011-002 फिर तफ़सीलदार बयान कर दी गयी हैं ये कि ख़ुदा के सिवा किसी की परसतिश न करो मै तो उसकी तरफ से तुम्हें (अज़ाब से) डराने वाला और (बेहिश्त की) ख़ुशख़बरी देने वाला (रसूल) हूँ
Wa 'Ani Astaghfirū RabbakumThumma Tūbū 'Ilayhi Yumatti`kum Matā`āan Ĥasanāan 'Ilá 'Ajalin Musamman Wa Yu'uti Kulla Dhī Fađlin Fađlahu ۖ Wa 'In Tawallaw Fa'innī 'Akhāfu `Alaykum `Adhāba Yawmin Kabīrin
011-003 और ये भी कि अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में (गुनाहों से) तौबा करो वही तुम्हें एक मुकर्रर मुद्दत तक अच्छे नुत्फ के फायदे उठाने देगा और वही हर साहबे बुर्ज़गी को उसकी बुर्जुगी (की दाद) अता फरमाएगा और अगर तुमने (उसके हुक्म से) मुँह मोड़ा तो मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े (ख़ौफनाक) दिन के अज़ाब का डर है
011-005 (ऐ रसूल) देखो ये कुफ़्फ़ार (तुम्हारी अदावत में) अपने सीनों को (गोया) दोहरा किए डालते हैं ताकि ख़ुदा से (अपनी बातों को) छिपाए रहें (मगर) देखो जब ये लोग अपने कपड़े ख़ूब लपेटते हैं (तब भी तो) ख़ुदा (उनकी बातों को) जानता है जो छिपाकर करते हैं और खुल्लम खुल्ला करते हैं इसमें शक़ नहीं कि वह सीनों के भेद तक को खूब जानता है
Wa Mā Min Dābbatin Fī Al-'Arđi 'Illā `Alá Allāhi Rizquhā Wa Ya`lamu Mustaqarrahā Wa Mustawda`ahā ۚ Kullun Fī Kitābin Mubīnin
011-006 और ज़मीन पर चलने वालों में कोई ऐसा नहीं जिसकी रोज़ी ख़ुदा के ज़िम्मे न हो और ख़ुदा उनके ठिकाने और (मरने के बाद) उनके सौपे जाने की जगह (क़ब्र) को भी जानता है सब कुछ रौशन किताब (लौहे महफूज़) में मौजूद है
Wa Huwa Al-Ladhī Khalaqa As-Samāwāti Wa Al-'Arđa Fī Sittati 'Ayyāmin Wa Kāna `Arshuhu `Alá Al-Mā'i Liyabluwakum 'Ayyukum 'Aĥsanu `Amalāan ۗ Wa La'inQulta 'Innakum Mab`ūthūna Min Ba`di Al-Mawti Layaqūlanna Al-Ladhīna Kafarū 'In Hādhā 'Illā Siĥrun Mubīnun
011-007 और वह तो वही (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जिसने आसमानों और ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया और (उस वक्त) उसका अर्श (फलक नहुम) पानी पर था (उसने आसमान व ज़मीन) इस ग़रज़ से बनाया ताकि तुम लोगों को आज़माए कि तुममे ज्यादा अच्छी कार गुज़ारी वाला कौन है और (ऐ रसूल) अगर तुम (उनसे) कहोगे कि मरने के बाद तुम सबके सब दोबारा (क़ब्रों से) उठाए जाओगे तो काफ़िर लोग ज़रुर कह बैठेगें कि ये तो बस खुला हुआ जादू है
011-008 और अगर हम गिनती के चन्द रोज़ो तक उन पर अज़ाब करने में देर भी करें तो ये लोग (अपनी शरारत से) बेताम्मुल ज़रुर कहने लगेगें कि (हाए) अज़ाब को कौन सी चीज़ रोक रही है सुन रखो जिस दिन इन पर अज़ाब आ पडे तो (फिर) उनके टाले न टलेगा और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे वह उनको हर तरह से घेर लेगा
