Al-Ladhī Lahu Mulku As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Lam Yattakhidh Waladāan Wa Lam Yakun Lahu Sharīkun Fī Al-Mulki Wa Khalaqa Kulla Shay'in Faqaddarahu Taqdīrāan
025-002 वह खुदा कि सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत उसी की है और उसने (किसी को) न अपना लड़का बनाया और न सल्तनत में उसका कोई शरीक है और हर चीज़ को (उसी ने पैदा किया) फिर उस अन्दाज़े से दुरुस्त किया
Wa Attakhadhū Min Dūnihi~ 'Ālihatan Lā Yakhluqūna Shay'āan Wa Hum Yukhlaqūna Wa Lā Yamlikūna Li'nfusihimĐarrāan Wa Lā Naf`āan Wa Lā Yamlikūna Mawtāan Wa Lā Ĥayāatan Wa Lā Nushūrāan
025-003 और लोगों ने उसके सिवा दूसरे दूसरे माबूद बना रखें हैं जो कुछ भी पैदा नहीं कर सकते बल्कि वह खुद दूसरे के पैदा किए हुए हैं और वह खुद अपने लिए भी न नुक़सान पर क़ाबू रखते हैं न नफा पर और न मौत ही पर एख़्तियार रखते हैं और न ज़िन्दगी पर और न मरने बाद जी उठने पर
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū 'In Hādhā 'Illā 'Ifkun Aftarāhu Wa 'A`ānahu `Alayhi Qawmun 'Ākharūna ۖ Faqad Jā'ūŽulmāan Wa Zūrāan
025-004 और जो लोग काफिर हो गए बोल उठे कि ये (क़ुरान) तो निरा झूठ है जिसे उस शख्स (रसूल) ने अपने जी से गढ़ लिया और कुछ और लोगों ने इस इफतिरा परवाज़ी में उसकी मदद भी की है
Wa Qālū 'Asāţīru Al-'Awwalīna Aktatabahā Fahiya Tumlá `Alayhi Bukratan Wa 'Aşīlāan
025-005 तो यक़ीनन ख़ुद उन ही लोगों ने ज़ुल्म व फरेब किया है और (ये भी) कहा कि (ये तो) अगले लोगों के ढकोसले हैं जिसे उसने किसी से लिखवा लिया है पस वही सुबह व शाम उसके सामने पढ़ा जाता है
Wa Qālū Māli Hādhā Ar-Rasūli Ya'kulu Aţ-Ţa`āma Wa Yamshī Fī Al-'Aswāqi ۙ Lawlā 'Unzila 'Ilayhi Malakun Fayakūna Ma`ahu Nadhīrāan
025-007 और उन लोगों ने (ये भी) कहा कि ये कैसा रसूल है जो खाना खाता है और बाज़ारों में चलता है फिरता है उसके पास कोई फरिश्ता क्यों नहीं नाज़िल होता कि वह भी उसके साथ (ख़ुदा के अज़ाब से) डराने वाला होता
025-008 (कम से कम) इसके पास ख़ज़ाना ही ख़ज़ाना ही (आसमान से) गिरा दिया जाता या (और नहीं तो) उसके पास कोई बाग़ ही होता कि उससे खाता (पीता) और ये ज़ालिम (कुफ्फ़ार मोमिनों से) कहते हैं कि तुम लोग तो बस ऐसे आदमी की पैरवी करते हो जिस पर जादू कर दिया गया है
Tabāraka Al-Ladhī 'InShā'a Ja`ala Laka Khayrāan MinDhālika Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'Anhāru Wa Yaj`al Laka Quşūrāan
025-010 ख़ुदा तो ऐसा बारबरकत है कि अगर चाहे तो (एक बाग़ क्या चीज़ है) इससे बेहतर बहुतेरे ऐसे बाग़ात तुम्हारे वास्ते पैदा करे जिन के नीचे नहरें जारी हों और (बाग़ात के अलावा उनमें) तुम्हारे वास्ते महल बना दे
Bal Kadhdhabū Bis-Sā`ati ۖ Wa 'A`tadnā Liman Kadhdhaba Bis-Sā`ati Sa`īrāan
025-011 (ये सब कुछ नहीं) बल्कि (सच यूँ है कि) उन लोगों ने क़यामत ही को झूठ समझा है और जिस शख्स ने क़यामत को झूठ समझा उसके लिए हमने जहन्नुम को (दहका के) तैयार कर रखा है
025-015 (ऐ रसूल) तुम पूछो तो कि जहन्नुम बेहतर है या हमेशा रहने का बाग़ (बेहश्त) जिसका परहेज़गारों से वायदा किया गया है कि वह उन (के आमाल) का सिला होगा और आख़िरी ठिकाना
