Wa Qālū Qulūbunā Fī 'Akinnatin Mimmā Tad`ūnā 'Ilayhi Wa Fī 'Ādhāninā Waqrun Wa Min Bayninā Wa Baynika Ĥijābun Fā`mal 'Innanā `Āmilūna
041-005 और कहने लगे जिस चीज़ की तरफ तुम हमें बुलाते हो उससे तो हमारे दिल पर्दों में हैं (कि दिल को नहीं लगती) और हमारे कानों में गिर्दानी (बहरापन है) कि कुछ सुनायी नहीं देता और हमारे तुम्हारे दरमियान एक पर्दा (हायल) है तो तुम (अपना) काम करो हम (अपना) काम करते हैं
Qul 'Innamā 'Anā Basharun Mithlukum Yūĥá 'Ilayya 'Annamā 'Ilahukum 'Ilahun Wāĥidun Fāstaqīmū 'Ilayhi Wa Astaghfirūhu ۗ Wa Waylun Lilmushrikīna
041-006 (ऐ रसूल) कह दो कि मैं भी बस तुम्हारा ही सा आदमी हूँ (मगर फ़र्क ये है कि) मुझ पर 'वही' आती है कि तुम्हारा माबूद बस (वही) यकता ख़ुदा है तो सीधे उसकी तरफ मुतावज्जे रहो और उसी से बख़शिश की दुआ माँगो, और मुशरेकों पर अफसोस है
041-009 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या तुम उस (ख़ुदा) से इन्कार करते हो जिसने ज़मीन को दो दिन में पैदा किया और तुम (औरों को) उसका हमसर बनाते हो, यही तो सारे जहाँ का सरपरस्त है
Wa Ja`ala Fīhā Rawāsiya Min Fawqihā Wa Bāraka Fīhā Wa Qaddara Fīhā 'Aqwātahā Fī 'Arba`ati 'Ayyāmin Sawā'an Lilssā'ilīna
041-010 और उसी ने ज़मीन में उसके ऊपर से पहाड़ पैदा किए और उसी ने इसमें बरकत अता की और उसी ने एक मुनासिब अन्दाज़ पर इसमें सामाने माईशत का बन्दोबस्त किया (ये सब कुछ) चार दिन में और तमाम तलबगारों के लिए बराबर है
Thumma Astawá 'Ilá As-Samā'i Wa Hiya Dukhānun Faqāla Lahā Wa Lil'arđi Ai'tiyā Ţaw`āan 'Aw KarhāanQālatā 'Ataynā Ţā'i`īna
041-011 फिर आसमान की तरफ मुतावज्जे हुआ और (उस वक्त) धुएँ (का सा) था उसने उससे और ज़मीन से फरमाया कि तुम दोनों आओ ख़़ुशी से ख्वाह कराहत से, दोनों ने अर्ज़ की हम ख़़ुशी ख़़ुशी हाज़िर हैं
Faqađāhunna Sab`a Samāwātin Fī Yawmayni Wa 'Awĥá Fī Kulli Samā'in 'Amrahā ۚ Wa Zayyannā As-Samā'a Ad-Dunyā Bimaşābīĥa Wa Ĥifžāan ۚ Dhālika Taqdīru Al-`Azīzi Al-`Alīmi
041-012 (और हुक्म के पाबन्द हैं) फिर उसने दोनों में उस (धुएँ) के सात आसमान बनाए और हर आसमान में उसके (इन्तेज़ाम) का हुक्म (कार कुनान कज़ा व क़दर के पास) भेज दिया और हमने नीचे वाले आसमान को (सितारों के) चिराग़ों से मज़य्यन किया और (शैतानों से महफूज़) रखा ये वाक़िफ़कार ग़ालिब ख़ुदा के (मुक़र्रर किए हुए) अन्दाज़ हैं
'Idh Jā'at/humu Ar-Rusulu Min Bayni 'Aydīhim Wa Min Khalfihim 'Allā Ta`budū 'Illā Al-Laha ۖ Qālū Law Shā'a Rabbunā La'anzala Malā'ikatan Fa'innā Bimā 'Ursiltum Bihi Kāfirūna