011-010 (और हमारी शिकायत करने लगता है) और अगर हम तकलीफ के बाद जो उसे पहुँचती थी राहत व आराम का जाएक़ा चखाए तो ज़रुर कहने लगता है कि अब तो सब सख्तियाँ मुझसे दफा हो गई इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा (जल्दी खुश) होने येख़ी बाज़ है
011-012 तो जो चीज़ तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए से भेजी है उनमें से बाज़ को (सुनाने के वक्त) यायद तुम फक़त इस ख्याल से छोड़ देने वाले हो और तुम तंग दिल हो कि मुबादा ये लोग कह बैंठें कि उन पर खज़ाना क्यों नहीं नाज़िल किया गया या (उनके तसदीक के लिए) उनके साथ कोई फरिश्ता क्यों न आया तो तुम सिर्फ (अज़ाब से) डराने वाले हो
'Am Yaqūlūna Aftarāhu ۖ Qul Fa'tū Bi`ashri Suwarin Mithlihi Muftarayātin Wa Ad`ū Mani Astaţa`tum Min Dūni Allāhi 'In KuntumŞādiqīna
011-013 तुम्हें उनका ख्याल न करना चाहिए और ख़ुदा हर चीज़ का ज़िम्मेदार है क्या ये लोग कहते हैं कि उस शख़्श (तुम) ने इस (क़ुरान) को अपनी तरफ से गढ़ लिया है तो तुम (उनसे साफ साफ) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो (ज्यादा नहीं) ऐसे दस सूरे अपनी तरफ से गढ़ के ले आओं
Fa'illam Yastajībū Lakum Fā`lamū 'Annamā 'Unzila Bi`ilmi Allāhi Wa 'An Lā 'Ilāha 'Illā Huwa ۖ Fahal 'Antum Muslimūna
011-014 और ख़ुदा के सिवा जिस जिस के तुम्हे बुलाते बन पड़े मदद के वास्ते बुला लो उस पर अगर वह तुम्हारी न सुने तो समझ ले कि (ये क़ुरान) सिर्फ ख़ुदा के इल्म से नाज़िल किया गया है और ये कि ख़ुदा के सिवा कोई माबूद नहीं तो क्या तुम अब भी इस्लाम लाओगे (या नहीं)
Man Kāna Yurīdu Al-Ĥayāata Ad-Dunyā Wa Zīnatahā Nuwaffi 'Ilayhim 'A`mālahum Fīhā Wa Hum Fīhā Lā Yubkhasūna
011-015 नेकी करने वालों में से जो शख़्श दुनिया की ज़िन्दगी और उसके रिज़क़ का तालिब हो तो हम उन्हें उनकी कारगुज़ारियों का बदला दुनिया ही में पूरा पूरा भर देते हैं और ये लोग दुनिया में घाटे में नहीं रहेगें
'Ūlā'ika Al-Ladhīna Laysa Lahum Fī Al-'Ākhirati 'Illā An-Nāru ۖ Wa Ĥabiţa Mā Şana`ū Fīhā Wa Bāţilun Mā Kānū Ya`malūna
011-016 मगर (हाँ) ये वह लोग हैं जिनके लिए आख़िरत में (जहन्नुम की) आग के सिवा कुछ नहीं और जो कुछ दुनिया में उन लोगों ने किया धरा था सब अकारत (बर्बाद) हो गया और जो कुछ ये लोग करते थे सब मिटियामेट हो गया
'Afaman Kāna `Alá Bayyinatin MinRabbihi Wa Yatlūhu Shāhidun Minhu Wa MinQablihi Kitābu Mūsá 'Imāmāan Wa Raĥmatan ۚ 'Ūlā'ika Yu'uminūna Bihi ۚ Wa Man Yakfur Bihi Mina Al-'Aĥzābi Fālnnāru Maw`iduhu ۚ Falā Takun Fī Miryatin Minhu ۚ 'Innahu Al-Ĥaqqu MinRabbika Wa Lakinna 'Akthara An-Nāsi Lā Yu'uminūna
011-017 तो क्या जो शख़्श अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो और उसके पीछे ही पीछे उनका एक गवाह हो और उसके क़बल मूसा की किताब (तौरैत) जो (लोगों के लिए) पेशवा और रहमत थी (उसकी तसदीक़ करती हो वह बेहतर है या कोई दूसरा) यही लोग सच्चे ईमान लाने वाले और तमाम फिरक़ों में से जो शख़्श भी उसका इन्कार करे तो उसका ठिकाना बस आतिश (जहन्नुम) है तो फिर तुम कहीं उसकी तरफ से शक़ में न पड़े रहना, बेशक ये क़ुरान तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से बरहक़ है मगर बहुतेरे लोग ईमान नही लाते
