Qayyimāan Liyundhira Ba'sāanShadīdāan Min Ladunhu Wa Yubashshira Al-Mu'uminīna Al-Ladhīna Ya`malūna Aş-Şāliĥāti 'Anna Lahum 'Ajrāan Ĥasanāan
018-002 बल्कि हर तरह से सधा ताकि जो सख्त अज़ाब ख़ुदा की बारगाह से काफिरों पर नाज़िल होने वाला है उससे लोगों को डराए और जिन मोमिनीन ने अच्छे अच्छे काम किए हैं उनको इस बात की खुशख़बरी दे की उनके लिए बहुत अच्छा अज्र (व सवाब) मौजूद है
Mmā Lahum Bihi Min `Ilmin Wa Lā Li'ābā'ihim ۚ Kaburat Kalimatan Takhruju Min 'Afwāhihim ۚ 'In Yaqūlūna 'Illā Kadhibāan
018-005 न तो उन्हीं को उसकी कुछ खबर है और न उनके बाप दादाओं ही को थी (ये) बड़ी सख्त बात है जो उनके मुँह से निकलती है ये लोग झूठ मूठ के सिवा (कुछ और) बोलते ही नहीं
'Idh 'Awá Al-Fityatu 'Ilá Al-Kahfi Faqālū Rabbanā 'Ātinā Min Ladunka Raĥmatan Wa Hayyi' Lanā Min 'Amrinā Rashadāan
018-010 कि एक बारगी कुछ जवान ग़ार में आ पहुँचे और दुआ की-ऐ हमारे परवरदिगार हमें अपनी बारगाह से रहमत अता फरमा-और हमारे वास्ते हमारे काम में कामयाबी इनायत कर
018-013 (ऐ रसूल) अब हम उनका हाल तुमसे बिल्कुल ठीक तहक़ीक़ातन (यक़ीन के साथ) बयान करते हैं वह चन्द जवान थे कि अपने (सच्चे) परवरदिगार पर ईमान लाए थे और हम ने उनकी सोच समझ और ज्यादा कर दी है
Wa Rabaţnā `Alá Qulūbihim 'IdhQāmū Faqālū Rabbunā Rabbu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Lan Nad`uwa Min Dūnihi~ 'Ilahāan ۖ LaqadQulnā 'IdhāanShaţaţāan
018-014 और हमने उनकी दिलों पर (सब्र व इस्तेक़लाल की) गिराह लगा दी (कि जब दक़ियानूस बादशाह ने कुफ्र पर मजबूर किया) तो उठ खड़े हुए (और बे ताम्मुल (खटके)) कहने लगे हमारा परवरदिगार तो बस सारे आसमान व ज़मीन का मालिक है हम तो उसके सिवा किसी माबूद की हरगिज़ इबादत न करेगें
018-015 अगर हम ऐसा करे तो यक़ीनन हमने अक़ल से दूर की बात कही (अफसोस एक) ये हमारी क़ौम के लोग हैं कि जिन्होनें ख़ुदा को छोड़कर (दूसरे) माबूद बनाए हैं (फिर) ये लोग उनके (माबूद होने) की कोई सरीही (खुली) दलील क्यों नहीं पेश करते और जो शख़्श ख़ुदा पर झूट बोहतान बाँधे उससे ज्यादा ज़ालिम और कौन होगा
Wa 'IdhA`tazaltumūhum Wa Mā Ya`budūna 'Illā Al-Laha Fa'wū 'Ilá Al-Kahfi Yanshur LakumRabbukum MinRaĥmatihi Wa Yuhayyi' Lakum Min 'Amrikum Mirfaqāan
018-016 (फिर बाहम कहने लगे कि) जब तुमने उन लोगों से और ख़ुदा के सिवा जिन माबूदों की ये लोग परसतिश करते हैं उनसे किनारा कशी करली तो चलो (फलॉ) ग़ार में जा बैठो और तुम्हारा परवरदिगार अपनी रहमत तुम पर वसीह कर देगा और तुम्हारा काम में तुम्हारे लिए आसानी के सामान मुहय्या करेगा
Wa Tará Ash-Shamsa 'Idhā Ţala`at Tazāwaru `An KahfihimDhāta Al-Yamīni Wa 'Idhā Gharabat TaqriđuhumDhāta Ash-Shimāli Wa Hum Fī Fajwatin Minhu ۚ Dhālika Min 'Āyāti Allāhi ۗ Man Yahdi Allāhu Fahuwa Al-Muhtadi ۖ Wa Man Yuđlil Falan Tajida Lahu Walīyāan Murshidāan
018-017 (ग़रज़ ये ठान कर ग़ार में जा पहुँचे) कि जब सूरज निकलता है तो देखेगा कि वह उनके ग़ार से दाहिनी तरफ झुक कर निकलता है और जब ग़ुरुब (डुबता) होता है तो उनसे बायीं तरफ कतरा जाता है और वह लोग (मजे से) ग़ार के अन्दर एक वसीइ (बड़ी) जगह में (लेटे) हैं ये ख़ुदा (की कुदरत) की निशानियों में से (एक निशानी) है जिसको हिदायत करे वही हिदायत याफ्ता है और जिस को गुमराह करे तो फिर उसका कोई सरपरस्त रहनुमा हरगिज़ न पाओगे
