Yastawī Al-'A`má Wa Al-Başīru 'Am Hal Tastawī Až-Žulumātu Wa An-Nūr ۗ 'Am Ja`alū Lillāh Shurakā'a Khalaqū Kakhalqihi Fatashābaha Al-Khalqu `Alayhim ۚ Quli Allāhu Khāliqu Kulli Shay'in Wa Huwa Al-Wāĥidu Al-Qahhāru
013-016 (ऐ रसूल) तुम पूछो कि (आख़िर) आसमान और ज़मीन का परवरदिगार कौन है (ये क्या जवाब देगें) तुम कह दो कि अल्लाह है (ये भी कह दो कि क्या तुमने उसके सिवा दूसरे कारसाज़ बना रखे हैं जो अपने लिए आप न तो नफे पर क़ाबू रखते हैं न ज़रर (नुकसान) पर (ये भी तो) पूछो कि भला (कहीं) अन्धा और ऑंखों वाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) (या कहीं) अंधेरा और उजाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) इन लोगों ने ख़ुदा के कुछ शरीक़ ठहरा रखे हैं क्या उन्होनें ख़ुदा ही की सी मख़लूक़ पैदा कर रखी है जिनके सबब मख़लूकात उन पर मुशतबा हो गई है (और उनकी खुदाई के क़ायल हो गए) तुम कह दो कि ख़ुदा ही हर चीज़ का पैदा करने वाला और वही यकता और सिपर (सब पर) ग़ालिब है
013-017 उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर अपने अपने अन्दाज़े से नाले बह निकले फिर पानी के रेले पर (जोश खाकर) फूला हुआ झाग (फेन) आ गया और उस चीज़ (धातु) से भी जिसे ये लोग ज़ेवर या कोई असबाब बनाने की ग़रज़ से आग में तपाते हैं इसी तरह फेन आ जाता है (फिर अलग हो जाता है) युं ख़ुदा हक़ व बातिल की मसले बयान फरमाता है (कि पानी हक़ की मिसाल और फेन बातिल की) ग़रज़ फेन तो खुश्क होकर ग़ायब हो जाता है जिससे लोगों को नफा पहुँचता है (पानी) वह ज़मीन में ठहरा रहता है युं ख़ुदा (लोगों के समझाने के वास्ते) मसले बयान फरमाता है
Lilladhīna Astajābū Lirabbihimu Al-Ĥusná Wa ۚ Al-Ladhīna Lam Yastajībū Lahu Law 'Anna Lahum Mā Fī Al-'Arđi Jamī`āan Wa Mithlahu Ma`ahu Lāftadaw Bihi~ ۚ 'Ūlā'ika Lahum Sū'u Al-Ĥisābi Wa Ma'wāhum Jahannamu ۖ Wa Bi'sa Al-Mihādu
013-018 जिन लोगों ने अपने परवरदिगार का कहना माना उनके लिए बहुत बेहतरी है और जिन लोगों ने उसका कहा न माना (क़यामत में उनकी ये हालत होगी) कि अगर उन्हें रुए ज़मीन के सब ख़ज़ाने बल्कि उसके साथ इतना और मिल जाए तो ये लोग अपनी नजात के बदले उसको (ये खुशी) दे डालें (मगर फिर भी कोई फायदा नहीं) यही लोग हैं जिनसे बुरी तरह हिसाब लिया जाएगा और आख़िर उन का ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरी जगह है
013-019 (ऐ रसूल) भला वह शख़्श जो ये जानता है कि जो कुछ तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हुआ है बिल्कुल ठीक है कभी उस शख़्श के बराबर हो सकता है जो मुत्तलिक़ (पूरा) अंधा है (हरगिज़ नहीं)
Wa Al-Ladhīna Yaşilūna Mā 'Amara Allāhu Bihi~ 'An Yūşala Wa Yakhshawna Rabbahum Wa Yakhāfūna Sū'a Al-Ĥisābi
013-021 (ये) वह लोग हैं कि जिन (ताल्लुक़ात) के क़ायम रखने का ख़ुदा ने हुक्म दिया उन्हें क़ायम रखते हैं और अपने परवरदिगार से डरते हैं और (क़यामत के दिन) बुरी तरह हिसाब लिए जाने से ख़ौफ खाते हैं
Wa Al-Ladhīna Şabarū Abtighā'a Wajhi Rabbihim Wa 'Aqāmū Aş-Şalāata Wa 'Anfaqū Mimmā Razaqnāhum Sirrāan Wa `Alāniyatan Wa Yadra'ūna Bil-Ĥasanati As-Sayyi'ata 'Ūlā'ika Lahum `Uqbá Ad-Dāri