Wa Man 'Ažlamu Mimmani Aftará `Alá Allāhi Kadhibāan ۚ 'Ūlā'ika Yu`rađūna `Alá Rabbihim Wa Yaqūlu Al-'Ash/hādu Hā'uulā' Al-Ladhīna Kadhabū `Alá Rabbihim ۚ 'Alā La`natu Allāhi `Alá Až-Žālimīna
011-018 और ये जो शख़्श ख़ुदा पर झूठ मूठ बोहतान बॉधे उससे ज्यादा ज़ालिम कौन होगा ऐसे लोग अपने परवरदिगार के हुज़ूर में पेश किए जाएंगें और गवाह इज़हार करेगें कि यही वह लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार पर झूट (बोहतान) बाँधा था सुन रखो कि ज़ालिमों पर ख़ुदा की फिटकार है
'Ūlā'ika Lam Yakūnū Mu`jizīna Fī Al-'Arđi Wa Mā Kāna Lahum Min Dūni Allāhi Min 'Awliyā'a ۘ Yuđā`afu Lahumu Al-`Adhābu ۚ Mā Kānū Yastaţī`ūna As-Sam`a Wa Mā Kānū Yubşirūna
011-020 ये लोग रुए ज़मीन में न ख़ुदा को हरा सकते है और न ख़ुदा के सिवा उनका कोई सरपरस्त होगा उनका अज़ाब दूना कर दिया जाएगा ये लोग (हसद के मारे) न तो (हक़ बात) सुन सकते थे न देख सकते थे
'Inna Al-Ladhīna 'Āmanū Wa `Amilū Aş-Şāliĥāti Wa 'Akhbatū 'Ilá Rabbihim 'Ūlā'ika 'Aşĥābu Al-Jannati ۖ Hum Fīhā Khālidūna
011-023 बेशक जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और अपने परवरदिगार के सामने आजज़ी से झुके यही लोग जन्नती हैं कि ये बेहश्त में हमेशा रहेगें
Mathalu Al-Farīqayni Kāl'a`má Wa Al-'Aşammi Wa Al-Başīri Wa As-Samī`i ۚ Hal Yastawiyāni Mathalāan ۚ 'Afalā Tadhakkarūna
011-024 (काफिर, मुसलमान) दोनों फरीक़ की मसल अन्धे और बहरे और देखने वाले और सुनने वाले की सी है क्या ये दोनो मसल में बराबर हो सकते हैं तो क्या तुम लोग ग़ौर नहीं करते और हमने नूह को ज़रुर उन की क़ौम के पास भेजा
Faqāla Al-Mala'u Al-Ladhīna Kafarū MinQawmihi Mā Narāka 'Illā Basharāan Mithlanā Wa Mā Narāka Attaba`aka 'Illā Al-Ladhīna Hum 'Arādhilunā Bādiya Ar-Ra'yi Wa Mā Nará Lakum `Alaynā Min Fađlin Bal Nažunnukum Kādhibīna
011-027 तो उनके सरदार जो काफ़िर थे कहने लगे कि हम तो तुम्हें अपना ही सा एक आदमी समझते हैं और हम तो देखते हैं कि तुम्हारे पैरोकार हुए भी हैं तो बस सिर्फ हमारे चन्द रज़ील (नीच) लोग (और वह भी बे सोचे समझे सरसरी नज़र में) और हम तो अपने ऊपर तुम लोगों की कोई फज़ीलत नहीं देखते बल्कि तुम को झूठा समझते हैं
Qāla Yā Qawmi 'Ara'aytum 'In Kuntu `Alá Bayyinatin MinRabbī Wa 'Ātānī Raĥmatan Min `Indihi Fa`ummiyat `Alaykum 'Anulzimukumūhā Wa 'Antum Lahā Kārihūna
011-028 (नूह ने) कहा ऐ मेरी क़ौम क्या तुमने ये समझा है कि अगर मैं अपने परवरदिगार की तरफ से एक रौशन दलील पर हूँ और उसने अपनी सरकार से रहमत (नुबूवत) अता फरमाई और वह तुम्हें सुझाई नहीं देती तो क्या मैं उसको (ज़बरदस्ती) तुम्हारे गले मंढ़ सकता हूँ
