LāhiyatanQulūbuhum ۗ Wa 'Asarrū An-Najwá Al-Ladhīna Žalamū Hal Hādhā 'Illā Basharun Mithlukum ۖ 'Afata'tūna As-Siĥra Wa 'Antum Tubşirūna
021-003 उनके दिल (आख़िरत के ख्याल से) बिल्कुल बेख़बर हैं और ये ज़ालिम चुपके-चुपके कानाफूसी किया करते हैं कि ये शख्स (मोहम्मद कुछ भी नहीं) बस तुम्हारे ही सा आदमी है तो क्या तुम दीन व दानिस्ता जादू में फँसते हो
Qāla Rabbī Ya`lamu Al-Qawla Fī As-Samā'i Wa Al-'Arđi ۖ Wa Huwa As-Samī`u Al-`Alīmu
021-004 (तो उस पर) रसूल ने कहा कि मेरा परवरदिगार जितनी बातें आसमान और ज़मीन में होती हैं खूब जानता है (फिर क्यों कानाफूसी करते हो) और वह तो बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है
Bal Qālū 'Ađghāthu 'Aĥlāmin Bal Aftarāhu Bal Huwa Shā`irun Falya'tinā Bi'āyatin Kamā 'Ursila Al-'Awwalūna
021-005 (उस पर भी उन लोगों ने इक्तिफ़ा न की) बल्कि कहने लगे (ये कुरान तो) ख़ाबहाय परीशाँ का मजमूआ है बल्कि उसने खुद अपने जी से झूट-मूट गढ़ लिया है बल्कि ये शख्स शायर है और अगर हक़ीकतन रसूल है) तो जिस तरह अगले पैग़म्बर मौजिज़ों के साथ भेजे गए थे
021-007 तो क्या ये लोग ईमान लाएँगे और ऐ रसूल हमने तुमसे पहले भी आदमियों ही को (रसूल बनाकर) भेजा था कि उनके पास ''वही'' भेजा करते थे तो अगर तुम लोग खुद नहीं जानते हो तो आलिमों से पूँछकर देखो
Thumma Şadaqnāhumu Al-Wa`da Fa'anjaynāhum Wa Man Nashā'u Wa 'Ahlaknā Al-Musrifīna
021-009 फिर हमने उन्हें (अपना अज़ाब का) वायदा सच्चा कर दिखाया (और जब अज़ाब आ पहुँचा) तो हमने उन पैग़म्बरों को और जिस जिसको चाहा छुटकारा दिया और हद से बढ़ जाने वालों को हलाक कर डाला
Bal Naqdhifu Bil-Ĥaqqi `Alá Al-Bāţili Fayadmaghuhu Fa'idhā Huwa Zāhiqun ۚ Wa Lakumu Al-Waylu Mimmā Taşifūna
021-018 बल्कि हम तो हक़ को नाहक़ (के सर) पर खींच मारते हैं तो वह बिल्कुल के सर को कुचल देता है फिर वह उसी वक्त नेस्तवेनाबूद हो जाता है और तुम पर अफ़सोस है कि ऐसी-ऐसी नाहक़ बातें बनाये करते हो
Wa Lahu Man Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۚ Wa Man `Indahu Lā Yastakbirūna `An `Ibādatihi Wa Lā Yastaĥsirūna
021-019 हालाँकि जो लोग (फरिश्ते) आसमान और ज़मीन में हैं (सब) उसी के (बन्दे) हैं और जो (फरिश्ते) उस सरकार में हैं न तो वह उसकी इबादत की शेख़ी करते हैं और न थकते हैं
021-022 अगर बफ़रने मुहाल) ज़मीन व आसमान में खुदा कि सिवा चन्द माबूद होते तो दोनों कब के बरबाद हो गए होते तो जो बातें ये लोग अपने जी से (उसके बारे में) बनाया करते हैं खुदा जो अर्श का मालिक है उन तमाम ऐबों से पाक व पाकीज़ा है
'AmAttakhadhū Min Dūnihi~ 'Ālihatan ۖ Qul Hātū Burhānakum ۖ Hādhā Dhikru Man Ma`iya Wa Dhikru ManQablī ۗ Bal 'Aktharuhum Lā Ya`lamūna Al-Ĥaqqa ۖ Fahum Mu`riđūna
