Al-Ĥamdu Lillāh Al-Ladhī Lahu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi Wa Lahu Al-Ĥamdu Fī Al-'Ākhirati ۚ Wa Huwa Al-Ĥakīmu Al-Khabīru
034-001 हर क़िस्म की तारीफ उसी खुदा के लिए (दुनिया में भी) सज़ावार है कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और आख़ेरत में (भी हर तरफ) उसी की तारीफ है और वही वाक़िफकार हकीम है
Ya`lamu Mā Yaliju Fī Al-'Arđi Wa Mā Yakhruju Minhā Wa Mā Yanzilu Mina As-Samā'i Wa Mā Ya`ruju Fīhā ۚ Wa Huwa Ar-Raĥīmu Al-Ghafūru
034-002 (जो) चीज़ें (बीज वग़ैरह) ज़मीन में दाख़िल हुई है और जो चीज़ (दरख्त वग़ैरह) इसमें से निकलती है और जो चीज़ (पानी वग़ैरह) आसामन से नाज़िल होती है और जो चीज़ (नज़ारात फरिश्ते वग़ैरह) उस पर चढ़ती है (सब) को जानता है और वही बड़ा बख्शने वाला है
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū Lā Ta'tīnā As-Sā`atu ۖ Qul Balá Wa Rabbī Lata'tiyannakum `Ālimi Al-Ghaybi ۖ Lā Ya`zubu `Anhu Mithqālu Dharratin Fī As-Samāwāti Wa Lā Fī Al-'Arđi Wa Lā 'Aşgharu MinDhālika Wa Lā 'Akbaru 'Illā Fī Kitābin Mubīnin
034-003 और कुफ्फार कहने लगे कि हम पर तो क़यामत आएगी ही नहीं (ऐ रसूल) तुम कह दो हॉ (हॉ) मुझ को अपने उस आलेमुल ग़ैब परवरदिगार की क़सम है जिससे ज़र्रा बराबर (कोई चीज़) न आसमान में छिपी हुई है और न ज़मीन में कि क़यामत ज़रूर आएगी और ज़र्रे से छोटी चीज़ और ज़र्रे से बडी (ग़रज़ जितनी चीज़े हैं सब) वाजेए व रौशन किताब लौहे महफूज़ में महफूज़ हैं
Liyajziya Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti ۚ 'Ūlā'ika Lahum Maghfiratun Wa Rizqun Karīmun
034-004 ताकि जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और (अच्छे) काम किए उनको खुदा जज़ाए खैर दे यही वह लोग हैं जिनके लिए (गुनाहों की) मग़फेरत और (बहुत ही) इज्ज़त की रोज़ी है
Wa Yará Al-Ladhīna 'Ūtū Al-`Ilma Al-Ladhī 'Unzila 'Ilayka MinRabbika Huwa Al-Ĥaqqa Wa Yahdī 'Ilá Şirāţi Al-`Azīzi Al-Ĥamīdi
034-006 और (ऐ रसूल) जिन लोगों को (हमारी बारगाह से) इल्म अता किया गया है वह जानते हैं कि जो (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हुआ है बिल्कुल ठीक है और सज़ावार हम्द (व सना) ग़ालिब (खुदा) की राह दिखाता है
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū Hal Nadullukum `Alá Rajulin Yunabbi'ukum 'Idhā Muzziqtum Kulla Mumazzaqin 'Innakum Lafī Khalqin Jadīdin
034-007 और कुफ्फ़ार (मसख़रेपन से बाहम) कहते हैं कि कहो तो हम तुम्हें ऐसा आदमी (मोहम्मद) बता दें जो तुम से बयान करेगा कि जब तुम (मर कर सड़ ग़ल जाओगे और) बिल्कुल रेज़ा रेज़ा हो जाओगे तो तुम यक़ीनन एक नए जिस्म में आओगे
