Huwa Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Fī Sittati 'AyyāminThumma Astawá `Alá Al-`Arshi ۚ Ya`lamu Mā Yaliju Fī Al-'Arđi Wa Mā Yakhruju Minhā Wa Mā Yanzilu Mina As-Samā'i Wa Mā Ya`ruju Fīhā ۖ Wa Huwa Ma`akum 'Ayna Mā Kuntum Wa ۚ Allāhu Bimā Ta`malūna Başīrun
057-004 वह वही तो है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को छह: दिन में पैदा किए फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ जो चीज़ ज़मीन में दाखिल होती है और जो उससे निकलती है और जो चीज़ आसमान से नाज़िल होती है और जो उसकी तरफ चढ़ती है (सब) उसको मालूम है और तुम (चाहे) जहाँ कहीं रहो वह तुम्हारे साथ है और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है
Yūliju Al-Layla Fī An-Nahāri Wa Yūliju An-Nahāra Fī Al-Layli ۚ Wa Huwa `Alīmun Bidhāti Aş-Şudūri
057-006 वही रात को (घटा कर) दिन में दाखिल करता है तो दिन बढ़ जाता है और दिन को (घटाकर) रात में दाख़िल करता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिलों के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ है
'Āminū Billāhi Wa Rasūlihi Wa 'Anfiqū Mimmā Ja`alakum Mustakhlafīna Fīhi ۖ Fa-Al-Ladhīna 'Āmanū Minkum Wa 'Anfaqū Lahum 'Ajrun Kabīrun
057-007 (लोगों) ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाओ और जिस (माल) में उसने तुमको अपना नायब बनाया है उसमें से से कुछ (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो तो तुम में से जो लोग ईमान लाए और (राहे ख़ुदा में) ख़र्च करते रहें उनके लिए बड़ा अज्र है
Wa Mā Lakum Lā Tu'uminūna Billāhi Wa ۙ Ar-Rasūlu Yad`ūkum Litu'uminū Birabbikum Wa Qad 'Akhadha Mīthāqakum 'In Kuntum Mu'uminīna
057-008 और तुम्हें क्या हो गया है कि ख़ुदा पर ईमान नहीं लाते हो हालॉकि रसूल तुम्हें बुला रहें हैं कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ और अगर तुमको बावर हो तो (यक़ीन करो कि) ख़ुदा तुम से (इसका) इक़रार ले चुका
Huwa Al-Ladhī Yunazzilu `Alá `Abdihi~ 'Āyātin Bayyinātin Liyukhrijakum Mina Až-Žulumāti 'Ilá An-Nūri ۚ Wa 'Inna Allāha Bikum Lara'ūfunRaĥīmun
057-009 वही तो है जो अपने बन्दे (मोहम्मद) पर वाज़ेए व रौशन आयतें नाज़िल करता है ताकि तुम लोगों को (कुफ़्र की) तारिक़ीयों से निकाल कर (ईमान की) रौशनी में ले जाए और बेशक ख़ुदा तुम पर बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
Wa Mā Lakum 'Allā Tunfiqū Fī Sabīli Allāhi Wa Lillāh Mīrāthu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Lā Yastawī Minkum Man 'Anfaqa MinQabli Al-Fatĥi Wa Qātala ۚ 'Ūlā'ika 'A`žamu Darajatan Mina Al-Ladhīna 'Anfaqū Min Ba`du Wa Qātalū ۚ Wa Kullāan Wa`ada Allāhu Al-Ĥusná Wa ۚ Allāhu Bimā Ta`malūna Khabīrun