041-014 जब उनके पास उनके आगे से और पीछे से पैग़म्बर (ये ख़बर लेकर) आए कि ख़ुदा के सिवा किसी की इबादत न करो तो कहने लगे कि अगर हमारा परवरदिगार चाहता तो फ़रिश्ते नाज़िल करता और जो (बातें) देकर तुम लोग भेजे गए हो हम तो उसे नहीं मानते
Fa'ammā `Ādun Fāstakbarū Fī Al-'Arđi Bighayri Al-Ĥaqqi Wa Qālū Man 'Ashaddu Minnā Qūwatan ۖ 'Awalam Yaraw 'Anna Allāha Al-Ladhī Khalaqahum Huwa 'Ashaddu MinhumQūwatan ۖ Wa Kānū Bi'āyātinā Yajĥadūna
041-015 तो आद नाहक़ रूए ज़मीन में ग़ुरूर करने लगे और कहने लगे कि हम से बढ़ के क़ूवत में कौन है, क्या उन लोगों ने इतना भी ग़ौर न किया कि ख़ुदा जिसने उनको पैदा किया है वह उनसे क़ूवत में कहीं बढ़ के है, ग़रज़ वह लोग हमारी आयतों से इन्कार ही करते रहे
041-016 तो हमने भी (तो उनके) नहूसत के दिनों में उन पर बड़ी ज़ोरों की ऑंधी चलाई ताकि दुनिया की ज़िन्दगी में भी उनको रूसवाई के अज़ाब का मज़ा चखा दें और आखेरत का अज़ाब तो और ज्यादा रूसवा करने वाला ही होगा और (फिर) उनको कहीं से मदद भी न मिलेगी
041-017 और रहे समूद तो हमने उनको सीधा रास्ता दिखाया, मगर उन लोगों ने हिदायत के मुक़ाबले में गुमराही को पसन्द किया तो उन की करतूतों की बदौलत ज़िल्लत के अज़ाब की बिजली ने उनको ले डाला
Ĥattá 'Idhā Mā Jā'ūhā Shahida `Alayhim Sam`uhum Wa 'Abşāruhum Wa Julūduhum Bimā Kānū Ya`malūna
041-020 यहाँ तक की जब सब के सब जहन्नुम के पास जाएँगे तो उनके कान और उनकी ऑंखें और उनके (गोश्त पोस्त) उनके ख़िलाफ उनके मुक़ाबले में उनकी कारस्तानियों की गवाही देगें
Wa Qālū Lijulūdihim Lima Shahidtum `Alaynā ۖ Qālū 'Anţaqanā Al-Lahu Al-Ladhī 'Anţaqa Kulla Shay'in Wa Huwa Khalaqakum 'Awwala Marratin Wa 'Ilayhi Turja`ūna
041-021 और ये लोग अपने आज़ा से कहेंगे कि तुमने हमारे ख़िलाफ क्यों गवाही दी तो वह जवाब देंगे कि जिस ख़ुदा ने हर चीज़ को गोया किया उसने हमको भी (अपनी क़ुदरत से) गोया किया और उसी ने तुमको पहली बार पैदा किया था और (आख़िर) उसी की तरफ लौट कर जाओगे
Wa Mā Kuntum Tastatirūna 'An Yash/hada `Alaykum Sam`ukum Wa Lā 'Abşārukum Wa Lā Julūdukum Wa LakinŽanantum 'Anna Allāha Lā Ya`lamu Kathīrāan Mimmā Ta`malūna
041-022 और (तुम्हारी तो ये हालत थी कि) तुम लोग इस ख्याल से (अपने गुनाहों की) पर्दा दारी भी तो नहीं करते थे कि तुम्हारे कान और तुम्हारी ऑंखे और तुम्हारे आज़ा तुम्हारे बरख़िलाफ गवाही देंगे बल्कि तुम इस ख्याल मे (भूले हुए) थे कि ख़ुदा को तुम्हारे बहुत से कामों की ख़बर ही नहीं
Wa Qayyađnā LahumQuranā'a Fazayyanū Lahum Mā Bayna 'Aydīhim Wa Mā Khalfahum Wa Ĥaqqa `Alayhimu Al-Qawlu Fī 'UmaminQadKhalat MinQablihim Mina Al-Jinni Wa Al-'Insi ۖ 'Innahum Kānū Khāsirīna