013-022 और (ये) वह लोग हैं जो अपने परवरदिगार की खुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (जो मुसीबत उन पर पड़ी है) झेल गए और पाबन्दी से नमाज़ अदा की और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी थी उसमें से छिपाकर और खुल कर ख़ुदा की राह में खर्च किया और ये लोग बुराई को भी भलाई स दफा करते हैं -यही लोग हैं जिनके लिए आख़िरत की खूबी मख़सूस है
Jannātu `Adnin Yadkhulūnahā Wa ManŞalaĥa Min 'Ābā'ihim Wa 'Azwājihim Wa Dhurrīyātihim Wa ۖ Al-Malā'ikatu Yadkhulūna `Alayhim Min Kulli Bābin
013-023 (यानि) हमेशा रहने के बाग़ जिनमें वह आप जाएॅगे और उनके बाप, दादाओं, बीवियों और उनकी औलाद में से जो लोग नेको कार है (वह सब भी) और फरिश्ते बेहश्त के हर दरवाजे से उनके पास आएगें
Wa Al-Ladhīna Yanquđūna `Ahda Allāhi Min Ba`di Mīthāqihi Wa Yaqţa`ūna Mā 'Amara Allāhu Bihi~ 'An Yūşala Wa Yufsidūna Fī Al-'Arđi ۙ 'Ūlā'ika Lahumu Al-La`natu Wa Lahum Sū'u Ad-Dāri
013-025 और जो लोग ख़ुदा से एहद व पैमान को पक्का करने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन (तालुकात बाहमी) के क़ायम रखने का ख़ुदा ने हुक्म दिया है उन्हें क़तआ (तोड़ते) करते हैं और रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाते फिरते हैं ऐसे ही लोग हैं जिनके लिए लानत है और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा घर (जहन्नुम) है
Al-Lahu Yabsuţu Ar-Rizqa Liman Yashā'u Wa Yaqdiru ۚ Wa Fariĥū Bil-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Mā Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā Fī Al-'Ākhirati 'Illā Matā`un
013-026 और ख़ुदा ही जिसके लिए चाहता है रोज़ी को बढ़ा देता है और जिसके लिए चाहता है तंग करता है और ये लोग दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी पर बहुत निहाल हैं हालॉकि दुनियावी ज़िन्दगी (नईम) आख़िरत के मुक़ाबिल में बिल्कुल बेहकीक़त चीज़ है
Wa Yaqūlu Al-Ladhīna Kafarū Lawlā 'Unzila `Alayhi 'Āyatun MinRabbihi ۗ Qul 'Inna Allāha Yuđillu Man Yashā'u Wa Yahdī 'Ilayhi Man 'Anāba
013-027 और जिन लोगों ने कुफ्र एख़तियार किया वह कहते हैं कि उस (शख्स यानि तुम) पर हमारी ख्वाहिश के मुवाफिक़ कोई मौजिज़ा उसके परवरदिगार की तरफ से क्यों नहीं नाज़िल होता तुम उनसे कह दो कि इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है
013-028 और जिसने उसकी तरफ रुज़ू की उसे अपनी तरफ पहुँचने की राह दिखाता है (ये) वह लोग हैं जिन्होंने ईमान कुबूल किया और उनके दिलों को ख़ुदा की चाह से तसल्ली हुआ करती है
Kadhālika 'Arsalnāka Fī 'UmmatinQadKhalat MinQablihā 'Umamun Litatluwa `Alayhimu Al-Ladhī 'Awĥaynā 'Ilayka Wa Hum Yakfurūna Bir-Raĥmani ۚ Qul Huwa Rabbī Lā 'Ilāha 'Illā Huwa `Alayhi Tawakkaltu Wa 'Ilayhi Matābi
013-030 (ऐ रसूल जिस तरह हमने और पैग़म्बर भेजे थे) उसी तरह हमने तुमको उस उम्मत में भेजा है जिससे पहले और भी बहुत सी उम्मते गुज़र चुकी हैं -ताकि तुम उनके सामने जो क़ुरान हमने वही के ज़रिए से तुम्हारे पास भेजा है उन्हें पढ़ कर सुना दो और ये लोग (कुछ तुम्हारे ही नहीं बल्कि सिरे से) ख़ुदा ही के मुन्किर हैं तुम कह दो कि वही मेरा परवरदिगार है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मै उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी तरफ रुज़ू करता हूँ