057-010 और तुमको क्या हो गया कि (अपना माल) ख़ुदा की राह में ख़र्च नहीं करते हालॉकि सारे आसमान व ज़मीन का मालिक व वारिस ख़ुदा ही है तुममें से जिस शख़्श ने फतेह (मक्का) से पहले (अपना माल) ख़र्च किया और जेहाद किया (और जिसने बाद में किया) वह बराबर नहीं उनका दर्जा उन लोगों से कहीं बढ़ कर है जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और जेहाद किया और (यूँ तो) ख़ुदा ने नेकी और सवाब का वायदा तो सबसे किया है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाक़िफ़ है
Yawma Tará Al-Mu'uminīna Wa Al-Mu'umināti Yas`á Nūruhum Bayna 'Aydīhim Wa Bi'aymānihim Bushrākumu Al-Yawma Jannātun Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā ۚ Dhālika Huwa Al-Fawzu Al-`Ažīmu
057-012 जिस दिन तुम मोमिन मर्द और मोमिन औरतों को देखोगे कि उन (के ईमान) का नूर उनके आगे आगे और दाहिने तरफ चल रहा होगा तो उनसे कहा (जाएगा) तुमको बशारत हो कि आज तुम्हारे लिए वह बाग़ है जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें हमेशा रहोगे यही तो बड़ी कामयाबी है
Yawma Yaqūlu Al-Munāfiqūna Wa Al-Munāfiqātu Lilladhīna 'Āmanū Anžurūnā Naqtabis Min NūrikumQīla Arji`ū Warā'akum Fāltamisū Nūrāan Fađuriba Baynahum Bisūrin Lahu Bābun Bāţinuhu Fīhi Ar-Raĥmatu Wa Žāhiruhu MinQibalihi Al-`Adhābu
057-013 उस दिन मुनाफ़िक मर्द और मुनाफ़िक औरतें ईमानदारों से कहेंगे एक नज़र (शफ़क्क़त) हमारी तरफ़ भी करो कि हम भी तुम्हारे नूर से कुछ रौशनी हासिल करें तो (उनसे) कहा जाएगा कि तुम अपने पीछे (दुनिया में) लौट जाओ और (वही) किसी और नूर की तलाश करो फिर उनके बीच में एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी जिसमें एक दरवाज़ा होगा (और) उसके अन्दर की जानिब तो रहमत है और बाहर की तरफ अज़ाब तो मुनाफ़िक़ीन मोमिनीन से पुकार कर कहेंगे
Yunādūnahum 'Alam Nakun Ma`akum ۖ Qālū Balá Wa Lakinnakum Fatantum 'Anfusakum Wa Tarabbaştum Wa Artabtum Wa Gharratkumu Al-'Amānīyu Ĥattá Jā'a 'Amru Allāhi Wa Gharrakum Billāhi Al-Gharūru
057-014 (क्यों भाई) क्या हम कभी तुम्हारे साथ न थे तो मोमिनीन कहेंगे थे तो ज़रूर मगर तुम ने तो ख़ुद अपने आपको बला में डाला और (हमारे हक़ में गर्दिशों के) मुन्तज़िर हैं और (दीन में) शक़ किया किए और तुम्हें (तुम्हारी) तमन्नाओं ने धोखे में रखा यहाँ तक कि ख़ुदा का हुक्म आ पहुँचा और एक बड़े दग़ाबाज़ (शैतान) ने ख़ुदा के बारे में तुमको फ़रेब दिया
'Alam Ya'ni Lilladhīna 'Āmanū 'An Takhsha`a Qulūbuhum Lidhikri Allāhi Wa Mā Nazala Mina Al-Ĥaqqi Wa Lā Yakūnū Kālladhīna 'Ūtū Al-Kitāba MinQablu Faţāla `Alayhimu Al-'Amadu Faqasat Qulūbuhum ۖ Wa Kathīrun Minhum Fāsiqūna
057-016 क्या ईमानदारों के लिए अभी तक इसका वक्त नहीं आया कि ख़ुदा की याद और क़ुरान के लिए जो (ख़ुदा की तरफ से) नाज़िल हुआ है उनके दिल नरम हों और वह उन लोगों के से न हो जाएँ जिनको उन से पहले किताब (तौरेत, इन्जील) दी गयी थी तो (जब) एक ज़माना दराज़ गुज़र गया तो उनके दिल सख्त हो गए और इनमें से बहुतेरे बदकार हैं
057-017 जान रखो कि ख़ुदा ही ज़मीन को उसके मरने (उफ़तादा होने) के बाद ज़िन्दा (आबाद) करता है हमने तुमसे अपनी (क़ुदरत की) निशानियाँ खोल खोल कर बयान कर दी हैं ताकि तुम समझो
'Inna Al-Muşşaddiqīna Wa Al-Muşşaddiqāti Wa 'Aqrađū Allaha Qarđāan Ĥasanāan Yuđā`afu Lahum Wa Lahum 'Ajrun Karīmun