Wa Taĥsabuhum 'Ayqāžāan Wa HumRuqūdun ۚ Wa NuqallibuhumDhāta Al-Yamīni Wa Dhāta Ash-Shimāli ۖ Wa Kalbuhum BāsiţunDhirā`ayhi Bil-Waşīdi ۚ Lawi Aţţala`ta `Alayhim Lawallayta Minhum Firārāan Wa Lamuli'ta MinhumRu`bāan
018-018 तू उनको समझेगा कि वह जागते हैं हालॉकि वह (गहरी नींद में) सो रहे हैं और हम कभी दाहिनी तरफ और कभी बायीं तरफ उनकी करवट बदलवा देते हैं और उनका कुत्ताा अपने आगे के दोनो पाँव फैलाए चौखट पर डटा बैठा है (उनकी ये हालत है कि) अगर कहीं तू उनको झाक कर देखे तो उलटे पाँव ज़रुर भाग खड़े हो और तेरे दिल में दहशत समा जाए
018-019 और (जिस तरह अपनी कुदरत से उनको सुलाया) उसी तरह (अपनी कुदरत से) उनको (जगा) उठाया ताकि आपस में कुछ पूछ गछ करें (ग़रज़) उनमें एक बोलने वाला बोल उठा कि (भई आख़िर इस ग़ार में) तुम कितनी मुद्दत ठहरे कहने लगे (अरे ठहरे क्या बस) एक दिन से भी कम उसके बाद कहने लगे कि जितनी देर तुम ग़ार में ठहरे उसको तुम्हारे परवरदिगार ही (कुछ तुम से) बेहतर जानता है (अच्छा) तो अब अपने में से किसी को अपना ये रुपया देकर शहर की तरफ भेजो तो वह (जाकर) देखभाल ले कि वहाँ कौन सा खाना बहुत अच्छा है फिर उसमें से (ज़रुरत भर) खाना तुम्हारे वास्ते ले आए और उसे चाहिए कि वह आहिस्ता चुपके से आ जाए और किसी को तुम्हारी ख़बर न होने दे
'Innahum 'In Yažharū `Alaykum Yarjumūkum 'Aw Yu`īdūkum Fī Millatihim Wa Lan Tufliĥū 'Idhāan 'Abadāan
018-020 इसमें शक़ नहीं कि अगर उन लोगों को तुम्हारी इत्तेलाअ हो गई तो बस फिर तुम को संगसार ही कर देंगें या फिर तुम को अपने दीन की तरफ फेर कर ले जाएँगे और अगर ऐसा हुआ तो फिर तुम कभी कामयाब न होगे
018-021 और हमने यूँ उनकी क़ौम के लोगों को उनकी हालत पर इत्तेलाअ (ख़बर) कराई ताकि वह लोग देख लें कि ख़ुदा को वायदा यक़ीनन सच्चा है और ये (भी समझ लें) कि क़यामत (के आने) में कुछ भी शुबहा नहीं अब (इत्तिलाआ होने के बाद) उनके बारे में लोग बाहम झगड़ने लगे तो कुछ लोगों ने कहा कि उनके (ग़ार) पर (बतौर यादगार) कोई इमारत बना दो उनका परवरदिगार तो उनके हाल से खूब वाक़िफ है ही और उनके बारे में जिन (मोमिनीन) की राए ग़ालिब रही उन्होंने कहा कि हम तो उन (के ग़ार) पर एक मस्जिद बनाएँगें
Sayaqūlūna ThalāthatunRābi`uhum Kalbuhum Wa Yaqūlūna Khamsatun Sādisuhum KalbuhumRajmāan Bil-Ghaybi ۖ Wa Yaqūlūna Sab`atun Wa Thāminuhum Kalbuhum ۚ QulRabbī 'A`lamu Bi`iddatihim Mā Ya`lamuhum 'Illā Qalīlun ۗ Falā Tumāri Fīhim 'Illā Mirā'anŽāhirāan Wa Lā Tastafti Fīhim Minhum 'Aĥadāan
018-022 क़रीब है कि लोग (नुसैरे नज़रान) कहेगें कि वह तीन आदमी थे चौथा उनका कुत्ताा (क़तमीर) है और कुछ लोग (आक़िब वग़ैरह) कहते हैं कि वह पाँच आदमी थे छठा उनका कुत्ताा है (ये सब) ग़ैब में अटकल लगाते हैं और कुछ लोग कहते हैं कि सात आदमी हैं और आठवाँ उनका कुत्ताा है (ऐ रसूल) तुम कह दो की उनका सुमार मेरा परवरदिगार ही ख़ब जानता है उन (की गिनती) के थोडे ही लोग जानते हैं तो (ऐ रसूल) तुम (उन लोगों से) असहाब कहफ के बारे में सरसरी गुफ्तगू के सिवा (ज्यादा) न झगड़ों और उनके बारे में उन लोगों से किसी से कुछ पूछ गछ नहीं
'Illā 'An Yashā'a Allāhu ۚ Wa AdhkurRabbaka 'Idhā Nasīta Wa Qul `Asá 'An Yahdiyani Rabbī Li'qraba Min Hādhā Rashadāan
018-024 मगर इन्शा अल्लाह कह कर और अगर (इन्शा अल्लाह कहना) भूल जाओ तो (जब याद आए) अपने परवरदिगार को याद कर लो (इन्शा अल्लाह कह लो) और कहो कि उम्मीद है कि मेरा परवरदिगार मुझे ऐसी बात की हिदायत फरमाए जो रहनुमाई में उससे भी ज्यादा क़रीब हो