'Āftará `Alá Allāhi Kadhibāan 'Am Bihi Jinnatun ۗ Bali Al-Ladhīna Lā Yu'uminūna Bil-'Ākhirati Fī Al-`Adhābi Wa Ađ-Đalāli Al-Ba`īdi
034-008 क्या उस शख्स (मोहम्मद) ने खुदा पर झूठ तूफान बाँधा है या उसे जुनून (हो गया) है (न मोहम्मद झूठा है न उसे जुनून है) बल्कि खुद वह लोग जो आख़ेरत पर ईमान नहीं रखते अज़ाब और पहले दरजे की गुमराही में पड़े हुए हैं
'Afalam Yaraw 'Ilá Mā Bayna 'Aydīhim Wa Mā Khalfahum Mina As-Samā'i Wa Al-'Arđi ۚ 'In Nasha' Nakhsif Bihimu Al-'Arđa 'Aw Nusqiţ `Alayhim Kisafāan Mina As-Samā'i ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyatan Likulli `Abdin Munībin
034-009 तो क्या उन लोगों ने आसमान और ज़मीन की तरफ भी जो उनके आगे और उनके पीछे (सब तरफ से घेरे) हैं ग़ौर नहीं किया कि अगर हम चाहे तो उन लोगों को ज़मीन में धँसा दें या उन पर आसमान का कोई टुकड़ा ही गिरा दें इसमें शक नहीं कि इसमें हर रूजू करने वाले बन्दे के लिए यक़ीनी बड़ी इबरत है
Wa Laqad 'Ātaynā Dāwūda Minnā Fađlāan ۖ Yā Jibālu 'Awwibī Ma`ahu Wa Aţ-Ţayra ۖ Wa 'Alannā Lahu Al-Ĥadīda
034-010 और हमने यक़ीनन दाऊद को अपनी बारगाह से बुर्जुग़ी इनायत की थी (और पहाड़ों को हुक्म दिया) कि ऐ पहाड़ों तसबीह करने में उनका साथ दो और परिन्द को (ताबेए कर दिया) और उनके वास्ते लोहे को (मोम की तरह) नरम कर दिया था
'Ani A`mal Sābighātin Wa Qaddir Fī As-Sardi ۖ Wa A`malū Şāliĥāan ۖ 'Innī Bimā Ta`malūna Başīrun
034-011 कि फँराख़ व कुशादा जिरह बनाओ और (कड़ियों के) जोड़ने में अन्दाज़े का ख्याल रखो और तुम सब के सब अच्छे (अच्छे) काम करो वो कुछ तुम लोग करते हो मैं यक़ीनन देख रहा हूँ
Wa Lisulaymāna Ar-Rīĥa Ghudūwuhā Shahrun Wa Rawāĥuhā Shahrun ۖ Wa 'Asalnā Lahu `Ayna Al-Qiţri ۖ Wa Mina Al-Jinni Man Ya`malu Bayna Yadayhi Bi'idhni Rabbihi ۖ Wa Man Yazigh Minhum `An 'Amrinā Nudhiqhu Min `Adhābi As-Sa`īri
034-012 और हवा को सुलेमान का (ताबेइदार बना दिया था) कि उसकी सुबह की रफ्तार एक महीने (मुसाफ़त) की थी और इसी तरह उसकी शाम की रफ्तार एक महीने (के मुसाफत) की थी और हमने उनके लिए तांबे (को पिघलाकर) उसका चश्मा जारी कर दिया था और जिन्नात (को उनका ताबेदार कर दिया था कि उन) में कुछ लोग उनके परवरदिगार के हुक्म से उनके सामने काम काज करते थे और उनमें से जिसने हमारे हुक्म से इनहराफ़ किया है उसे हम (क़यामत में) जहन्नुम के अज़ाब का मज़ा चख़ाँएगे