025-016 जिस चीज़ की ख्वाहिश करेंगें उनके लिए वहाँ मौजूद होगी (और) वह हमेशा (उसी हाल में) रहेंगें ये तुम्हारे परवरदिगार पर एक लाज़िमी और माँगा हुआ वायदा है
Wa Yawma Yaĥshuruhum Wa Mā Ya`budūna Min Dūni Allāhi Fayaqūlu 'A'antum 'Ađlaltum `Ibādī Hā'uulā' 'Am HumĐallū As-Sabīla
025-017 और जिस दिन ख़ुदा उन लोगों को और जिनकी ये लोग ख़ुदा को छोड़कर परसतिश किया करते हैं (उनको) जमा करेगा और पूछेगा क्या तुम ही ने हमारे उन बन्दों को गुमराह कर दिया था या ये लोग खुद राह रास्ते से भटक गए थे
Qālū Subĥānaka Mā Kāna Yanbaghī Lanā 'An Nattakhidha Min Dūnika Min 'Awliyā'a Wa Lakin Matta`tahum Wa 'Ābā'ahum Ĥattá Nasū Adh-Dhikra Wa Kānū Qawmāan Būrāan
025-018 (उनके माबूद) अर्ज़ करेंगें- सुबहान अल्लाह (हम तो ख़ुद तेरे बन्दे थे) हमें ये किसी तरह ज़ेबा न था कि हम तुझे छोड़कर दूसरे को अपना सरपरस्त बनाते (फिर अपने को क्यों कर माबूद बनाते) मगर बात तो ये है कि तू ही ने इनको बाप दादाओं को चैन दिया-यहाँ तक कि इन लोगों ने (तेरी) याद भुला दी और ये ख़ुद हलाक होने वाले लोग थे
Faqad Kadhdhabūkum Bimā Taqūlūna Famā Tastaţī`ūna Şarfāan Wa Lā Naşrāan ۚ Wa Man Yažlim Minkum Nudhiqhu `Adhābāan Kabīrāan
025-019 तब (काफ़िरों से कहा जाएगा कि) तुम जो कुछ कह रहे हो उसमें तो तुम्हारे माबूदों ने तुम्हें झूठला दिया तो अब तुम न (हमारे अज़ाब के) टाल देने की सकत रखते हो न किसी से मदद ले सकते हो और (याद रखो) तुममें से जो ज़ुल्म करेगा हम उसको बड़े (सख्त) अज़ाब का (मज़ा) चखाएगें
Wa Mā 'Arsalnā Qablaka Mina Al-Mursalīna 'Illā 'Innahum Laya'kulūna Aţ-Ţa`āma Wa Yamshūna Fī Al-'Aswāqi ۗ Wa Ja`alnā Ba`đakum Liba`đin Fitnatan 'Ataşbirūna ۗ Wa Kāna Rabbuka Başīrāan
025-020 और (ऐ रसूल) हमने तुम से पहले जितने पैग़म्बर भेजे वह सब के सब यक़ीनन बिला शक खाना खाते थे और बाज़ारों में चलते फिरते थे और हमने तुम में से एक को एक का (ज़रिया) आज़माइश बना दिया (मुसलमानों) क्या तुम अब भी सब्र करते हो (या नहीं) और तुम्हारा परवरदिगार (सब की) देख भाल कर रहा है
025-021 और जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आख़िर फरिश्ते हमारे पास क्यों नहीं नाज़िल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देखते उन लोगों ने अपने जी में अपने को (बहुत) बड़ा समझ लिया है और बड़ी सरकशी की
Wa Qāla Al-Ladhīna Kafarū Lawlā Nuzzila `Alayhi Al-Qur'ānu Jumlatan Wāĥidatan ۚ Kadhālika Linuthabbita Bihi Fu'uādaka ۖ Wa Rattalnāhu Tartīlāan
025-032 और कुफ्फार कहने लगे कि उनके ऊपर (आख़िर) क़ुरान का कुल (एक ही दफा) क्यों नहीं नाज़िल किया गया (हमने) इस तरह इसलिए (नाज़िल किया) ताकि तुम्हारे दिल को तस्कीन देते रहें और हमने इसको ठहर ठहर कर नाज़िल किया
025-036 तो हमने कहा तुम दोनों उन लोगों के पास जा जो हमारी (कुदरत की) निशानियों को झुठलाते हैं जाओ (और समझाओ जब न माने) तो हमने उन्हें खूब बरबाद कर डाला
Wa Qawma Nūĥin Lammā Kadhdhabū Ar-Rusula 'Aghraqnāhum Wa Ja`alnāhum Lilnnāsi 'Āyatan ۖ Wa 'A`tadnā Lilžžālimīna `Adhābāan 'Alīmāan
025-037 और नूह की क़ौम को जब उन लोगों ने (हमारे) पैग़म्बरों को झुठलाया तो हमने उन्हें डुबो दिया और हमने उनको लोगों (के हैरत) की निशानी बनाया और हमने ज़ालिमों के वास्ते दर्दनाक अज़ाब तैयार कर रखा है