Wa Yāqawmi Lā 'As'alukum `Alayhi Mālāan 'In ۖ 'Ajriya 'Illā `Alá Allāhi Wa Mā ۚ 'Anā Biţāridi Al-Ladhīna 'Āmanū 'Innahum ۚ Mulāqū Rabbihim Wa Lakinnī 'ArākumQawmāan Tajhalūna
011-029 और तुम हो कि उसको नापसन्द किए जाते हो और ऐ मेरी क़ौम मैं तो तुमसे इसके सिले में कुछ माल का तालिब नहीं मेरी मज़दूरी तो सिर्फ ख़ुदा के ज़िम्मे है और मै तो तुम्हारे कहने से उन लोगों को जो ईमान ला चुके हैं निकाल नहीं सकता (क्योंकि) ये लोग भी ज़रुर अपने परवरदिगार के हुज़ूर में हाज़िर होगें मगर मै तो देखता हूँ कि कुछ तुम ही लोग (नाहक़) जिहालत करते हो
Wa Yāqawmi Man Yanşurunī Mina Allāhi 'InŢaradtuhum 'Afalā ۚ Tadhakkarūna
011-030 और मेरी क़ौम अगर मै इन (बेचारे ग़रीब) (ईमानदारों) को निकाल दूँ तो ख़ुदा (के अज़ाब) से (बचाने में) मेरी मदद कौन करेगा तो क्या तुम इतना भी ग़ौर नहीं करते
Wa Lā 'Aqūlu Lakum `Indī Khazā'inu Allāhi Wa Lā 'A`lamu Al-Ghayba Wa Lā 'Aqūlu 'Innī Malakun Wa Lā 'Aqūlu Lilladhīna Tazdarī 'A`yunukum Lan Yu'utiyahumu Allāhu Khayrāan ۖ Al-Lahu 'A`lamu Bimā Fī 'Anfusihim ۖ 'Innī 'Idhāan Lamina Až-Žālimīna
011-031 और मै तो तुमसे ये नहीं कहता कि मेरे पास खुदाई ख़ज़ाने हैं और न (ये कहता हूँ कि) मै ग़ैब वॉ हूँ (गैब का जानने वाला) और ये कहता हूँ कि मै फरिश्ता हूँ और जो लोग तुम्हारी नज़रों में ज़लील हैं उन्हें मै ये नहीं कहता कि ख़ुदा उनके साथ हरगिज़ भलाई नहीं करेगा उन लोगों के दिलों की बात ख़ुदा ही खूब जानता है और अगर मै ऐसा कहूँ तो मै भी यक़ीनन ज़ालिम हूँ
Qāla 'Innamā Ya'tīkum Bihi Allāhu 'InShā'a Wa Mā 'Antum Bimu`jizīna
011-033 नूह ने कहा अगर चाहेगा तो बस ख़ुदा ही तुम पर अज़ाब लाएगा और तुम लोग किसी तरह उसे हरा नहीं सकते और अगर मै चाहूँ तो तुम्हारी (कितनी ही) ख़ैर ख्वाही (भलाई) करुँ
Wa Lā Yanfa`ukum Nuşĥī 'In 'Aradtu 'An 'Anşaĥa Lakum 'In Kāna Allāhu Yurīdu 'An Yughwiyakum ۚ Huwa Rabbukum Wa 'Ilayhi Turja`ūna
011-034 अगर ख़ुदा को तुम्हारा बहकाना मंज़ूर है तो मेरी ख़ैर ख्वाही कुछ भी तुम्हारे काम नहीं आ सकती वही तुम्हारा परवरदिगार है और उसी की तरफ तुम को लौट जाना है
011-035 (ऐ रसूल) क्या (कुफ्फ़ारे मक्का भी) कहते हैं कि क़ुरान को उस (तुम) ने गढ़ लिया है तुम कह दो कि अगर मैने उसको गढ़ा है तो मेरे गुनाह का वबाल मुझ पर होगा और तुम लोग जो (गुनाह करके) मुजरिम होते हो उससे मै बरीउल ज़िम्मा (अलग) हूँ
Wa 'Ūĥiya 'Ilá Nūĥin 'Annahu Lan Yu'umina MinQawmika 'Illā ManQad 'Āmana Falā Tabta'is Bimā Kānū Yaf`alūna
011-036 और नूह के पास ये 'वही' भेज दी गई कि जो ईमान ला चुका उनके सिवा अब कोई शख़्श तुम्हारी क़ौम से हरगिज़ ईमान न लाएगा तो तुम ख्वाहमा ख्वाह उनकी कारस्तानियों का (कुछ) ग़म न खाओ
Wa Aşna`i Al-Fulka Bi'a`yuninā Wa Waĥyinā Wa Lā Tukhāţibnī Fī Al-Ladhīna Žalamū ۚ 'Innahum Mughraqūna