Ya`malūna Lahu Mā Yashā'u Min Maĥārība Wa Tamāthīla Wa Jifānin Kāljawābi Wa QudūrinRāsiyātin ۚ A`malū 'Āla Dāwūda Shukrāan ۚ Wa Qalīlun Min `Ibādiya Ash-Shakūru
034-013 ग़रज़ सुलेमान को जो बनवाना मंज़ूर होता ये जिन्नात उनके लिए बनाते थे (जैसे) मस्जिदें, महल, क़िले और (फरिश्ते अम्बिया की) तस्वीरें और हौज़ों के बराबर प्याले और (एक जगह) गड़ी हुई (बड़ी बड़ी) देग़ें (कि एक हज़ार आदमी का खाना पक सके) ऐ दाऊद की औलाद शुक्र करते रहो और मेरे बन्दों में से शुक्र करने वाले (बन्दे) थोड़े से हैं
034-014 फिर जब हमने सुलेमान पर मौत का हुक्म जारी किया तो (मर गए) मगर लकड़ी के सहारे खड़े थे और जिन्नात को किसी ने उनके मरने का पता न बताया मगर ज़मीन की दीमक ने कि वह सुलेमान के असा को खा रही थी फिर (जब खोखला होकर टूट गया और) सुलेमान (की लाश) गिरी तो जिन्नात ने जाना कि अगर वह लोग ग़ैब वॉ (ग़ैब के जानने वाले) होते तो (इस) ज़लील करने वाली (काम करने की) मुसीबत में न मुब्तिला रहते
Laqad Kāna Lisaba'iin Fī Maskanihim 'Āyatun ۖ Jannatāni `An Yamīnin Wa Shimālin ۖ Kulū MinRizqi Rabbikum Wa Ashkurū Lahu ۚ BaldatunŢayyibatun Wa Rabbun Ghafūrun
034-015 और (क़ौम) सबा के लिए तो यक़ीनन ख़ुद उन्हीं के घरों में (कुदरते खुदा की) एक बड़ी निशानी थी कि उनके शहर के दोनों तरफ दाहिने बाएं (हरे-भरे) बाग़ात थे (और उनको हुक्म था) कि अपने परवरदिगार की दी हुई रोज़ी آाओ (पियो) और उसका शुक्र अदा करो (दुनिया में) ऐसा पाकीज़ा शहर और (आख़ेरत में) परवरदिगार सा बख्शने वाला
Fa'a`rađū Fa'arsalnā `Alayhim Sayla Al-`Arimi Wa Baddalnāhum Bijannatayhim Jannatayni Dhawātá 'Ukulin Khamţin Wa 'Athlin Wa Shay'in Min SidrinQalīlin
034-016 इस पर भी उन लोगों ने मुँह फेर लिया (और पैग़म्बरों का कहा न माना) तो हमने (एक ही बन्द तोड़कर) उन पर बड़े ज़ोरों का सैलाब भेज दिया और (उनको तबाह करके) उनके दोनों बाग़ों के बदले ऐसे दो बाग़ दिए जिनके फल बदमज़ा थे और उनमें झाऊ था और कुछ थोड़ी सी बेरियाँ थी
Wa Ja`alnā Baynahum Wa Bayna Al-Qurá Allatī Bāraknā Fīhā QuranŽāhiratan Wa Qaddarnā Fīhā As-Sayra ۖ Sīrū Fīhā Layāliya Wa 'Ayyāmāan 'Āminīna
034-018 और हम अहले सबा और (शाम) की उन बस्तियों के दरमियान जिनमें हमने बरकत अता की थी और चन्द बस्तियाँ (सरे राह) आबाद की थी जो बाहम नुमाया थीं और हमने उनमें आमद व रफ्त की राह मुक़र्रर की थी कि उनमें रातों को दिनों को (जब जी चाहे) बेखटके चलो फिरो
034-019 तो वह लोग ख़ुद कहने लगे परवरदिगार (क़रीब के सफर में लुत्फ नहीं) तो हमारे सफ़रों में दूरी पैदा कर दे और उन लोगों ने खुद अपने ऊपर ज़ुल्म किया तो हमने भी उनको (तबाह करके उनके) अफसाने बना दिए - और उनकी धज्जियाँ उड़ा के उनको तितिर बितिर कर दिया बेशक उनमें हर सब्र व शुक्र करने वालोंके वास्ते बड़ी इबरते हैं