Wa Laqad 'Ataw `Alá Al-Qaryati Allatī 'Umţirat Maţara As-Saw'i ۚ 'Afalam Yakūnū Yarawnahā ۚ Bal Kānū Lā Yarjūna Nushūrāan
025-040 हमने उनको ख़ूब सत्यानास कर छोड़ा और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) उस बस्ती पर (हो) आए हैं जिस पर (पत्थरों की) बुरी बारिश बरसाई गयी तो क्या उन लोगों ने इसको देखा न होगा मगर (बात ये है कि) ये लोग मरने के बाद जी उठने की उम्मीद नहीं रखते (फिर क्यों ईमान लाएँ)
025-041 और (ऐ रसूल) ये लोग तुम्हें जब देखते हैं तो तुम से मसख़रा पन ही करने लगते हैं कि क्या यही वह (हज़रत) हैं जिन्हें अल्लाह ने रसूल बनाकर भेजा है (माज़ अल्लाह)
'In Kāda Layuđillunā `An 'Ālihatinā Lawlā 'AnŞabarnā `Alayhā ۚ Wa Sawfa Ya`lamūna Ĥīna Yarawna Al-`Adhāba Man 'Ađallu Sabīlāan
025-042 अगर बुतों की परसतिश पर साबित क़दम न रहते तो इस शख्स ने हमको हमारे माबूदों से बहका दिया था और बहुत जल्द (क़यामत में) जब ये लोग अज़ाब को देखेंगें तो उन्हें मालूम हो जाएगा कि राहे रास्त से कौन ज्यादा भटका हुआ था
'Ara'ayta Mani Attakhadha 'Ilahahu Hawāhu 'Afa'anta Takūnu `Alayhi Wa Kīlāan
025-043 क्या तुमने उस शख्स को भी देखा है जिसने अपनी नफ़सियानी ख्वाहिश को अपना माबूद बना रखा है तो क्या तुम उसके ज़िम्मेदार हो सकते हो (कि वह गुमराह न हों)
025-044 क्या ये तुम्हारा ख्याल है कि इन (कुफ्फ़ारों) में अक्सर (बात) सुनते या समझते है (नहीं) ये तो बस बिल्कुल मिसल जानवरों के हैं बल्कि उन से भी ज्यादा राह (रास्त) से भटके हुए
'Alam Tará 'Ilá Rabbika Kayfa Madda Až-Žilla Wa Law Shā'a Laja`alahu SākināanThumma Ja`alnā Ash-Shamsa `Alayhi Dalīlāan
025-045 (ऐ रसूल) क्या तुमने अपने परवरदिगार की कुदरत की तरफ नज़र नहीं की कि उसने क्योंकर साये को फैला दिया अगर वह चहता तो उसे (एक ही जगह) ठहरा हुआ कर देता फिर हमने आफताब को (उसकी शिनाख्त के वास्ते) उसका रहनुमा बना दिया
Wa Huwa Al-Ladhī 'Arsala Ar-Riyāĥa Bushrāan Bayna Yaday Raĥmatihi ۚ Wa 'Anzalnā Mina As-Samā'i Mā'anŢahūrāan
025-048 और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने अपनी रहमत (बारिश) के आगे आगे हवाओं को खुश ख़बरी देने के लिए (पेश ख़ेमा बना के) भेजा और हम ही ने आसमान से बहुत पाक और सुथरा हुआ पानी बरसाया
Wa Huwa Al-Ladhī Maraja Al-Baĥrayni Hādhā `Adhbun Furātun Wa Hadhā Milĥun 'Ujājun Wa Ja`ala Baynahumā Barzakhāan Wa Ĥijrāan Maĥjūrāan
025-053 और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने दरयाओं को आपस में मिला दिया (और बावजूद कि) ये खालिस मज़ेदार मीठा है और ये बिल्कुल खारी कड़वा (मगर दोनों को मिलाया) और दोनों के दरमियान एक आड़ और मज़बूत ओट बना दी है (कि गड़बड़ न हो)
Wa Huwa Al-Ladhī Khalaqa Mina Al-Mā'i Basharāan Faja`alahu Nasabāan Wa Şihrāan ۗ Wa Kāna Rabbuka Qadīrāan
025-054 और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने पानी (मनी) से आदमी को पैदा किया फिर उसको ख़ानदान और सुसराल वाला बनाया और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa Ya`budūna Min Dūni Allāhi Mā Lā Yanfa`uhum Wa Lā Yađurruhum ۗ Wa Kāna Al-Kāfiru `Alá Rabbihi Žahīrāan