021-024 (हाँ) और उन लोगों से बाज़पुर्स होगी क्या उन लोगों ने खुदा को छोड़कर कुछ और माबूद बना रखे हैं (ऐ रसूल) तुम कहो कि भला अपनी दलील तो पेश करो जो मेरे (ज़माने में) साथ है उनकी किताब (कुरान) और जो लोग मुझ से पहले थे उनकी किताबें (तौरेत वग़ैरह) ये (मौजूद) हैं (उनमें खुदा का शरीक बता दो) बल्कि उनमें से अक्सर तो हक़ (बात) को तो जानते ही नहीं
021-025 तो (जब हक़ का ज़िक्र आता है) ये लोग मुँह फेर लेते हैं और (ऐ रसूल) हमने तुमसे पहले जब कभी कोई रसूल भेजा तो उसके पास ''वही'' भेजते रहे कि बस हमारे सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं तो मेरी इबादत किया करो
Wa Qālū Attakhadha Ar-Raĥmānu Waladāan ۗ Subĥānahu ۚ Bal `Ibādun Mukramūna
021-026 और (अहले मक्का) कहते हैं कि खुदा ने (फरिश्तों को) अपनी औलाद (बेटियाँ) बना रखा है (हालाँकि) वह उससे पाक व पकीज़ा हैं बल्कि (वह फ़रिश्ते) (खुदा के) मोअज्ज़ि बन्दे हैं
Ya`lamu Mā Bayna 'Aydīhim Wa Mā Khalfahum Wa Lā Yashfa`ūna 'Illā Limani Artađá Wa Hum Min Khashyatihi Mushfiqūna
021-028 जो कुछ उनके सामने है और जो कुछ उनके पीछे है (ग़रज़ सब कुछ) वह (खुदा) जानता है और ये लोग उस शख्स के सिवा जिससे खुदा राज़ी हो किसी की सिफारिश भी नहीं करते और ये लोग खुद उसके ख़ौफ से (हर वक्त) ड़रते रहते हैं
Wa Man Yaqul Minhum 'Innī 'Ilahun Min Dūnihi Fadhālika Najzīhi Jahannama ۚ Kadhālika Najzī Až-Žālimīna
021-029 और उनमें से जो कोई ये कह दे कि खुदा नहीं (बल्कि) मैं माबूद हूँ तो वह (मरदूद बारगाह हुआ) हम उसको जहन्नुम की सज़ा देंगे और सरकशों को हम ऐसी ही सज़ा देते हैं
'Awalam Yará Al-Ladhīna Kafarū 'Anna As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Kānatā Ratqāan Fafataqnāhumā ۖ Wa Ja`alnā Mina Al-Mā'i Kulla Shay'in Ĥayyin ۖ 'Afalā Yu'uminūna
021-030 जो लोग काफिर हो बैठे क्या उन लोगों ने इस बात पर ग़ौर नहीं किया कि आसमान और ज़मीन दोनों बस्ता (बन्द) थे तो हमने दोनों को शिगाफ़ता किया (खोल दिया) और हम ही ने जानदार चीज़ को पानी से पैदा किया इस पर भी ये लोग ईमान न लाएँगे
Wa Ja`alnā Fī Al-'Arđi Rawāsiya 'An Tamīda Bihim Wa Ja`alnā Fīhā Fijājāan Subulāan La`allahum Yahtadūna
021-031 और हम ही ने ज़मीन पर भारी बोझल पहाड़ बनाए ताकि ज़मीन उन लोगों को लेकर किसी तरफ झुक न पड़े और हम ने ही उसमें लम्बे-चौड़े रास्ते बनाए ताकि ये लोग अपने-अपने मंज़िलें मक़सूद को जा पहुँचे
Kullu NafsinDhā'iqatu Al-Mawti ۗ Wa Nablūkum Bish-Sharri Wa Al-Khayri Fitnatan ۖ Wa 'Ilaynā Turja`ūna
021-035 (हर शख्स एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है और हम तुम्हें मुसीबत व राहत में इम्तिहान की ग़रज़ से आज़माते हैं और (आख़िकार) हमारी ही तरफ लौटाए जाओगे
Wa 'Idhā Ra'āka Al-Ladhīna Kafarū 'In Yattakhidhūnaka 'Illā Huzūan 'Ahadhā Al-Ladhī Yadhkuru 'Ālihatakum Wa Hum Bidhikri Ar-Raĥmāni Hum Kāfirūna