Quli Allāhu 'A`lamu Bimā Labithū ۖ Lahu Ghaybu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi ۖ 'Abşir Bihi Wa 'Asmi` ۚ Mā Lahum Min Dūnihi Min Wa Līyin Wa Lā Yushriku Fī Ĥukmihi~ 'Aĥadāan
018-026 (ऐ रसूल) अगर वह लोग इस पर भी न मानें तो तुम कह दो कि ख़ुदा उनके ठहरने की मुद्दत से बखूबी वाक़िफ है सारे आसमान और ज़मीन का ग़ैब उसी के वास्ते ख़ास है (अल्लाह हो अकबर) वो कैसा देखने वाला क्या ही सुनने वाला है उसके सिवा उन लोगों का कोई सरपरस्त नहीं और वह अपने हुक्म में किसी को अपना दख़ील (शरीक) नहीं बनाता
Wa Atlu Mā 'Ūĥiya 'Ilayka Min Kitābi Rabbika ۖ Lā Mubaddila Likalimātihi Wa Lan Tajida Min Dūnihi Multaĥadāan
018-027 और (ऐ रसूल) जो किताब तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वही के ज़रिए से नाज़िल हुईहै उसको पढ़ा करो उसकी बातों को कोई बदल नहीं सकता और तुम उसके सिवा कहीं कोई हरगिज़ पनाह की जगह (भी) न पाओगे
Wa Aşbir Nafsaka Ma`a Al-Ladhīna Yad`ūna Rabbahum Bil-Ghadāati Wa Al-`Ashīyi Yurīdūna Wajhahu Wa Lā ۖ Ta`du `Aynāka `Anhum Turīdu Zīnata Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa Lā ۖ Tuţi` Man 'Aghfalnā Qalbahu `AnDhikrinā Wa Attaba`a Hawāhu Wa Kāna 'Amruhu Furuţāan
018-028 और (ऐ रसूल) जो लोग अपने परवरदिगार को सुबह सवेरे और झटपट वक्त शाम को याद करते हैं और उसकी खुशनूदी के ख्वाहाँ हैं उनके उनके साथ तुम खुद (भी) अपने नफस पर जब्र करो और उनकी तरफ से अपनी नज़र (तवज्जो) न फेरो कि तुम दुनिया में ज़िन्दगी की आराइश चाहने लगो और जिसके दिल को हमने (गोया खुद) अपने ज़िक्र से ग़ाफिल कर दिया है और वह अपनी ख्वाहिशे नफसानी के पीछे पड़ा है और उसका काम सरासर ज्यादती है उसका कहना हरगिज़ न मानना
Wa Quli Al-Ĥaqqu MinRabbikum ۖ FamanShā'a Falyu'umin Wa ManShā'a Falyakfur ۚ 'Innā 'A`tadnā Lilžžālimīna Nārāan 'Aĥāţa Bihim Surādiquhā ۚ Wa 'In Yastaghīthū Yughāthū Bimā'in Kālmuhli Yashwī Al-Wujūha ۚ Bi'sa Ash-Sharābu Wa Sā'at Murtafaqāan
018-029 और (ऐ रसूल) तुम कह दों कि सच्ची बात (कलमए तौहीद) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (नाज़िल हो चुकी है) बस जो चाहे माने और जो चाहे न माने (मगर) हमने ज़ालिमों के लिए वह आग (दहका के) तैयार कर रखी है जिसकी क़नातें उन्हें घेर लेगी और अगर वह लोग दोहाई करेगें तो उनकी फरियाद रसी खौलते हुए पानी से की जाएगी जो मसलन पिघले हुए ताबें की तरह होगा (और) वह मुँह को भून डालेगा क्या बुरा पानी है और (जहन्नुम भी) क्या बुरी जगह है
'Ūlā'ika Lahum Jannātu `Adnin Tajrī Min Taĥtihimu Al-'Anhāru Yuĥallawna Fīhā Min 'Asāwira MinDhahabin Wa Yalbasūna Thiyābāan Khuđrāan Min Sundusin Wa 'Istabraqin Muttaki'īna Fīhā `Alá Al-'Arā'iki ۚ Ni`ma Ath-Thawābu Wa Ĥasunat Murtafaqāan
018-031 ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहश्त के) बाग़ात हैं उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेश्म (वाफते)के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें क्या ही अच्छा बदला है और (बेहश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है
Wa Ađrib Lahum MathalāanRajulayni Ja`alnā Li'ĥadihimā Jannatayni Min 'A`nābin Wa Ĥafafnāhumā Binakhlin Wa Ja`alnā Baynahumā Zar`āan