Wa Mā Kāna Lahu `Alayhim Min Sulţānin 'Illā Lina`lama Man Yu'uminu Bil-'Ākhirati Mimman Huwa Minhā Fī Shakkin ۗ Wa Rabbuka `Alá Kulli Shay'in Ĥafīžun
034-021 और शैतान का उन लोगों पर कुछ क़ाबू तो था नहीं मगर ये (मतलब था) कि हम उन लोगों को जो आख़ेरत का यक़ीन रखते हैं उन लोगों से अलग देख लें जो उसके बारे में शक में (पड़े) हैं और तुम्हारा परवरदिगार तो हर चीज़ का निगरॉ है
Qul Ad`ū Al-Ladhīna Za`amtum Min Dūni Allāhi ۖ Lā Yamlikūna Mithqāla Dharratin Fī As-Samāwāti Wa Lā Fī Al-'Arđi Wa Mā Lahum Fīhimā MinShirkin Wa Mā Lahu Minhum MinŽahīrin
034-022 (ऐ रसूल इनसे) कह दो कि जिन लोगों को तुम खुद ख़ुदा के सिवा (माबूद) समझते हो पुकारो (तो मालूम हो जाएगा कि) वह लोग ज़र्रा बराबर न आसमानों में कुछ इख़तेयार रखते हैं और न ज़मीन में और न उनकी उन दोनों में शिरकत है और न उनमें से कोई खुदा का (किसी चीज़ में) मद्दगार है
Wa Lā Tanfa`u Ash-Shafā`atu `Indahu~ 'Illā Liman 'Adhina Lahu ۚ Ĥattá 'Idhā Fuzzi`a `AnQulūbihimQālū Mādhā Qāla Rabbukum ۖ Qālū Al-Ĥaqqa ۖ Wa Huwa Al-`Alīyu Al-Kabīru
034-023 जिसके लिए वह खुद इजाज़त अता फ़रमाए उसके सिवा कोई सिफारिश उसकी बारगाह में काम न आएगी (उसके दरबार की हैबत) यहाँ तक (है) कि जब (शिफ़ाअत का) हुक्म होता है तो शिफ़ाअत करने वाले बेहोश हो जाते हैं फिर तब उनके दिलों की घबराहट दूर कर दी जाती है तो पूछते हैं कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या हुक्म दिया
Qul Man Yarzuqukum Mina As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ Quli Allāhu ۖ Wa 'Innā 'Aw 'Īyākum La`alá Hudan 'Aw Fī Đalālin Mubīnin
034-024 तो मुक़र्रिब फरिश्ते कहते हैं कि जो वाजिबी था (ऐ रसूल) तुम (इनसे) पूछो तो कि भला तुमको सारे आसमान और ज़मीन से कौन रोज़ी देता है (वह क्या कहेंगे) तुम खुद कह दो कि खुदा और मैं या तुम (दोनों में से एक तो) ज़रूर राहे रास्त पर है (और दूसरा गुमराह) या वह सरीही गुमराही में पड़ा है (और दूसरा राहे रास्त पर)
Qul Yajma`u Baynanā Rabbunā Thumma Yaftaĥu Baynanā Bil-Ĥaqqi Wa Huwa Al-Fattāĥu Al-`Alīmu
034-026 (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि हमारा परवरदिगार (क़यामत में) हम सबको इकट्ठा करेगा फिर हमारे दरमियान (ठीक) फैसला कर देगा और वह तो ठीक-ठीक फैसला करने वाला वाक़िफकार है
Qul 'Arūniya Al-Ladhīna 'Alĥaqtum Bihi Shurakā'a ۖ Kallā ۚ Bal Huwa Allāhu Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