011-037 और (बिस्मिल्लाह करके) हमारे रुबरु और हमारे हुक्म से कश्ती बना डालो और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके बारे में मुझसे सिफारिश न करना क्योंकि ये लोग ज़रुर डुबा दिए जाएँगें
011-038 और नूह कश्ती बनाने लगे और जब कभी उनकी क़ौम के सरबर आवुरदा लोग उनके पास से गुज़रते थे तो उनसे मसख़रापन करते नूह (जवाब में) कहते कि अगर इस वक्त तुम हमसे मसखरापन करते हो तो जिस तरह तुम हम पर हँसते हो हम तुम पर एक वक्त हँसेगें
Fasawfa Ta`lamūna Man Ya'tīhi `Adhābun Yukhzīhi Wa Yaĥillu `Alayhi `Adhābun Muqīmun
011-039 और तुम्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि किस पर अज़ाब नाज़िल होता है कि (दुनिया में) उसे रुसवा कर दे और किस पर (क़यामत में) दाइमी अज़ाब नाज़िल होता है
Ĥattá 'Idhā Jā'a 'Amrunā Wa Fāra At-TannūruQulnā Aĥmil Fīhā Min Kullin Zawjayni Athnayni Wa 'Ahlaka 'Illā Man Sabaqa `Alayhi Al-Qawlu Wa Man 'Āmana ۚ Wa Mā 'Āmana Ma`ahu~ 'Illā Qalīlun
011-040 यहाँ तक कि जब हमारा हुक्म (अज़ाब) आ पहुँचा और तन्नूर से जोश मारने लगा तो हमने हुक्म दिया (ऐ नूह) हर किस्म के जानदारों में से (नर मादा का) जोड़ा (यानि) दो दो ले लो और जिस (की) हलाकत (तबाही) का हुक्म पहले ही हो चुका हो उसके सिवा अपने सब घर वाले और जो लोग ईमान ला चुके उन सबको कश्ती (नाँव) में बैठा लो और उनके साथ ईमान भी थोड़े ही लोग लाए थे
Wa Qāla Arkabū Fīhā Bismi Allāhi Majrāhā Wa Mursāhā ۚ 'Inna Rabbī LaghafūrunRaĥīmun
011-041 और नूह ने (अपने साथियों से) कहा बिस्मिल्ला मज़रीहा मुरसाहा (ख़ुदा ही के नाम से उसका बहाओ और ठहराओ है) कश्ती में सवार हो जाओ बेशक मेरा परवरदिगार बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Wa Hiya Tajrī Bihim Fī Mawjin Kāljibāli Wa Nādá Nūĥun Abnahu Wa Kāna Fī Ma`zilin Yā Bunayya Arkab Ma`anā Wa Lā Takun Ma`a Al-Kāfirīna
011-042 और कश्ती है कि पहाड़ों की सी (ऊँची) लहरों में उन लोगों को लिए हुए चली जा रही है और नूह ने अपने बेटे को जो उनसे अलग थलग एक गोशे (कोने) में था आवाज़ दी ऐ मेरे फरज़न्द हमारी कश्ती में सवार हो लो और काफिरों के साथ न रह
Qāla Sa'āwī 'Ilá Jabalin Ya`şimunī Mina Al-Mā'i ۚ Qāla Lā `Āşima Al-Yawma Min 'Amri Allāhi 'Illā ManRaĥima ۚ Wa Ĥāla Baynahumā Al-Mawju Fakāna Mina Al-Mughraqīna
011-043 (मुझे माफ कीजिए) मै तो अभी किसी पहाड़ का सहारा पकड़ता हूँ जो मुझे पानी (में डूबने) से बचा लेगा नूह ने (उससे) कहा (अरे कम्बख्त) आज ख़ुदा के अज़ाब से कोई बचाने वाला नहीं मगर ख़ुदा ही जिस पर रहम फरमाएगा और (ये बात हो रही थी कि) यकायक दोनो बाप बेटे के दरमियान एक मौज हाएल हो गई और वह डूब कर रह गया
Wa Qīla Yā 'Arđu Abla`ī Mā'aki Wa Yā Samā'u 'Aqli`ī Wa Ghīđa Al-Mā'u Wa Quđiya Al-'Amru Wa Astawat `Alá Al-Jūdīyi ۖ Wa Qīla Bu`dāan Lilqawmi Až-Žālimīna