018-032 और (ऐ रसूल) इन लोगों से उन दो शख़्शों की मिसाल बयान करो कि उनमें से एक को हमने अंगूर के दो बाग़ दे रखे है और हमने चारो ओर खजूर के पेड़ लगा दिये है और उन दोनों बाग़ के दरमियान खेती भी लगाई है
Wa Dakhala Jannatahu Wa Huwa Žālimun LinafsihiQāla Mā 'Ažunnu 'An Tabīda Hadhihi~ 'Abadāan
018-035 और ये बातें करता हुआ अपने बाग़ मे भी जा पहुँचा हालॉकि उसकी आदत ये थी कि (कुफ्र की वजह से) अपने ऊपर आप ज़ुल्म कर रहा था (ग़रज़ वह कह बैठा) कि मुझे तो इसका गुमान नहीं तो कि कभी भी ये बाग़ उजड़ जाए
Wa Mā 'Ažunnu As-Sā`ata Qā'imatan Wa La'inRudidtu 'Ilá Rabbī La'ajidanna Khayrāan Minhā Munqalabāan
018-036 और मै तो ये भी नहीं ख्याल करता कि क़यामत क़ायम होगी और (बिलग़रज़ हुई भी तो) जब मै अपने परवरदिगार की तरफ लौटाया जाऊँगा तो यक़ीनन इससे कहीं अच्छी जगह पाऊँगा
Qāla Lahu Şāĥibuhu Wa Huwa Yuĥāwiruhu~ 'Akafarta Bial-Ladhī Khalaqaka Min TurābinThumma Min NuţfatinThumma Sawwāka Rajulāan
018-037 उसका साथी जो उससे बातें कर रहा था कहने लगा कि क्या तू उस परवरदिगार का मुन्किर है जिसने (पहले) तुझे मिट्टी से पैदा किया फिर नुत्फे से फिर तुझे बिल्कुल ठीक मर्द (आदमी) बना दिया
018-039 और जब तू अपने बाग़ में आया तो (ये) क्यों न कहा कि ये सब (माशा अल्लाह ख़ुदा ही के चाहने से हुआ है (मेरा कुछ भी नहीं क्योंकि) बग़ैर ख़ुदा की (मदद) के (किसी में) कुछ सकत नहीं अगर माल और औलाद की राह से तू मुझे कम समझता है
Fa`asá Rabbī 'An Yu'utiyanī Khayrāan Min Jannatika Wa Yursila `Alayhā Ĥusbānāan Mina As-Samā'i Fatuşbiĥa Şa`īdāan Zalaqāan
018-040 तो अनक़ीरब ही मेरा परवरदिगार मुझे वह बाग़ अता फरमाएगा जो तेरे बाग़ से कहीं बेहतर होगा और तेरे बाग़ पर कोई ऐसी आफत आसमान से नाज़िल करे कि (ख़ाक सियाह) होकर चटियल चिकना सफ़ाचट मैदान हो जाए
Wa 'Uĥīţa Bithamarihi Fa'aşbaĥa Yuqallibu Kaffayhi `Alá Mā 'Anfaqa Fīhā Wa Hiya Khāwiyatun `Alá `Urūshihā Wa Yaqūlu Yā Laytanī Lam 'Ushrik Birabbī 'Aĥadāan
018-042 (चुनान्चे अज़ाब नाज़िल हुआ) और उसके (बाग़ के) फल (आफत में) घेर लिए गए तो उस माल पर जो बाग़ की तैयारी में सर्फ (ख़र्च) किया था (अफसोस से) हाथ मलने लगा और बाग़ की ये हालत थी कि अपनी टहनियों पर औंधा गिरा हुआ पड़ा था तो कहने लगा काश मै अपने परवरदिगार का किसी को शरीक न बनाता
Wa Ađrib Lahum Mathala Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Kamā'in 'Anzalnāhu Mina As-Samā'i Fākhtalaţa Bihi Nabātu Al-'Arđi Fa'aşbaĥa Hashīmāan Tadhrūhu Ar-Riyāĥu ۗ Wa Kāna Allāhu `Alá Kulli Shay'in Muqtadirāan
018-045 और (ऐ रसूल) इनसे दुनिया की ज़िन्दगी की मसल भी बयान कर दो कि उसके हालत पानी की सी है जिसे हमने आसमान से बरसाया तो ज़मीन की उगाने की ताक़त उसमें मिल गई और (खूब फली फूली) फिर आख़िर रेज़ा रेज़ा (भूसा) हो गई कि उसको हवाएँ उड़ाए फिरती है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Al-Mālu Wa Al-Banūna Zīnatu Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa ۖ Al-Bāqiyātu Aş-Şāliĥātu Khayrun `Inda Rabbika Thawābāan Wa Khayrun 'Amalāan
018-046 (ऐ रसूल) माल और औलाद (इस ज़रा सी) दुनिया की ज़िन्दगी की ज़ीनत हैं और बाक़ी रहने वाली नेकियाँ तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक सवाब में उससे कही ज्यादा अच्छी हैं और तमन्नाएँ व आरजू की राह से (भी) बेहतर हैं