021-036 और (ऐ रसूल) जब तुम्हें कुफ्फ़ार देखते हैं तो बस तुमसे मसखरापन करते हैं कि क्या यही हज़रत हैं जो तुम्हारे माबूदों को (बुरी तरह) याद करते हैं हालाँकि ये लोग खुद खुदा की याद से इन्कार करते हैं (तो इनकी बेवकूफ़ी पर हँसना चाहिए)
Law Ya`lamu Al-Ladhīna Kafarū Ĥīna Lā Yakuffūna `An Wujūhihimu An-Nāra Wa Lā `AnŽuhūrihim Wa Lā Hum Yunşarūna
021-039 और जो लोग काफ़िर हो बैठे काश उस वक्त क़ी हालत से आगाह होते (कि जहन्नुम की आग में खडे होंगे) और न अपने चेहरों से आग को हटा सकेंगे और न अपनी पीठ से और न उनकी मदद की जाएगी
Bal Ta'tīhim Baghtatan Fatabhatuhum Falā Yastaţī`ūna Raddahā Wa Lā Hum Yunžarūna
021-040 (क़यामत कुछ जता कर तो आने से रही) बल्कि वह तो अचानक उन पर आ पड़ेगी और उन्हें हक्का बक्का कर देगी फिर उस वक्त उसमें न उसके हटाने की मजाल होगी और न उन्हें ही दी जाएगी
021-041 और (ऐ रसूल) कुछ तुम ही नहीं तुमसे पहले पैग़म्बरों के साथ मसख़रापन किया जा चुका है तो उन पैग़म्बरों से मसखरापन करने वालों को उस सख्त अज़ाब ने आ घेर लिया जिसकी वह हँसी उड़ाया करते थे
Qul Man Yakla'uukum Bil-Layli Wa An-Nahāri Mina Ar-Raĥmāni ۗ Bal Hum `AnDhikri Rabbihim Mu`riđūna
021-042 (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि खुदा (के अज़ाब) से (बचाने में) रात को या दिन को तुम्हारा कौन पहरा दे सकता है उस पर डरना तो दर किनार बल्कि ये लोग अपने परवरदिगार की याद से मुँह फेरते हैं
'Am Lahum 'Ālihatun Tamna`uhum Min Dūninā ۚ Lā Yastaţī`ūna Naşra 'Anfusihim Wa Lā Hum Minnā Yuşĥabūna
021-043 क्या हमरो सिवा उनके कुछ और परवरदिगार हैं कि जो उनको (हमारे अज़ाब से) बचा सकते हैं (वह क्या बचाएँगे) ये लोग खुद अपनी आप तो मदद कर ही नहीं सकते और न हमारे अज़ाब से उन्हें पनाह दी जाएगी
Bal Matta`nā Hā'uulā' Wa 'Ābā'ahum Ĥattá Ţāla `Alayhimu Al-`Umuru ۗ 'Afalā Yarawna 'Annā Na'tī Al-'Arđa Nanquşuhā Min 'Aţrāfihā ۚ 'Afahumu Al-Ghālibūna
021-044 बल्कि हम ही ने उनको और उनके बुर्जुग़ों को आराम व चैन रहा यहाँ तक कि उनकी उम्रें बढ़ गई तो फिर क्या ये लोग नहीं देखते कि हम रूए ज़मीन को चारों तरफ से क़ब्ज़ा करते और उसको फतेह करते चले आते हैं तो क्या (अब भी यही लोग कुफ्फ़ारे मक्का) ग़ालिब और वर हैं
021-045 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तो बस तुम लोगों को ''वही'' के मुताबिक़ (अज़ाब से) डराता हूँ (मगर तुम लोग गोया बहरे हो) और बहरों को जब डराया जाता है तो वह पुकारने ही को नहीं सुनते (डरें क्या ख़ाक)
Wa Nađa`u Al-Mawāzīna Al-Qisţa Liyawmi Al-Qiyāmati Falā Tužlamu NafsunShay'āan ۖ Wa 'In Kāna Mithqāla Ĥabbatin Min Khardalin 'Ataynā Bihā ۗ Wa Kafá Binā Ĥāsibīna
021-047 और क़यामत के दिन तो हम (बन्दों के भले बुरे आमाल तौलने के लिए) इन्साफ़ की तराज़ू में खड़ी कर देंगे तो फिर किसी शख्स पर कुछ भी ज़ुल्म न किया जाएगा और अगर राई के दाने के बराबर भी किसी का (अमल) होगा तो तुम उसे ला हाज़िर करेंगे और हम हिसाब करने के वास्ते बहुत काफ़ी हैं