Wa Law 'Anna Qur'ānāan Suyyirat Bihi Al-Jibālu 'Aw Quţţi`at Bihi Al-'Arđu 'Aw Kullima Bihi Al-Mawtá ۗ Bal Lillāh Al-'Amru Jamī`āan ۗ 'Afalam Yay'asi Al-Ladhīna 'Āmanū 'An Law Yashā'u Allāhu Lahadá An-Nāsa Jamī`āan ۗ Wa Lā Yazālu Al-Ladhīna Kafarū Tuşībuhum Bimā Şana`ū Qāri`atun 'Aw Taĥullu Qarībāan Min Dārihim Ĥattá Ya'tiya Wa`du Allāhi ۚ 'Inna Allāha Lā Yukhlifu Al-Mī`āda
013-031 और अगर कोई ऐसा क़ुरान (भी नाज़िल होता) जिसकी बरकत से पहाड़ (अपनी जगह) चल खड़े होते या उसकी वजह से ज़मीन (की मुसाफ़त (दूरी)) तय की जाती और उसकी बरकत से मुर्दे बोल उठते (तो भी ये लोग मानने वाले न थे) बल्कि सच यूँ है कि सब काम का एख्तेयार ख़ुदा ही को है तो क्या अभी तक ईमानदारों को चैन नहीं आया कि अगर ख़ुदा चाहता तो सब लोगों की हिदायत कर देता और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उन पर उनकी करतूत की सज़ा में कोई (न कोई) मुसीबत पड़ती ही रहेगी या (उन पर पड़ी) तो उनके घरों के आस पास (ग़रज़) नाज़िल होगी (ज़रुर) यहाँ तक कि ख़ुदा का वायदा (फतेह मक्का) पूरा हो कर रहे और इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा हरगिज़ ख़िलाफ़े वायदा नहीं करता
013-032 और (ऐ रसूल) तुमसे पहले भी बहुतेरे पैग़म्बरों की हॅसी उड़ाई जा चुकी है तो मैने (चन्द रोज़) काफिरों को मोहलत दी फिर (आख़िर कार) हमने उन्हें ले डाला फिर (तू क्या पूछता है कि) हमारा अज़ाब कैसा था
'Afaman Huwa Qā'imun `Alá Kulli Nafsin Bimā Kasabat ۗ Wa Ja`alū Lillāh Shurakā'a Qul Sammūhum ۚ 'Am Tunabbi'ūnahu Bimā Lā Ya`lamu Fī Al-'Arđi 'Am Bižāhirin Mina Al-Qawli ۗ Bal Zuyyina Lilladhīna Kafarū Makruhum Wa Şuddū `Ani As-Sabīli ۗ Wa Man Yuđlili Allāhu Famā Lahu Min Hādin
013-033 क्या जो (ख़ुदा) हर एक शख़्श के आमाल की ख़बर रखता है (उनको युं ही छोड़ देगा हरगिज़ नहीं) और उन लोगों ने ख़ुदा के (दूसरे दूसरे) शरीक ठहराए (ऐ रसूल तुम उनसे कह दो कि तुम आख़िर उनके नाम तो बताओं या तुम ख़ुदा को ऐसे शरीक़ो की ख़बर देते हो जिनको वह जानता तक नहीं कि वह ज़मीन में (किधर बसते) हैं या (निरी ऊपर से बातें बनाते हैं बल्कि (असल ये है कि) काफिरों को उनकी मक्कारियाँ भली दिखाई गई है और वह (गोया) राहे रास्त से रोक दिए गए हैं और जिस शख़्श को ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई हिदायत करने वाला नहीं
Lahum `Adhābun Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā ۖ Wa La`adhābu Al-'Ākhirati 'Ashaqqu ۖ Wa Mā Lahum Mina Allāhi Min Wāqin
013-034 इन लोगों के वास्ते दुनियावी ज़िन्दगी में (भी) अज़ाब है और आख़िरत का अज़ाब तो यक़ीनी और बहुत सख्त खुलने वाला है (और) (फिर) ख़ुदा (के ग़ज़ब) से उनको कोई बचाने वाला (भी) नहीं
Mathalu Al-Jannati Allatī Wu`ida Al-Muttaqūna ۖ Tajrī Min Taĥtihā Al-'Anhāru ۖ 'Ukuluhā Dā'imun Wa Žilluhā ۚ Tilka `Uqbá Al-Ladhīna Attaqaw ۖ Wa `Uqbá Al-Kāfirīna An-Nāru
013-035 जिस बाग़ (बेहश्त) का परहेज़गारों से वायदा किया गया है उसकी सिफत ये है कि उसके नीचे नहरें जारी होगी उसके मेवे सदाबहार और ऐसे ही उसकी छॉव भी ये अन्जाम है उन लोगों को जो (दुनिया में) परहेज़गार थे और काफिरों का अन्जाम (जहन्नुम की) आग है
Wa Al-Ladhīna 'Ātaynāhumu Al-Kitāba Yafraĥūna Bimā 'Unzila 'Ilayka ۖ Wa Mina Al-'Aĥzābi Man Yunkiru Ba`đahu ۚ Qul 'Innamā 'Umirtu 'An 'A`buda Allāha Wa Lā 'Ushrika Bihi~ ۚ 'Ilayhi 'Ad`ū Wa 'Ilayhi Ma'ābi