Wa Yawma Nusayyiru Al-Jibāla Wa Tará Al-'Arđa Bārizatan Wa Ĥasharnāhum Falam Nughādir Minhum 'Aĥadāan
018-047 और (उस दिन से डरो) जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगें और तुम ज़मीन को खुला मैदान (पहाड़ों से) खाली देखोगे और हम इन सभी को इकट्ठा करेगे तो उनमें से एक को न छोड़ेगें
Wa `Uriđū `Alá Rabbika Şaffāan Laqad Ji'tumūnā Kamā Khalaqnākum 'Awwala Marratin ۚ Bal Za`amtum 'Allan Naj`ala Lakum Maw`idāan
018-048 सबके सब तुम्हारे परवरदिगार के सामने कतार पे क़तार पेश किए जाएँगें और (उस वक्त हम याद दिलाएँगे कि जिस तरह हमने तुमको पहली बार पैदा किया था (उसी तरह) तुम लोगों को (आख़िर) हमारे पास आना पड़ा मगर तुम तो ये ख्याल करते थे कि हम तुम्हारे (दोबारा पैदा करने के) लिए कोई वक्त ही न ठहराएँगें
Wa Wuđi`a Al-Kitābu Fatará Al-Mujrimīna Mushfiqīna Mimmā Fīhi Wa Yaqūlūna Yā Waylatanā Māli Hādhā Al-Kitābi Lā YughādiruŞaghīratan Wa Lā Kabīratan 'Illā 'Aĥşāhā ۚ Wa Wajadū Mā `Amilū Ĥāđirāan ۗ Wa Lā Yažlimu Rabbuka 'Aĥadāan
018-049 और लोगों के आमाल की किताब (सामने) रखी जाएँगी तो तुम गुनेहगारों को देखोगे कि जो कुछ उसमें (लिखा) है (देख देख कर) सहमे हुए हैं और कहते जाते हैं हाए हमारी यामत ये कैसी किताब है कि न छोटे ही गुनाह को बे क़लमबन्द किए छोड़ती है न बड़े गुनाह को और जो कुछ इन लोगों ने (दुनिया में) किया था वह सब (लिखा हुआ) मौजूद पाएँगें और तेरा परवरदिगार किसी पर (ज़र्रा बराबर) ज़ुल्म न करेगा
Wa 'IdhQulnā Lilmalā'ikati Asjudū Li'dama Fasajadū 'Illā 'Iblīsa Kāna Mina Al-Jinni Fafasaqa `An 'Amri Rabbihi~ ۗ 'Afatattakhidhūnahu Wa Dhurrīyatahu~ 'Awliyā'a Min Dūnī Wa Hum Lakum `Adūwun ۚ Bi'sa Lilžžālimīna Badalāan
018-050 और (वह वक्त याद करो) जब हमने फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि आदम को सजदा करो तो इबलीस के सिवा सबने सजदा किया (ये इबलीस) जिन्नात से था तो अपने परवरदिगार के हुक्म से निकल भागा तो (लोगों) क्या मुझे छोड़कर उसको और उसकी औलाद को अपना दोस्त बनाते हो हालॉकि वह तुम्हारा (क़दीमी) दुश्मन हैं ज़ालिमों (ने ख़ुदा के बदले शैतान को अपना दोस्त बनाया ये उन) का क्या बुरा ऐवज़ है
Mā 'Ash/hadtuhumKhalqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa Lā Khalqa 'Anfusihim Wa Mā Kuntu Muttakhidha Al-Muđillīna `Ađudāan
018-051 मैने न तो आसमान व ज़मीन के पैदा करने के वक्त उनको (मदद के लिए) बुलाया था और न खुद उनके पैदा करने के वक्त अौर मै (ऐसा गया गुज़रा) न था कि मै गुमराह करने वालों को मददगार बनाता
Wa Yawma Yaqūlu Nādū Shurakā'iya Al-Ladhīna Za`amtum Fada`awhum Falam Yastajībū Lahum Wa Ja`alnā Baynahum Mawbiqāan
018-052 और (उस दिन से डरो) जिस दिन ख़ुदा फरमाएगा कि अब तुम जिन लोगों को मेरा शरीक़ ख्याल करते थे उनको (मदद के लिए) पुकारो तो वह लोग उनको पुकारेगें मगर वह लोग उनकी कुछ न सुनेगें और हम उन दोनों के बीच में महलक (खतरनाक) आड़ बना देंगे
018-055 और जब लोगों के पास हिदायत आ चुकी तो (फिर) उनको ईमान लाने और अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगने से (उसके सिवा और कौन) अम्र मायने है कि अगलों की सी रीत रस्म उनको भी पेश आई या हमारा अज़ाब उनके सामने से (मौजूद) हो
Wa Mā Nursilu Al-Mursalīna 'Illā Mubashshirīna Wa Mundhirīna ۚ Wa Yujādilu Al-Ladhīna Kafarū Bil-Bāţili Liyudĥiđū Bihi Al-Ĥaqqa ۖ Wa Attakhadhū 'Āyātī Wa Mā 'Undhirū Huzūan