034-027 (ऐ रसूल तुम कह दो कि जिनको तुम ने खुदा का शरीक बनाकर) खुदा के साथ मिलाया है ज़रा उन्हें मुझे भी तो दिखा दो हरगिज़ (कोई शरीक नहीं) बल्कि खुदा ग़ालिब हिकमत वाला है
Wa Mā 'Arsalnāka 'Illā Kāffatan Lilnnāsi Bashīrāan Wa Nadhīrāan Wa Lakinna 'Akthara An-Nāsi Lā Ya`lamūna
034-028 (ऐ रसूल) हमने तुमको तमाम (दुनिया के) लोगों के लिए (नेकों को बेहश्त की) खुशखबरी देने वाला और (बन्दों को अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) बनाकर भेजा मगर बहुतेरे लोग (इतना भी) नहीं जानते
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū Lan Nu'umina Bihadhā Al-Qur'āni Wa Lā Bial-Ladhī Bayna Yadayhi ۗ Wa Law Tará 'Idhi Až-Žālimūna Mawqūfūna `Inda Rabbihim Yarji`u Ba`đuhum 'Ilá Ba`đin Al-Qawla Yaqūlu Al-Ladhīna Astuđ`ifū Lilladhīna Astakbarū Lawlā 'Antum Lakunnā Mu'uminīna
034-031 और जो लोग काफिर हों बैठे कहते हैं कि हम तो न इस क़ुरान पर हरगिज़ ईमान लाएँगे और न उस (किताब) पर जो इससे पहले नाज़िल हो चुकी और (ऐ रसूल तुमको बहुत ताज्जुब हो) अगर तुम देखो कि जब ये ज़ालिम क़यामत के दिन अपने परवरदिगार के सामने खड़े किए जायेंगे (और) उनमें का एक दूसरे की तरफ (अपनी) बात को फेरता होगा कि कमज़ोर अदना (दरजे के) लोग बड़े (सरकश) लोगों से कहते होगें कि अगर तुम (हमें) न (बहकाए) होते तो हम ज़रूर ईमानवाले होते (इस मुसीबत में न पड़ते)
034-032 तो सरकश लोग कमज़ोरों से (मुख़ातिब होकर) कहेंगे कि जब तुम्हारे पास (खुदा की तरफ़ से) हिदायत आयी तो थी तो क्या उसके आने के बाद हमने तुमको (ज़बरदस्ती अम्ल करने से) रोका था (हरगिज़ नहीं) बल्कि तुम तो खुद मुजरिम थे
Wa Qāla Al-Ladhīna Astuđ`ifū Lilladhīna Astakbarū Bal Makru Al-Layli Wa An-Nahāri 'Idh Ta'murūnanā 'An Nakfura Billāhi Wa Naj`ala Lahu~ 'Andādāan ۚ Wa 'Asarrū An-Nadāmata Lammā Ra'aw Al-`Adhāba Wa Ja`alnā Al-'Aghlāla Fī 'A`nāqi Al-Ladhīna Kafarū ۚ Hal Yujzawna 'Illā Mā Kānū Ya`malūna
034-033 और कमज़ोर लोग बड़े लोगों से कहेंगे (कि ज़बरदस्ती तो नहीं की मगर हम खुद भी गुमराह नहीं हुए) बल्कि (तुम्हारी) रात-दिन की फरेबदेही ने (गुमराह किया कि) तुम लोग हमको खुदा न मानने और उसका शरीक ठहराने का बराबर हुक्म देते रहे (तो हम क्या करते) और जब ये लोग अज़ाब को (अपनी ऑंखों से) देख लेंगे तो दिल ही दिल में पछताएँगे और जो लोग काफिर हो बैठे हम उनकी गर्दनों में तौक़ डाल देंगे जो कारस्तानियां ये लोग (दुनिया में) करते थे उसी के मुवाफिक़ तो सज़ा दी जाएगी
Qul 'Inna Rabbī Yabsuţu Ar-Rizqa Liman Yashā'u Wa Yaqdiru Wa Lakinna 'Akthara An-Nāsi Lā Ya`lamūna