Qāla BalRabbukumRabbu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Al-Ladhī Faţarahunna Wa 'Anā `Alá Dhālikum Mina Ash-Shāhidīna
021-056 इबराहीम ने कहा मज़ाक नहीं ठीक कहता हूँ कि तुम्हारे माबूद व बुत नहीं बल्कि तुम्हारा परवरदिगार आसमान व ज़मीन का मालिक है जिसने उनको पैदा किया और मैं खुद इस बात का तुम्हारे सामने गवाह हूँ
Qāla 'Afata`budūna Min Dūni Allāhi Mā Lā Yanfa`ukumShay'āan Wa Lā Yađurrukum
021-066 (फिर इनसे क्या पूछे) इबराहीम ने कहा तो क्या तुम लोग खुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ों की परसतिश करते हो जो न तुम्हें कुछ नफा ही पहुँचा सकती है और न तुम्हारा कुछ नुक़सान ही कर सकती है
Wa Najjaynāhu Wa Lūţāan 'Ilá Al-'Arđi Allatī Bāraknā Fīhā Lil`ālamīna
021-071 और हम ने ही इबराहीम और लूत को (सरकशों से) सही व सालिम निकालकर इस सर ज़मीन (शाम बैतुलमुक़द्दस) में जा पहुँचाया जिसमें हमने सारे जहाँन के लिए तरह-तरह की बरकत अता की थी
Wa Ja`alnāhum 'A'immatan Yahdūna Bi'amrinā Wa 'Awĥaynā 'Ilayhim Fi`la Al-Khayrāti Wa 'Iqāma Aş-Şalāati Wa 'Ītā'a Az-Zakāati ۖ Wa Kānū Lanā `Ābidīna
021-073 और उन सबको (लोगों का) पेशवा बनाया कि हमारे हुक्म से (उनकी) हिदायत करते थे और हमने उनके पास नेक काम करने और नमाज़ पढ़ने और ज़कात देने की ''वही'' भेजी थी और ये सब के सब हमारी ही इबादत करते थे
Wa Lūţāan 'Ātaynāhu Ĥukmāan Wa `Ilmāan Wa Najjaynāhu Mina Al-Qaryati Allatī Kānat Ta`malu Al-Khabā'itha ۗ 'Innahum Kānū Qawma Saw'in Fāsiqīna
021-074 और लूत को भी हम ही के फ़हमे सलीम और नबूवत अता की और हम ही ने उस बस्ती से जहाँ के लोग बदकारियाँ करते थे नजात दी इसमें शक नहीं कि वह लोग बड़े बदकार आदमी थे
Wa Nūĥāan 'Idh Nādá MinQablu Fāstajabnā Lahu Fanajjaynāhu Wa 'Ahlahu Mina Al-Karbi Al-`Ažīmi
021-076 और (ऐ रसूल लूत से भी) पहले (हमने) नूह को नबूवत पर फ़ायज़ किया जब उन्होंने (हमको) आवाज़ दी तो हमने उनकी (दुआ) सुन ली फिर उनको और उनके साथियों को (तूफ़ान की) बड़ी सख्त मुसीबत से नजात दी
Wa Dāwūda Wa Sulaymāna 'Idh Yaĥkumāni Fī Al-Ĥarthi 'Idh Nafashat Fīhi Ghanamu Al-Qawmi Wa Kunnā LiĥukmihimShāhidīna
021-078 और (ऐ रसूल इनको) दाऊद और सुलेमान का (वाक्या याद दिलाओ) जब ये दोनों एक खेती के बारे में जिसमें रात के वक्त क़ुछ लोगों की बकरियाँ (घुसकर) चर गई थी फैसला करने बैठे और हम उन लोगों के क़िस्से को देख रहे थे (कि बाहम इख़तेलाफ़ हुआ)
Fafahhamnāhā Sulaymāna ۚ Wa Kullāan 'Ātaynā Ĥukmāan Wa `Ilmāan ۚ Wa Sakhkharnā Ma`a Dāwūda Al-Jibāla Yusabbiĥna Wa Aţ-Ţayra ۚ Wa Kunnā Fā`ilīna