018-056 और हम तो पैग़म्बरों को सिर्फ इसलिए भेजते हैं कि (अच्छों को निजात की) खुशख़बरी सुनाएंऔर (बदों को अज़ाब से) डराएंऔर जो लोग काफिर हैं झूटी झूटी बातों का सहारा पकड़ के झगड़ा करते है ताकि उसकी बदौलत हक़ को (उसकी जगह से उखाड़ फेकें और उन लोगों ने मेरी आयतों को जिस (अज़ाब से) ये लोग डराए गए हॅसी ठ्ठ्ठा (मज़ाक) बना रखा है
Wa Man 'Ažlamu MimmanDhukkira Bi'āyāti Rabbihi Fa'a`rađa `Anhā Wa Nasiya Mā Qaddamat Yadāhu ۚ 'Innā Ja`alnā `Alá Qulūbihim 'Akinnatan 'An Yafqahūhu Wa Fī 'Ādhānihim Waqrāan Wa 'In ۖ Tad`uhum 'Ilá Al-Hudá Falan Yahtadū 'Idhāan 'Abadāan
018-057 और उससे बढ़कर और कौन ज़ालिम होगा जिसको ख़ुदा की आयतें याद दिलाई जाए और वह उनसे रद गिरदानी (मुँह फेर ले) करे और अपने पहले करतूतों को जो उसके हाथों ने किए हैं भूल बैठे (गोया) हमने खुद उनके दिलों पर परदे डाल दिए हैं कि वह (हक़ बात को) न समझ सकें और (गोया) उनके कानों में गिरानी पैदा कर दी है कि (सुन न सकें) और अगर तुम उनको राहे रास्त की तरफ़ बुलाओ भी तो ये हरगिज़ कभी रुबरु होने वाले नहीं हैं
Wa Rabbuka Al-GhafūruDhū Ar-Raĥmati ۖ Law Yu'uākhidhuhum Bimā Kasabū La`ajjala Lahumu Al-`Adhāba ۚ Bal Lahum Maw`idun Lan Yajidū Min Dūnihi Maw'ilāan
018-058 और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है अगर उनकी करतूतों की सज़ा में धर पकड़ करता तो फौरन (दुनिया ही में) उन पर अज़ाब नाज़िल कर देता मगर उनके लिए तो एक मियाद (मुक़र्रर) है जिससे खुदा के सिवा कहीें पनाह की जगह न पाएंगें
Wa Tilka Al-Qurá 'Ahlaknāhum Lammā Žalamū Wa Ja`alnā Limahlikihim Maw`idāan
018-059 और ये बस्तियाँ (जिन्हें तुम अपनी ऑंखों से देखते हो) जब उन लोगों ने सरकशी तो हमने उन्हें हलाक कर मारा और हमने उनकी हलाकत की मियाद मुक़र्रर कर दी थी
018-060 (ऐ रसूल) वह वाक़या याद करो जब मूसा खिज़्र की मुलाक़ात को चले तो अपने जवान वसी यूशा से बोले कि जब तक में दोनों दरियाओं के मिलने की जगह न पहुँच जाऊँ (चलने से) बाज़ न आऊँगा
018-061 ख्वाह (अगर मुलाक़ात न हो तो) बरसों यूँ ही चलता जाऊँगा फिर जब ये दोनों उन दोनों दरियाओं के मिलने की जगह पहुँचे तो अपनी (भुनी हुई) मछली छोड़ चले तो उसने दरिया में सुरंग बनाकर अपनी राह ली
018-063 (यूशा ने) कहा क्या आप ने देखा भी कि जब हम लोग (दरिया के किनारे) उस पत्थर के पास ठहरे तो मै (उसी जगह) मछली छोड़ आया और मुझे आप से उसका ज़िक्र करना शैतान ने भुला दिया और मछली ने अजीब तरह से दरिया में अपनी राह ली
018-067 कि जो रहनुमाई का इल्म आपको है (ख़ुदा की तरफ से) सिखाया गया है उसमें से कुछ मुझे भी सिखा दीजिए खिज्र ने कहा (मै सिखा दूँगा मगर) आपसे मेरे साथ सब्र न हो सकेगा
018-071 आप मुझसे किसी चीज़ के बारे में न पूछियेगा ग़रज़ ये दोनो (मिलकर) चल खड़े हुए यहाँ तक कि (एक दरिया में) जब दोनों कश्ती में सवार हुए तो ख़िज्र ने कश्ती में छेद कर दिया मूसा ने कहा (आप ने तो ग़ज़ब कर दिया) क्या कश्ती में इस ग़रज़ से सुराख़ किया है
018-074 (ख़ैर ये तो हो गया) फिर दोनों के दोनों आगे चले यहाँ तक कि दोनों एक लड़के से मिले तो उस बन्दे ख़ुदा ने उसे जान से मार डाला मूसा ने कहा (ऐ माज़ अल्लाह) क्या आपने एक मासूम शख़्श को मार डाला और वह भी किसी के (ख़ौफ के) बदले में नहीं आपने तो यक़ीनी एक अजीब हरकत की
Qāla 'In Sa'altuka `AnShay'in Ba`dahā Falā Tuşāĥibnī ۖ Qad Balaghta Min Ladunnī `Udhrāan