025-055 और लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) ख़ुदा को छोड़कर उस चीज़ की परसतिश करते हैं जो न उन्हें नफा ही दे सकती है और न नुक़सान ही पहुँचा सकती है और काफिर (अबूजहल) तो हर वक्त अपने परवरदिगार की मुख़ालेफत पर ज़ोर लगाए हुए है
025-057 और उन लोगों से तुम कह दो कि मै इस (तबलीगे रिसालत) पर तुमसे कुछ मज़दूरी तो माँगता नहीं हूँ मगर तमन्ना ये है कि जो चाहे अपने परवरदिगार तक पहुँचने की राह पकडे
Wa Tawakkal `Alá Al-Ĥayyi Al-Ladhī Lā Yamūtu Wa Sabbiĥ Biĥamdihi ۚ Wa Kafá Bihi Bidhunūbi `Ibādihi Khabīrāan
025-058 और (ऐ रसूल) तुम उस (ख़ुदा) पर भरोसा रखो जो ऐसा ज़िन्दा है कि कभी नहीं मरेगा और उसकी हम्द व सना की तस्बीह पढ़ो और वह अपने बन्दों के गुनाहों की वाक़िफ कारी में काफी है (वह ख़ुद समझ लेगा)
Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Wa Mā Baynahumā Fī Sittati 'AyyāminThumma Astawá `Alá Al-`Arshi ۚ Ar-Raĥmānu Fās'al Bihi Khabīrāan
025-059 जिसने सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उन दोनों में है छह: दिन में पैदा किया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और वह बड़ा मेहरबान है तो तुम उसका हाल किसी बाख़बर ही से पूछना
Wa 'Idhā Qīla LahumAsjudū Lilrraĥmani Qālū Wa Mā Ar-Raĥmānu 'Anasjudu Limā Ta'murunā Wa Zādahum Nufūrāan
025-060 और जब उन कुफ्फारों से कहा जाता है कि रहमान (ख़ुदा) को सजदा करो तो कहते हैं कि रहमान क्या चीज़ है तुम जिसके लिए कहते हो हम उस का सजदा करने लगें और (इससे) उनकी नफरत और बढ़ जाती है (60) सजदा
Wa Huwa Al-Ladhī Ja`ala Al-Layla Wa An-NahāraKhilfatan Liman 'Arāda 'An Yadhdhakkara 'Aw 'Arāda Shukūrāan
025-062 और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने रात और दिन (एक) को (एक का) जानशीन बनाया (ये) उस के (समझने के) लिए है जो नसीहत हासिल करना चाहे या शुक्र गुज़ारी का इरादा करें
Wa `Ibādu Ar-Raĥmāni Al-Ladhīna Yamshūna `Alá Al-'Arđi Hawnāan Wa 'Idhā Khāţabahumu Al-Jāhilūna Qālū Salāmāan
025-063 और (ख़ुदाए) रहमान के ख़ास बन्दे तो वह हैं जो ज़मीन पर फिरौतनी के साथ चलते हैं और जब जाहिल उनसे (जिहालत) की बात करते हैं तो कहते हैं कि सलाम (तुम सलामत रहो)
Wa Al-Ladhīna Lā Yad`ūna Ma`a Allāhi 'Ilahāan 'Ākhara Wa Lā Yaqtulūna An-Nafsa Allatī Ĥarrama Allāhu 'Illā Bil-Ĥaqqi Wa Lā Yaznūna ۚ Wa Man Yaf`al Dhālika Yalqa 'Athāmāan
025-068 और वह लोग जो ख़ुदा के साथ दूसरे माबूदों की परसतिश नही करते और जिस जान के मारने को ख़ुदा ने हराम कर दिया है उसे नाहक़ क़त्ल नहीं करते और न ज़िना करते हैं और जो शख्स ऐसा करेगा वह आप अपने गुनाह की सज़ा भुगतेगा
'Illā Man Tāba Wa 'Āmana Wa `Amila `AmalāanŞāliĥāan Fa'ūlā'ika Yubaddilu Allāhu Sayyi'ātihim Ĥasanātin ۗ Wa Kāna Allāhu GhafūrāanRaĥīmāan
025-070 मगर (हाँ) जिस शख्स ने तौबा की और ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए तो (अलबत्ता) उन लोगों की बुराइयों को ख़ुदा नेकियों से बदल देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
025-077 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर दुआ नही किया करते तो मेरा परवरदिगार भी तुम्हारी कुछ परवाह नही करता तुमने तो (उसके रसूल को) झुठलाया तो अन क़रीब ही (उसका वबाल) तुम्हारे सर पडेग़ा