021-079 तो हमने सुलेमान को (इसका सही फ़ैसला समझा दिया) और (यूँ तो) सबको हम ही ने फहमे सलीम और इल्म अता किया और हम ही ने पहाड़ों को दाऊद का ताबेए बना दिया था कि उनके साथ (खुदा की) तस्बीह किया करते थे और परिन्दों को (भी ताबेए कर दिया था) और हम ही (ये अज़ाब) किया करते थे
Wa `Allamnāhu Şan`ata Labūsin Lakum Lituĥşinakum Min Ba'sikum ۖ Fahal 'AntumShākirūna
021-080 और हम ही ने उनको तुम्हारी जंगी पोशिश (ज़िराह) का बनाना सिखा दिया ताकि तुम्हें (एक दूसरे के) वार से बचाए तो क्या तुम (अब भी) उसके शुक्रगुज़ार बनोगे
Wa Lisulaymāna Ar-Rīĥa `Āşifatan Tajrī Bi'amrihi~ 'Ilá Al-'Arđi Allatī Bāraknā Fīhā ۚ Wa Kunnā Bikulli Shay'in `Ālimīna
021-081 और (हम ही ने) बड़े ज़ोरों की हवा को सुलेमान का (ताबेए कर दिया था) कि वह उनके हुक्म से इस सरज़मीन (बैतुलमुक़द्दस) की तरफ चला करती थी जिसमें हमने तरह-तरह की बरकतें अता की थी और हम तो हर चीज़ से खूब वाक़िफ़ थे (और) है
Wa Mina Ash-Shayāţīni Man Yaghūşūna Lahu Wa Ya`malūna `Amalāan Dūna Dhālika ۖ Wa Kunnā Lahum Ĥāfižīna
021-082 और जिन्नात में से जो लोग (समन्दर में) ग़ोता लगाकर (जवाहरात निकालने वाले) थे और उसके अलावा और काम भी करते थे (सुलेमान का ताबेए कर दिया था) और हम ही उनके निगेहबान थे
Wa 'Ayyūba 'Idh Nādá Rabbahu~ 'Annī Massanī Ađ-Đurru Wa 'Anta 'Arĥamu Ar-Rāĥimīna
021-083 (कि भाग न जाएँ) और (ऐ रसूल) अय्यूब (का क़िस्सा याद करो) जब उन्होंने अपने परवरदिगार से दुआ की कि (ख़ुदा वन्द) बीमारी तो मेरे पीछे लग गई है और तू तो सब रहम करने वालोंसे (बढ़ कर है मुझ पर तरस खा)
Fāstajabnā Lahu Fakashafnā Mā Bihi MinĐurrin ۖ Wa 'Ātaynāhu 'Ahlahu Wa Mithlahum Ma`ahumRaĥmatan Min `Indinā Wa Dhikrá Lil`ābidīna
021-084 तो हमने उनकी दुआ कुबूल की तो हमने उनका जो कुछ दर्द दुख था दफ़ा कर दिया और उन्हें उनके लड़के वाले बल्कि उनके साथ उतनी ही और भी महज़ अपनी ख़ास मेहरबानी से और इबादत करने वालों की इबरत के वास्ते अता किए
Wa Dhā An-Nūni 'IdhDhahaba Mughāđibāan Fažanna 'An Lan Naqdira `Alayhi Fanādá Fī Až-Žulumāti 'An Lā 'Ilāha 'Illā 'Anta Subĥānaka 'Innī Kuntu Mina Až-Žālimīna
021-087 और जुन्नून (यूनुस को याद करो) जबकि गुस्से में आकर चलते हुए और ये ख्याल न किया कि हम उन पर रोज़ी तंग न करेंगे (तो हमने उन्हें मछली के पेट में पहुँचा दिया) तो (घटाटोप) अंधेरे में (घबराकर) चिल्ला उठा कि (परवरदिगार) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है बेशक मैं कुसूरवार हूँ
Wa Zakarīyā 'Idh Nādá RabbahuRabbi Lā Tadharnī Fardāan Wa 'Anta Khayru Al-Wārithīna
021-089 और ज़करिया (को याद करो) जब उन्होंने (मायूस की हालत में) अपने परवरदिगार से दुआ की ऐ मेरे पालने वाले मुझे तन्हा (बे औलाद) न छोड़ और तू तो सब वारिसों से बेहतर है
Fāstajabnā Lahu Wa Wahabnā Lahu Yaĥyá Wa 'Aşlaĥnā Lahu Zawjahu~ ۚ 'Innahum Kānū Yusāri`ūna Fī Al-Khayrāti Wa Yad`ūnanā Raghabāan Wa Rahabāan ۖ Wa Kānū Lanā Khāshi`īna