013-036 और (ए रसूल) जिन लोगों को हमने किताब दी है वह तो जो (एहकाम) तुम्हारे पास नाज़िल किए गए हैं सब ही से खुश होते हैं और बाज़ फिरके उसकी बातों से इन्कार करते हैं तुम (उनसे) कह दो कि (तुम मानो या न मानो) मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मै ख़ुदा ही की इबादत करु और किसी को उसका शरीक न बनाऊ मै (सब को) उसी की तरफ बुलाता हूँ और हर शख़्श को हिर फिर कर उसकी तरफ जाना है
Wa Kadhalika 'Anzalnāhu Ĥukmāan `Arabīyāan ۚ Wa La'ini Attaba`ta 'Ahwā'ahum Ba`damā Jā'aka Mina Al-`Ilmi Mā Laka Mina Allāhi Min Wa Līyin Wa Lā Wāqin
013-037 और यूँ हमने उस क़ुरान को अरबी (ज़बान) का फरमान नाज़िल फरमाया और (ऐ रसूल) अगर कहीं तुमने इसके बाद को तुम्हारे पास इल्म (क़ुरान) आ चुका उन की नफसियानी ख्वाहिशों की पैरवी कर ली तो (याद रखो कि) फिर ख़ुदा की तरफ से न कोई तुम्हारा सरपरस्त होगा न कोई बचाने वाला
Wa Laqad 'Arsalnā Rusulāan MinQablika Wa Ja`alnā Lahum 'Azwājāan Wa Dhurrīyatan ۚ Wa Mā Kāna Lirasūlin 'An Ya'tiya Bi'āyatin 'Illā Bi'idhni Allāhi ۗ Likulli 'Ajalin Kitābun
013-038 और हमने तुमसे पहले और (भी) बहुतेरे पैग़म्बर भेजे और हमने उनको बीवियाँ भी दी और औलाद (भी अता की) और किसी पैग़म्बर की ये मजाल न थी कि कोई मौजिज़ा ख़ुदा की इजाज़त के बगैर ला दिखाए हर एक वक्त (मौऊद) के लिए (हमारे यहाँ) एक (क़िस्म की) तहरीर (होती) है
Wa 'In Mā Nuriyannaka Ba`đa Al-Ladhī Na`iduhum 'Aw Natawaffayannaka Fa'innamā `Alayka Al-Balāghu Wa `Alaynā Al-Ĥisābu
013-040 और (ए रसूल) जो जो वायदे (अज़ाब वगैरह के) हम उन कुफ्फारों से करते हैं चाहे, उनमें से बाज़ तुम्हारे सामने पूरे कर दिखाएँ या तुम्हें उससे पहले उठा लें बहर हाल तुम पर तो सिर्फ एहकाम का पहुचा देना फर्ज है
'Awalam Yaraw 'Annā Na'tī Al-'Arđa Nanquşuhā Min 'Aţrāfihā Wa ۚ Allāhu Yaĥkumu Lā Mu`aqqiba Liĥukmihi ۚ Wa Huwa Sarī`u Al-Ĥisābi
013-041 और उनसे हिसाब लेना हमारा काम है क्या उन लोगों ने ये बात न देखी कि हम ज़मीन को (फ़ुतुहाते इस्लाम से) उसके तमाम एतराफ (चारो ओर) से (सवाह कुफ्र में) घटाते चले आते हैं और ख़ुदा जो चाहता है हुक्म देता है उसके हुक्म का कोई टालने वाला नहीं और बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है
Wa Qad Makara Al-Ladhīna MinQablihim Falillāhi Al-Makru Jamī`āan ۖ Ya`lamu Mā Taksibu Kullu Nafsin ۗ Wa Saya`lamu Al-Kuffāru Liman `Uqbá Ad-Dāri
013-042 और जो लोग उन (कुफ्फार मक्के) से पहले हो गुज़रे हैं उन लोगों ने भी पैग़म्बरों की मुख़ालफत में बड़ी बड़ी तदबीरे की तो (ख़ाक न हो सका क्योंकि) सब तदबीरे तो ख़ुदा ही के हाथ में हैं जो शख़्श जो कुछ करता है वह उसे खूब जानता है और अनक़रीब कुफ्फार को भी मालूम हो जाएगा कि आख़िरत की खूबी किस के लिए है
Wa Yaqūlu Al-Ladhīna Kafarū Lasta Mursalāan ۚ Qul Kafá Billāhi Shahīdāan Baynī Wa Baynakum Wa Man `Indahu `Ilmu Al-Kitābi
013-043 और (ऐ रसूल) काफिर लोग कहते हैं कि तुम पैग़म्बर नही हो तो तुम (उनसे) कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरमियान मेरी रिसालत की गवाही के वास्ते ख़ुदा और वह शख़्श जिसके पास (आसमानी) किताब का इल्म है काफी है