057-018 बेशक ख़ैरात देने वाले मर्द और ख़ैरात देने वाली औरतें और (जो लोग) ख़ुदा की नीयत से ख़ालिस कर्ज़ देते हैं उनको दोगुना (अज्र) दिया जाएगा और उनका बहुत मुअज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही
Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Billāhi Wa Rusulihi~ 'Ūlā'ika Humu Aş-Şiddīqūna Wa ۖ Ash-Shuhadā'u `Inda Rabbihim Lahum 'Ajruhum Wa Nūruhum Wa ۖ Al-Ladhīna Kafarū Wa Kadhdhabū Bi'āyātinā 'Ūlā'ika 'Aşĥābu Al-Jaĥīmi
057-019 और जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाए यही लोग अपने परवरदिगार के नज़दीक सिद्दीक़ों और शहीदों के दरजे में होंगे उनके लिए उन्ही (सिद्दीकों और शहीदों) का अज्र और उन्हीं का नूर होगा और जिन लोगों ने कुफ्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया वही लोग जहन्नुमी हैं
A`lamū 'Annamā Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā La`ibun Wa Lahwun Wa Zīnatun Wa Tafākhurun Baynakum Wa Takāthurun Fī Al-'Amwli Wa Al-'Awlādi ۖ Kamathali Ghaythin 'A`jaba Al-Kuffāra Nabātuhu Thumma Yahīju Fatarāhu MuşfarrāanThumma Yakūnu Ĥuţāmāan ۖ Wa Fī Al-'Ākhirati `AdhābunShadīdun Wa Maghfiratun Mina Allāhi Wa Riđwānun ۚ Wa Mā Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā 'Illā Matā`u Al-Ghurūri
057-020 जान रखो कि दुनियावी ज़िन्दगी महज़ खेल और तमाशा और ज़ाहिरी ज़ीनत (व आसाइश) और आपस में एक दूसरे पर फ़ख्र क़रना और माल और औलाद की एक दूसरे से ज्यादा ख्वाहिश है (दुनयावी ज़िन्दगी की मिसाल तो) बारिश की सी मिसाल है जिस (की वजह) से किसानों की खेती (लहलहाती और) उनको ख़ुश कर देती थी फिर सूख जाती है तो तू उसको देखता है कि ज़र्द हो जाती है फिर चूर चूर हो जाती है और आख़िरत में (कुफ्फार के लिए) सख्त अज़ाब है और (मोमिनों के लिए) ख़ुदा की तरफ से बख़्शिस और ख़ुशनूदी और दुनयावी ज़िन्दगी तो बस फ़रेब का साज़ो सामान है
Sābiqū 'Ilá Maghfiratin MinRabbikum Wa Jannatin `Arđuhā Ka`arđi As-Samā'i Wa Al-'Arđi 'U`iddat Lilladhīna 'Āmanū Billāhi Wa Rusulihi ۚ Dhālika Fađlu Allāhi Yu'utīhi Man Yashā'u Wa ۚ Allāhu Dhū Al-Fađli Al-`Ažīmi
057-021 तुम अपने परवरदिगार के (सबब) बख़्शिस की और बेहिश्त की तरफ लपक के आगे बढ़ जाओ जिसका अर्ज़ आसमान और ज़मीन के अर्ज़ के बराबर है जो उन लोगों के लिए तैयार की गयी है जो ख़ुदा पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए हैं ये ख़ुदा का फज़ल है जिसे चाहे अता करे और ख़ुदा का फज़ल (व क़रम) तो बहुत बड़ा है
057-022 जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाज़िल होती हैं (वह सब) क़ब्ल इसके कि हम उन्हें पैदा करें किताब (लौह महफूज़) में (लिखी हुई) हैं बेशक ये ख़ुदा पर आसान है
Likaylā Ta'saw `Alá Mā Fātakum Wa Lā Tafraĥū Bimā 'Ātākum Wa ۗ Allāhu Lā Yuĥibbu Kulla Mukhtālin Fakhūrin
057-023 ताकि जब कोई चीज़ तुमसे जाती रहे तो तुम उसका रंज न किया करो और जब कोई चीज़ (नेअमत) ख़ुदा तुमको दे तो उस पर न इतराया करो और ख़ुदा किसी इतराने वाले येख़ी बाज़ को दोस्त नहीं रखता