041-025 और हमने (गोया ख़ुद शैतान को) उनका हमनशीन मुक़र्रर कर दिया था तो उन्होने उनके अगले पिछले तमाम उमूर उनकी नज़रों में भले कर दिखाए तो जिन्नात और इन्सानो की उम्मतें जो उनसे पहले गुज़र चुकी थीं उनके शुमूल (साथ) में (अज़ाब का) वायदा उनके हक़ में भी पूरा हो कर रहा बेशक ये लोग अपने घाटे के दरपै थे
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū Rabbanā 'Arinā Al-Ladhayni 'Ađallānā Mina Al-Jinni Wa Al-'Insi Naj`alhumā Taĥta 'Aqdāminā Liyakūnā Mina Al-'Asfalīna
041-029 और (क़यामत के दिन) कुफ्फ़ार कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार जिनों और इन्सानों में से जिन लोगों ने हमको गुमराह किया था (एक नज़र) उनको हमें दिखा दे कि हम उनको पाँव तले (रौन्द) डालें ताकि वह ख़ूब ज़लील हों
041-030 और जिन लोगों ने (सच्चे दिल से) कहा कि हमारा परवरदिगार तो (बस) ख़ुदा है, फिर वह उसी पर भी क़ायम भी रहे उन पर मौत के वक्त (रहमत के) फ़रिश्ते नाज़िल होंगे (और कहेंगे) कि कुछ ख़ौफ न करो और न ग़म खाओ और जिस बेहिश्त का तुमसे वायदा किया गया था उसकी ख़ुशियां मनाओ
Naĥnu 'Awliyā'uukum Fī Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Fī Al-'Ākhirati ۖ Wa Lakum Fīhā Mā Tashtahī 'Anfusukum Wa Lakum Fīhā Mā Tadda`ūna
041-031 हम दुनिया की ज़िन्दगी में तुम्हारे दोस्त थे और आखेरत में भी तुम्हारे (रफ़ीक़) हैं और जिस चीज़ का भी तुम्हार जी चाहे बेहिश्त में तुम्हारे वास्ते मौजूद है और जो चीज़ तलब करोगे वहाँ तुम्हारे लिए (हाज़िर) होगी
041-032 (ये) बख्शने वाले मेहरबान (ख़ुदा) की तरफ़ से (तुम्हारी मेहमानी है)
نُزُلا ً مِنْ غَفُورٍ رَحِيمٍ
Wa Man 'Aĥsanu Qawlāan Mimman Da`ā 'Ilá Allāhi Wa `Amila Şāliĥāan Wa Qāla 'Innanī Mina Al-Muslimīna
041-033 और इस से बेहतर किसकी बात हो सकती है जो (लोगों को) ख़ुदा की तरफ बुलाए और अच्छे अच्छे काम करे और कहे कि मैं भी यक़ीनन (ख़ुदा के) फरमाबरदार बन्दों में हूं
Wa Lā Tastawī Al-Ĥasanatu Wa Lā As-Sayyi'atu ۚ Adfa` Bi-Atī Hiya 'Aĥsanu Fa'idhā Al-Ladhī Baynaka Wa Baynahu `Adāwatun Ka'annahu Wa Līyun Ĥamīmun
041-034 और भलाई बुराई (कभी) बराबर नहीं हो सकती तो (सख्त कलामी का) ऐसे तरीके से जवाब दो जो निहायत अच्छा हो (ऐसा करोगे) तो (तुम देखोगे) जिस में और तुममें दुशमनी थी गोया वह तुम्हारा दिल सोज़ दोस्त है
Wa Min 'Āyātihi Al-Laylu Wa An-Nahāru Wa Ash-Shamsu Wa Al-Qamaru ۚ Lā Tasjudū Lilshshamsi Wa Lā Lilqamari Wa Asjudū Lillāh Al-Ladhī Khalaqahunna 'In Kuntum 'Īyāhu Ta`budūna
041-037 और उसकी (कुदरत की) निशानियों में से रात और दिन और सूरज और चाँद हैं तो तुम लोग न सूरज को सजदा करो और न चाँद को, और अगर तुम ख़ुदा ही की इबादत करनी मंज़ूर रहे तो बस उसी को सजदा करो जिसने इन चीज़ों को पैदा किया है