034-036 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और (जिसके लिऐ चाहता है) तंग करता है मगर बहुतेरे लोग नहीं जानते हैं
Wa Mā 'Amwālukum Wa Lā 'Awlādukum Bi-Atī Tuqarribukum `Indanā Zulfá 'Illā Man 'Āmana Wa `Amila Şāliĥāan Fa'ūlā'ika Lahum Jazā'u Ađ-Đi`fi Bimā `Amilū Wa Hum Fī Al-Ghurufāti 'Āminūna
034-037 और (याद रखो) तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद की ये हस्ती नहीं कि तुम को हमारी बारगाह में मुक़र्रिब बना दें मगर (हाँ) जिसने ईमान कुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए उन लोगों के लिए तो उनकी कारगुज़ारियों की दोहरी जज़ा है और वह लोग (बेहश्त के) झरोखों में इत्मेनान से रहेंगे
Qul 'Inna Rabbī Yabsuţu Ar-Rizqa Liman Yashā'u Min `Ibādihi Wa Yaqdiru Lahu ۚ Wa Mā 'Anfaqtum MinShay'in Fahuwa Yukhlifuhu ۖ Wa Huwa Khayru Ar-Rāziqīna
034-039 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग कर देता है और जो कुछ भी तुम लोग (उसकी राह में) ख़र्च करते हो वह उसका ऐवज देगा और वह तो सबसे बेहतर रोज़ी देनेवाला है
Wa Yawma Yaĥshuruhum Jamī`āanThumma Yaqūlu Lilmalā'ikati 'Ahā'uulā' 'Īyākum Kānū Ya`budūna
034-040 और (वह दिन याद करो) जिस दिन सब लोगों को इकट्ठा करेगा फिर फरिश्तों से पूछेगा कि क्या ये लोग तुम्हारी परसतिश करते थे फरिश्ते अर्ज़ करेंगे (बारे इलाहा) तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है
Qālū Subĥānaka 'Anta Walīyunā Min Dūnihim ۖ Bal Kānū Ya`budūna Al-Jinna ۖ 'Aktharuhum Bihim Mu'uminūna
034-041 तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे
Fālyawma Lā Yamliku Ba`đukum Liba`đin Naf`āan Wa Lā Đarrāan Wa Naqūlu Lilladhīna Žalamū Dhūqū `Adhāba An-Nāri Allatī Kuntum Bihā Tukadhdhibūn
034-042 तब (खुदा फरमाएगा) आज तो तुममें से कोई न दूसरे के फायदे ही पहुँचाने का इख्तेयार रखता है और न ज़रर का और हम सरकशों से कहेंगे कि (आज) उस अज़ाब के मज़े चखो जिसे तुम (दुनिया में) झुठलाया करते थे
034-043 और जब उनके सामने हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें पढ़ी जाती थीं तो बाहम कहते थे कि ये (रसूल) भी तो बस (हमारा ही जैसा) आदमी है ये चाहता है कि जिन चीज़ों को तुम्हारे बाप-दादा पूजते थे (उनकी परसतिश) से तुम को रोक दें और कहने लगे कि ये (क़ुरान) तो बस निरा झूठ है और अपने जी का गढ़ा हुआ है और जो लोग काफ़िर हो बैठो जब उनके पास हक़ बात आयी तो उसके बारे में कहने लगे कि ये तो बस खुला हुआ जादू है