Al-Ladhīna Yabkhalūna Wa Ya'murūna An-Nāsa Bil-Bukhli ۗ Wa Man Yatawalla Fa'inna Allāha Huwa Al-Ghanīyu Al-Ĥamīdu
057-024 जो ख़ुद भी बुख्ल करते हैं और दूसरे लोगों को भी बुख्ल करना सिखाते हैं और जो शख़्श (इन बातों से) रूगरदानी करे तो ख़ुदा भी बेपरवा सज़ावारे हम्दोसना है
Laqad 'Arsalnā Rusulanā Bil-Bayyināti Wa 'Anzalnā Ma`ahumu Al-Kitāba Wa Al-Mīzāna Liyaqūma An-Nāsu Bil-Qisţi ۖ Wa 'Anzalnā Al-Ĥadīda Fīhi Ba'sunShadīdun Wa Manāfi`u Lilnnāsi Wa Liya`lama Allāhu Man Yanşuruhu Wa Rusulahu Bil-Ghaybi ۚ 'Inna Allāha Qawīyun `Azīzun
057-025 हमने यक़ीनन अपने पैग़म्बरों को वाज़े व रौशन मोजिज़े देकर भेजा और उनके साथ किताब और (इन्साफ़ की) तराज़ू नाज़िल किया ताकि लोग इन्साफ़ पर क़ायम रहे और हम ही ने लोहे को नाज़िल किया जिसके ज़रिए से सख्त लड़ाई और लोगों के बहुत से नफे (की बातें) हैं और ताकि ख़ुदा देख ले कि बेदेखे भाले ख़ुदा और उसके रसूलों की कौन मदद करता है बेशक ख़ुदा बहुत ज़बरदस्त ग़ालिब है
Wa Laqad 'Arsalnā Nūĥāan Wa 'Ibrāhīma Wa Ja`alnā Fī Dhurrīyatihimā An-Nubūwata Wa Al-Kitāba ۖ Faminhum Muhtadin ۖ Wa Kathīrun Minhum Fāsiqūna
057-026 और बेशक हम ही ने नूह और इबराहीम को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा और उनही दोनों की औलाद में नबूवत और किताब मुक़र्रर की तो उनमें के बाज़ हिदायत याफ्ता हैं और उन के बहुतेरे बदकार हैं
Thumma Qaffaynā `Alá 'Āthārihim Birusulinā Wa Qaffaynā Bi`īsá Abni Maryama Wa 'Ātaynāhu Al-'Injīla Wa Ja`alnā Fī Qulūbi Al-Ladhīna Attaba`ūhu Ra'fatan Wa Raĥmatan Wa Rahbānīyatan Abtada`ūhā Mā Katabnāhā `Alayhim 'Illā Abtighā'a Riđwāni Allāhi Famā Ra`awhā Ĥaqqa Ri`āyatihā ۖ Fa'ātaynā Al-Ladhīna 'Āmanū Minhum 'Ajrahum ۖ Wa Kathīrun Minhum Fāsiqūna
057-027 फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में यफ़क्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से ईमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Attaqū Allaha Wa 'Āminū Birasūlihi Yu'utikum Kiflayni MinRaĥmatihi Wa Yaj`al Lakum Nūrāan Tamshūna Bihi Wa Yaghfir Lakum Wa ۚ Allāhu GhafūrunRaĥīmun
057-028 ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो और उसके रसूल (मोहम्मद) पर ईमान लाओ तो ख़ुदा तुमको अपनी रहमत के दो हिस्से अज्र अता फरमाएगा और तुमको ऐसा नूर इनायत फ़रमाएगा जिस (की रौशनी) में तुम चलोगे और तुमको बख्श भी देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Li'allā Ya`lama 'Ahlu Al-Kitābi 'Allā Yaqdirūna `Alá Shay'in Min Fađli Allāhi ۙ Wa 'Anna Al-Fađla Biyadi Allāhi Yu'utīhi Man Yashā'u Wa ۚ Allāhu Dhū Al-Fađli Al-`Ažīmi
057-029 (ये इसलिए कहा जाता है) ताकि अहले किताब ये न समझें कि ये मोमिनीन ख़ुदा के फज़ल (व क़रम) पर कुछ भी कुदरत नहीं रखते और ये तो यक़ीनी बात है कि फज़ल ख़ुदा ही के कब्ज़े में है वह जिसको चाहे अता फरमाए और ख़ुदा तो बड़े फज़ल (व क़रम) का मालिक है