Fa'ini Astakbarū Fa-Al-Ladhīna `Inda Rabbika Yusabbiĥūna Lahu Bil-Layli Wa An-Nahāri Wa Hum Lā Yas'amūna
041-038 पस अगर ये लोग सरकशी करें तो (ख़ुदा को भी उनकी परवाह नहीं) वो लोग (फ़रिश्ते) तुम्हारे परवरदिगार की बारगाह में हैं वह रात दिन उसकी तसबीह करते रहते हैं और वह लोग उकताते भी नहीं
Wa Min 'Āyātihi~ 'Annaka Tará Al-'Arđa Khāshi`atan Fa'idhā 'Anzalnā `Alayhā Al-Mā'a Ahtazzat Wa Rabat ۚ 'Inna Al-Ladhī 'Aĥyāhā Lamuĥyī Al-Mawtá ۚ 'Innahu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
041-039 उसकी क़ुदरत की निशानियों में से एक ये भी है कि तुम ज़मीन को ख़़ुश्क और बेआब ओ गयाह देखते हो फिर जब हम उस पर पानी बरसा देते हैं तो लहलहाने लगती है और फूल जाती है जिस ख़ुदा ने (मुर्दा) ज़मीन को ज़िन्दा किया वह यक़ीनन मुर्दों को भी जिलाएगा बेशक वह हर चीज़ पर क़ादिर है
041-040 जो लोग हमारी आयतों में हेर फेर पैदा करते हैं वह हरगिज़ हमसे पोशीदा नहीं हैं भला जो शख्स दोज़ख़ में डाला जाएगा वह बेहतर है या वह शख्स जो क़यामत के दिन बेख़ौफ व ख़तर आएगा (ख़ैर) जो चाहो सो करो (मगर) जो कुछ तुम करते हो वह (ख़ुदा) उसको देख रहा है
041-043 (ऐ रसूल) तुमसे से भी बस वही बातें कहीं जाती हैं जो तुमसे और रसूलों से कही जा चुकी हैं बेशक तुम्हारा परवरदिगार बख्शने वाला भी है और दर्दनाक अज़ाब वाला भी है
Wa Law Ja`alnāhu Qur'ānāan 'A`jamīyāan Laqālū Lawlā Fuşşilat 'Āyātuhu~ ۖ 'A'a`jamīyun Wa `Arabīyun ۗ Qul Huwa Lilladhīna 'Āmanū Hudan Wa Shifā'un Wa ۖ Al-Ladhīna Lā Yu'uminūna Fī 'Ādhānihim Waqrun Wa Huwa `Alayhim `Aman 'Ūlā'ika ۚ Yunādawna Min Makānin Ba`īdin
041-044 और अगर हम इस क़ुरान को अरबी ज़बान के सिवा दूसरी ज़बान में नाज़िल करते तो ये लोग ज़रूर कह न बैठते कि इसकी आयतें (हमारी) ज़बान में क्यों तफ़सीलदार बयान नहीं की गयी क्या (खूब क़ुरान तो) अजमी और (मुख़ातिब) अरबी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ईमानदारों के लिए तो ये (कुरान अज़सरतापा) हिदायत और (हर मर्ज़ की) शिफ़ा है और जो लोग ईमान नहीं रखते उनके कानों (के हक़) में गिरानी (बहरापन) है और वह (कुरान) उनके हक़ में नाबीनाई (का सबब) है तो गिरानी की वजह से गोया वह लोग बड़ी दूर की जगह से पुकारे जाते है
Wa Laqad 'Ātaynā Mūsá Al-Kitāba Fākhtulifa Fīhi ۗ Wa Lawlā Kalimatun Sabaqat MinRabbika Laquđiya Baynahum ۚ Wa 'Innahum Lafī Shakkin Minhu Murībin
041-045 (और नहीं सुनते) और हम ही ने मूसा को भी किताब (तौरैत) अता की थी तो उसमें भी इसमें एख्तेलाफ किया गया और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक बात पहले न हो चुकी होती तो उनमें कब का फैसला कर दिया गया होता, और ये लोग ऐसे शक़ में पड़े हुए हैं जिसने उन्हें बेचैन कर दिया है