021-090 तो हमने उनकी दुआ सुन ली और उन्हें यहया सा बेटा अता किया और हमने उनके लिए उनकी बीबी को अच्छी बता दिया इसमें शक नहीं कि ये सब नेक कामों में जल्दी करते थे और हमको बड़ी रग़बत और ख़ौफ के साथ पुकारा करते थे और हमारे आगे गिड़गिड़ाया करते थे
Wa A-Atī 'Aĥşanat Farjahā Fanafakhnā Fīhā Min Rūĥinā Wa Ja`alnāhā Wa Abnahā 'Āyatan Lil`ālamīna
021-091 और (ऐ रसूल) उस बीबी को (याद करो) जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उन (के पेट) में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँन के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी बनाया
Faman Ya`mal Mina Aş-Şāliĥāti Wa Huwa Mu'uminun Falā Kufrāna Lisa`yihi Wa 'Innā Lahu Kātibūna
021-094 (उस वक्त फ़ैसला हो जाएगा कि) तो जो शख्स अच्छे-अच्छे काम करेगा और वह ईमानवाला भी हो तो उसकी कोशिश अकारत न की जाएगी और हम उसके आमाल लिखते जाते हैं
Ĥattá 'Idhā Futiĥat Ya'jūju Wa Ma'jūju Wa Hum Min Kulli Ĥadabin Yansilūna
021-096 बस इतना (तवक्कुफ़ तो ज़रूर होगा) कि जब याजूज माजूज (सद्दे सिकन्दरी) की कैद से खोल दिए जाएँगे और ये लोग (ज़मीन की) हर बुलन्दी से दौड़ते हुए निकल पड़े
Wāqtaraba Al-Wa`du Al-Ĥaqqu Fa'idhā Hiya Shākhişatun 'Abşāru Al-Ladhīna Kafarū Yā Waylanā Qad Kunnā Fī Ghaflatin Min Hādhā Bal Kunnā Žālimīna
021-097 और क़यामत का सच्चा वायदा नज़दीक आ जाए तो फिर काफिरों की ऑंखें एक दम से पथरा दी जाएँ (और कहने लगे) हाय हमारी शामत कि हम तो इस (दिन) से ग़फलत ही में (पड़े) रहे बल्कि (सच तो यूँ है कि अपने ऊपर) हम आप ज़ालिम थे
'Innakum Wa Mā Ta`budūna Min Dūni Allāhi Ĥaşabu Jahannama 'Antum Lahā Wa Aridūna
021-098 (उस दिन किहा जाएगा कि ऐ कुफ्फ़ार) तुम और जिस चीज़ की तुम खुदा के सिवा परसतिश करते थे यक़ीनन जहन्नुम की ईधन (जलावन) होंगे (और) तुम सबको उसमें उतरना पड़ेगा
021-103 और उनको (क़यामत का) बड़े से बड़ा ख़ौफ़ भी दहशत में न लाएगा और फ़रिश्ते उन से खुशी-खुशी मुलाक़ात करेंगे और ये खुशख़बरी देंगे कि यही वह तुम्हारा (खुशी का) दिन है जिसका (दुनिया में) तुमसे वायदा किया जाता था
021-104 (ये) वह दिन (होगा) जब हम आसमान को इस तरह लपेटेगे जिस तरह ख़तों का तूमार लपेटा जाता है जिस तरह हमने (मख़लूक़ात को) पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) दोबारा (पैदा) कर छोड़ेगें (ये वह) वायदा (है जिसका करना) हम पर (लाज़िम) है और हम उसे ज़रूर करके रहेंगे
021-109 फिर अगर ये लोग (उस पर भी) मुँह फेरें तो तुम कह दो कि मैंने तुम सबको यकसाँ ख़बर कर दी है और मैं नहीं जानता कि जिस (अज़ाब) का तुमसे वायदा किया गया है क़रीब आ पहुँचा या (अभी) दूर है
021-112 (आख़िर) रसूल ने दुआ की ऐ मेरे पालने वाले तू ठीक-ठीक मेरे और काफिरों के दरमियान फैसला कर दे और हमार परवरदिगार बड़ा मेहरबान है कि उसी से इन बातों में मदद माँगी जाती है जो तुम लोग बयान करते हो