018-076 मूसा ने कहा (ख़ैर जो हुआ वह हुआ) अब अगर मैं आप से किसी चीज़ के बारे में पूछगछ करूँगा तो आप मुझे अपने साथ न रखियेगा बेशक आप मेरी तरफ से माज़रत (की हद को) पहुँच गए
018-077 ग़रज़ (ये सब हो हुआ कर फिर) दोनों आगे चले यहाँ तक कि जब एक गाँव वालों के पास पहुँचे तो वहाँ के लोगों से कुछ खाने को माँगा तो उन लोगों ने दोनों को मेहमान बनाने से इन्कार कर दिया फिर उन दोनों ने उसी गाँव में एक दीवार को देखा कि गिरा ही चाहती थी तो खिज्र ने उसे सीधा खड़ा कर दिया उस पर मूसा ने कहा अगर आप चाहते तो (इन लोगों से) इसकी मज़दूरी ले सकते थे
018-078 (ताकि खाने का सहारा होता) खिज्र ने कहा मेरे और आपके दरमियान छुट्टम छुट्टा अब जिन बातों पर आप से सब्र न हो सका मैं अभी आप को उनकी असल हक़ीकत बताए देता हूँ
018-079 (लीजिए सुनिये) वह कश्ती (जिसमें मैंने सुराख़ कर दिया था) तो चन्द ग़रीबों की थी जो दरिया में मेहनत करके गुज़ारा करते थे मैंने चाहा कि उसे ऐबदार बना दूँ (क्योंकि) उनके पीछे-पीछे एक (ज़ालिम) बादशाह (आता) था कि तमाम कश्तियां ज़बरदस्ती बेगार में पकड़ लेता था
Wa 'Ammā Al-Ghulāmu Fakāna 'Abawāhu Mu'uminayni Fakhashīnā 'An Yurhiqahumā Ţughyānāan Wa Kufrāan
018-080 और वह जो लड़का जिसको मैंने मार डाला तो उसके माँ बाप दोनों (सच्चे) ईमानदार हैं तो मुझको ये अन्देशा हुआ कि (ऐसा न हो कि बड़ा होकर) उनको भी अपने सरकशी और कुफ़्र में फँसा दे
Wa 'Ammā Al-Jidāru Fakāna Lighulāmayni Yatīmayni Fī Al-Madīnati Wa Kāna Taĥtahu Kanzun Lahumā Wa Kāna 'Abūhumā Şāliĥāan Fa'arāda Rabbuka 'An Yablughā 'Ashuddahumā Wa Yastakhrijā Kanzahumā Raĥmatan MinRabbika ۚ Wa Mā Fa`altuhu `An 'Amrī ۚ Dhālika Ta'wīlu Mā Lam Tasţi` `Alayhi Şabrāan
018-082 और वह जो दीवार थी (जिसे मैंने खड़ा कर दिया) तो वह शहर के दो यतीम लड़कों की थी और उसके नीचे उन्हीं दोनों लड़कों का ख़ज़ाना (गड़ा हुआ था) और उन लड़कों का बाप एक नेक आदमी था तो तुम्हारे परवरदिगार ने चाहा कि दोनों लड़के अपनी जवानी को पहुँचे तो तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी से अपना ख़ज़ाने निकाल ले और मैंने (जो कुछ किया) कुछ अपने एख्तियार से नहीं किया (बल्कि खुदा के हुक्म से) ये हक़ीक़त है उन वाक़यात की जिन पर आपसे सब्र न हो सका
018-086 यहाँ तक कि जब (चलते-चलते) आफताब के ग़ुरूब होने की जगह पहुँचा तो आफताब उनको ऐसा दिखाई दिया कि (गोया) वह काली कीचड़ के चश्में में डूब रहा है और उसी चश्में के क़रीब एक क़ौम को भी आबाद पाया हमने कहा ऐ जुलकरनैन (तुमको एख्तियार है) ख्वाह इनके कुफ्र की वजह से इनकी सज़ा करो (कि ईमान लाए) या इनके साथ हुस्ने सुलूक का शेवा एख्तियार करो (कि खुद ईमान क़ुबूल करें)
018-087 जुलकरनैन ने अर्ज़ की जो शख्स सरकशी करेगा तो हम उसकी फौरन सज़ा कर देगें (आख़िर) फिर वह (क़यामत में) अपने परवरदिगार के सामने लौटाकर लाया ही जाएगा और वह बुरी से बुरी सज़ा देगा
Wa 'Ammā Man 'Āmana Wa `Amila Şāliĥāan Falahu Jazā'an Al-Ĥusná ۖ Wa Sanaqūlu Lahu Min 'Amrinā Yusrāan
018-088 और जो शख्स ईमान कुबूल करेगा और अच्छे काम करेगा तो (वैसा ही) उसके लिए अच्छे से अच्छा बदला है और हम बहुत जल्द उसे अपने कामों में से आसान काम (करने) को कहेंगे
018-090 यहाँ तक कि जब चलते-चलते आफताब के तूलूउ होने की जगह पहुँचा तो (आफताब) से ऐसा ही दिखाई दिया (गोया) कुछ लोगों के सर पर उस तरह तुलूउ कर रहा है जिन के लिए हमने आफताब के सामने कोई आड़ नहीं बनाया था