Wa Mā 'Ātaynāhum Min Kutubin Yadrusūnahā ۖ Wa Mā 'Arsalnā 'IlayhimQablaka Min Nadhīrin
034-044 और (ऐ रसूल) हमने तो उन लोगों को न (आसमानी) किताबें अता की तुम्हें जिन्हें ये लोग पढ़ते और न तुमसे पहले इन लोगों के पास कोई डरानेवाला (पैग़म्बर) भेजा (उस पर भी उन्होंने क़द्र न की)
Wa Kadhdhaba Al-Ladhīna MinQablihim Wa Mā Balaghū Mi`shāra Mā 'Ātaynāhum Fakadhdhabū Rusulī ۖ Fakayfa Kāna Nakīri
034-045 और जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया था हालॉकि हमने जितना उन लोगों को दिया था ये लोग (अभी) उसके दसवें हिस्सा को (भी) नहीं पहुँचे उस पर उन लोगों न मेरे (पैग़म्बरों को) झुठलाया था तो तुमने देखा कि मेरा (अज़ाब उन पर) कैसा सख्त हुआ
Qul 'Innamā 'A`ižukum Biwāĥidatin ۖ 'An Taqūmū Lillāh Mathná Wa Furādá Thumma Tatafakkarū ۚ Mā Bişāĥibikum Min Jinnatin ۚ 'In Huwa 'Illā Nadhīrun Lakum Bayna Yaday `AdhābinShadīdin
034-046 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुमसे नसीहत की बस एक बात कहता हूँ (वह) ये (है) कि तुम लोग बाज़ खुदा के वास्ते एक-एक और दो-दो उठ खड़े हो और अच्छी तरह ग़ौर करो तो (देख लोगे कि) तुम्हारे रफीक़ (मोहम्मद स0) को किसी तरह का जुनून नहीं वह तो बस तुम्हें एक सख्त अज़ाब (क़यामत) के सामने (आने) से डराने वाला है
Qul Mā Sa'altukum Min 'Ajrin Fahuwa Lakum ۖ 'In 'Ajriya 'Illā `Alá Allāhi ۖ Wa Huwa `Alá Kulli Shay'inShahīdun
034-047 (ऐ रसूल) तुम (ये भी) कह दो कि (तबलीख़े रिसालत की) मैंने तुमसे कुछ उजरत माँगी हो तो वह तुम्हीं को (मुबारक) हो मेरी उजरत तो बस खुदा पर है और वही (तुम्हारे आमाल अफआल) हर चीज़ से खूब वाक़िफ है
034-050 (ऐ रसूल) तुम ये भी कह दो कि अगर मैं गुमराह हो गया हूँ तो अपनी ही जान पर मेरी गुमराही (का वबाल) है और अगर मैं राहे रास्त पर हूँ तो इस ''वही'' के तुफ़ैल से जो मेरा परवरदिगार मेरी तरफ़ भेजता है बेशक वह सुनने वाला (और बहुत) क़रीब है
Wa Qālū 'Āmannā Bihi Wa 'Anná Lahumu At-Tanāwushu Min Makānin Ba`īdin
034-052 और आस ही पास से (बाआसानी) गिरफ्तार कर लिए जाएँगे और (उस वक्त बेबसी में) कहेंगे कि अब हम रसूलों पर ईमान लाए और इतनी दूर दराज़ जगह से (ईमान पर) उनका दसतरस (पहुँचना) कहाँ मुमकिन है
Wa Ĥīla Baynahum Wa Bayna Mā Yashtahūna Kamā Fu`ila Bi'ashyā`ihim MinQablu ۚ 'Innahum Kānū Fī Shakkin Murībin
034-054 और अब तो उनके और उनकी तमन्नाओं के दरमियान (उसी तरह) पर्दा डाल दिया गया है जिस तरह उनसे पहले उनके हमरंग लोगों के साथ (यही बरताव) किया जा चुका इसमें शक नहीं कि वह लोग बड़े बेचैन करने वाले शक में पड़े हुए थे