Man `Amila Şāliĥāan Falinafsihi ۖ Wa Man 'Asā'a Fa`alayhā ۗ Wa Mā Rabbuka Bižallāmin Lil`abīdi
041-046 जिसने अच्छे अच्छे काम किये तो अपने नफे क़े लिए और जो बुरा काम करे उसका वबाल भी उसी पर है और तुम्हारा परवरदिगार तो बन्दों पर (कभी) ज़ुल्म करने वाला नहीं
'Ilayhi Yuraddu `Ilmu As-Sā`ati ۚ Wa Mā Takhruju MinThamarātin Min 'Akmāmihā Wa Mā Taĥmilu Min 'Unthá Wa Lā Tađa`u 'Illā Bi`ilmihi ۚ Wa Yawma Yunādīhim 'Ayna Shurakā'īQālū 'Ādhannāka Mā Minnā MinShahīdin
041-047 क़यामत के इल्म का हवाला उसी की तरफ है (यानि वही जानता है) और बगैर उसके इल्म व (इरादे) के न तो फल अपने पौरों से निकलते हैं और न किसी औरत को हमल रखता है और न वह बच्चा जनती है और जिस दिन (ख़ुदा) उन (मुशरेकीन) को पुकारेगा और पूछेगा कि मेरे शरीक कहाँ हैं- वह कहेंगे हम तो तुझ से अर्ज़ कर चूके हैं कि हम में से कोई (उनसे) वाकिफ़ ही नहीं
Wa La'in 'Adhaqnāhu Raĥmatan Minnā Min Ba`di Đarrā'a Massat/hu Layaqūlanna Hādhā Lī Wa Mā 'Ažunnu As-Sā`ata Qā'imatan Wa La'inRuji`tu 'Ilá Rabbī 'Inna Lī `Indahu Lalĥusná ۚ Falanunabbi'anna Al-Ladhīna Kafarū Bimā `Amilū Wa Lanudhīqannahum Min `Adhābin Ghalīžin
041-050 और अगर उसको कोई तकलीफ पहुँच जाने के बाद हम उसको अपनी रहमत का मज़ा चखाएँ तो यक़ीनी कहने लगता है कि ये तो मेरे लिए ही है और मैं नहीं ख़याल करता कि कभी क़यामत बरपा होगी और अगर (क़यामत हो भी और) मैं अपने परवरदिगार की तरफ़ लौटाया भी जाऊँ तो भी मेरे लिए यक़ीनन उसके यहाँ भलाई ही तो है जो आमाल करते रहे हम उनको (क़यामत में) ज़रूर बता देंगें और उनको सख्त अज़ाब का मज़ा चख़ाएगें
Wa 'Idhā 'An`amnā `Alá Al-'Insāni 'A`rađa Wa Na'á Bijānibihi Wa 'Idhā Massahu Ash-Sharru Fadhū Du`ā'in `Arīđin
041-051 (वह अलग) और जब हम इन्सान पर एहसान करते हैं तो (हमारी तरफ से) मुँह फेर लेता है और मुँह बदलकर चल देता है और जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है तो लम्बी चौड़ी दुआएँ करने लगता है
Qul 'Ara'aytum 'In Kāna Min `Indi Allāhi Thumma Kafartum Bihi Man 'Ađallu Mimman Huwa Fī Shiqāqin Ba`īdin
041-052 (ऐ रसूल) तुम कहो कि भला देखो तो सही कि अगर ये (क़ुरान) ख़ुदा की बारगाह से (आया) हो और फिर तुम उससे इन्कार करो तो जो (ऐसे) परले दर्जे की मुख़ालेफत में (पड़ा) हो उससे बढ़कर और कौन गुमराह हो सकता है
041-053 हम अनक़रीब ही अपनी (क़ुदरत) की निशानियाँ अतराफ (आलम) में और ख़़ुद उनमें भी दिखा देगें यहाँ तक कि उन पर ज़ाहिर हो जाएगा कि वही यक़ीनन हक़ है क्या तुम्हारा परवरदिगार इसके लिए काफी नहीं कि वह हर चीज़ पर क़ाबू रखता है