018-093 यहाँ तक कि जब चलते-चलते रोम में एक पहाड़ के (कंगुरों के) दीवारों के बीचो बीच पहुँच गया तो उन दोनों दीवारों के इस तरफ एक क़ौम को (आबाद) पाया तो बात चीत कुछ समझ ही नहीं सकती थी
018-094 उन लोगों ने मुतरज्जिम के ज़रिए से अर्ज़ की ऐ ज़ुलकरनैन (इसी घाटी के उधर याजूज माजूज की क़ौम है जो) मुल्क में फ़साद फैलाया करते हैं तो अगर आप की इजाज़त हो तो हम लोग इस ग़र्ज़ से आपसे पास चन्दा जमा करें कि आप हमारे और उनके दरमियान कोई दीवार बना दें
018-095 जुलकरनैन ने कहा कि मेरे परवरदिगार ने ख़र्च की जो कुदरत मुझे दे रखी है वह (तुम्हारे चन्दे से) कहीं बेहतर है (माल की ज़रूरत नहीं) तुम फक़त मुझे क़ूवत से मदद दो तो मैं तुम्हारे और उनके दरमियान एक रोक बना दूँ
018-096 (अच्छा तो) मुझे (कहीं से) लोहे की सिले ला दो (चुनान्चे वह लोग) लाए और एक बड़ी दीवार बनाई यहाँ तक कि जब दोनो कंगूरो के दरमेयान (दीवार) को बुलन्द करके उनको बराबर कर दिया तो उनको हुक्म दिया कि इसके गिर्द आग लगाकर धौको यहां तक उसको (धौंकते-धौंकते) लाल अंगारा बना दिया
Famā Asţā`ū 'An Yažharūhu Wa Mā Astaţā`ū Lahu Naqbāan
018-097 तो कहा कि अब हमको ताँबा दो कि इसको पिघलाकर इस दीवार पर उँडेल दें (ग़रज़) वह ऐसी ऊँची मज़बूत दीवार बनी कि न तो याजूज व माजूज उस पर चढ़ ही सकते थे और न उसमें नक़ब लगा सकते थे
018-098 जुलक़रनैन ने (दीवार को देखकर) कहा ये मेरे परवरदिगार की मेहरबानी है मगर जब मेरे परवरदिगार का वायदा (क़यामत) आयेगा तो इसे ढहा कर हमवार कर देगा और मेरे परवरदिगार का वायदा सच्चा है
Wa Taraknā Ba`đahum Yawma'idhin Yamūju Fī Ba`đin ۖ Wa Nufikha Fī Aş-Şūri Fajama`nāhum Jam`āan
018-099 और हम उस दिन (उन्हें उनकी हालत पर) छोड़ देंगे कि एक दूसरे में (टकरा के दरिया की) लहरों की तरह गुड़मुड़ हो जाएँ और सूर फूँका जाएगा तो हम सब को इकट्ठा करेंगे
018-102 तो क्या जिन लोगों ने कुफ्र एख्तियार किया इस ख्याल में हैं कि हमको छोड़कर हमारे बन्दों को अपना सरपरस्त बना लें (कुछ पूछगछ न होगी) (अच्छा सुनो) हमने काफिरों की मेहमानदारी के लिए जहन्नुम तैयार कर रखी है
018-105 यही वह लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार की आयातों से और (क़यामत के दिन) उसके सामने हाज़िर होने से इन्कार किया तो उनका सब किया कराया अकारत हुआ तो हम उसके लिए क़यामत के दिन मीजान हिसाब भी क़ायम न करेंगे
Dhālika Jazā'uuhum Jahannamu Bimā Kafarū Wa Attakhadhū 'Āyātī Wa Rusulī Huzūan
018-106 (और सीधे जहन्नुम में झोंक देगें) ये जहन्नुम उनकी करतूतों का बदला है कि उन्होंने कुफ्र एख्तियार किया और मेरी आयतों और मेरे रसूलों को हँसी ठठ्ठा बना लिया
Qul Law Kāna Al-Baĥru Midādāan Likalimāti Rabbī Lanafida Al-BaĥruQabla 'An Tanfada Kalimātu Rabbī Wa Law Ji'nā Bimithlihi Madadāan
018-109 (ऐ रसूल उन लोगों से) कहो कि अगर मेरे परवरदिगार की बातों के (लिखने के) वास्ते समन्दर (का पानी) भी सियाही बन जाए तो क़ब्ल उसके कि मेरे परवरदिगार की बातें ख़त्म हों समन्दर ही ख़त्म हो जाएगा अगरचे हम वैसा ही एक समन्दर उस की मदद को लाँए
018-110 (ऐ रसूल) कह दो कि मैं भी तुम्हारा ही ऐसा एक आदमी हूँ (फर्क़ इतना है) कि मेरे पास ये वही आई है कि तुम्हारे माबूद यकता माबूद हैं तो वो शख्स आरज़ूमन्द होकर अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होगा तो उसे अच्छे काम करने चाहिए और अपने परवरदिगार की इबादत में किसी को शरीक न करें