011-044 और (ग़ैब ख़ुदा की तरफ से) हुक्म दिया गया कि ऐ ज़मीन अपना पानी जज्ब (शोख) करे और ऐ आसमान (बरसने से) थम जा और पानी घट गया और (लोगों का) काम तमाम कर दिया गया और कश्ती जो वही (पहाड़) पर जा ठहरी और (चारो तरफ) पुकार दिया गया कि ज़ालिम लोगों को (ख़ुदा की रहमत से) दूरी हो
Wa Nādá NūĥunRabbahu Faqāla Rabbi 'Inna Abnī Min 'Ahlī Wa 'Inna Wa`daka Al-Ĥaqqu Wa 'Anta 'Aĥkamu Al-Ĥākimīna
011-045 और (जिस वक्त नूह का बेटा ग़रक (डूब) हो रहा था तो नूह ने अपने परवरदिगार को पुकारा और अर्ज़ की ऐ मेरे परवरदिगार इसमें तो शक़ नहीं कि मेरा बेटा मेरे अहल (घर वालों) में शामिल है और तूने वायदा किया था कि तेरे अहल को बचा लूँगा) और इसमें शक़ नहीं कि तेरा वायदा सच्चा है और तू सारे (जहान) के हाकिमों से बड़ा हाकिम है
011-046 (तू मेरे बेटे को नजात दे) ख़ुदा ने फरमाया ऐ नूह तुम (ये क्या कह रहे हो) हरगिज़ वह तुम्हारे अहल में शामिल नहीं वह बेशक बदचलन है (देखो जिसका तुम्हें इल्म नहीं है मुझसे उसके बारे में (दरख्वास्त न किया करो और नादानों की सी बातें न करो) नूह ने अर्ज़ की ऐ मेरे परवरदिगार मै तुझ ही से पनाह मागँता हूँ कि जिस चीज़ का मुझे इल्म न हो मै उसकी दरख्वास्त करुँ
Qāla Rabbi 'Innī 'A`ūdhu Bika 'An 'As'alaka Mā Laysa Lī Bihi `Ilmun ۖ Wa 'Illā Taghfir Lī Wa Tarĥamnī 'Akun Mina Al-Khāsirīna
011-047 और अगर तु मुझे (मेरे कसूर न बख्श देगा और मुझ पर रहम न खाएगा तो मैं सख्त घाटा उठाने वालों में हो जाऊँगा (जब तूफान जाता रहा तो) हुक्म दिया गया ऐ नूह हमारी तरफ से सलामती और उन बरकतों के साथ कश्ती से उतरो
Qīla Yā Nūĥu Ahbiţ Bisalāmin Minnā Wa Barakātin `Alayka Wa `Alá 'Umamin Mimman Ma`aka ۚ Wa 'Umamun Sanumatti`uhumThumma Yamassuhum Minnā `Adhābun 'Alīmun
011-048 जो तुम पर हैं और जो लोग तुम्हारे साथ हैं उनमें से न कुछ लोगों पर और (तुम्हारे बाद) कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम थोड़े ही दिन बाद बहरावर करेगें फिर हमारी तरफ से उनको दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा
Tilka Min 'Anbā'i Al-Ghaybi Nūĥīhā 'Ilayka ۖ Mā Kunta Ta`lamuhā 'Anta Wa Lā Qawmuka MinQabli Hādhā ۖ Fāşbir ۖ 'Inna Al-`Āqibata Lilmuttaqīna
011-049 (ऐ रसूल) ये ग़ैब की चन्द ख़बरे हैं जिनको तुम्हारी तरफ वही के ज़रिए पहुँचाते हैं जो उसके क़ब्ल न तुम जानते थे और न तुम्हारी क़ौम ही (जानती थी) तो तुम सब्र करो इसमें शक़ नहीं कि आख़िारत (की खूबियाँ) परहेज़गारों ही के वास्ते हैं
Wa 'Ilá `Ādin 'Akhāhum Hūdāan ۚ Qāla Yā Qawmi A`budū Allaha Mā Lakum Min 'Ilahin Ghayruhu~ ۖ 'In 'Antum 'Illā Muftarūna
011-050 और (हमने) क़ौमे आद के पास उनके भाई हूद को (पैग़म्बर बनाकर भेजा और) उन्होनें अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की परसतिश करों उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं तुम बस निरे इफ़तेरा परदाज़ (झूठी बात बनाने वाले) हो
011-051 ऐ मेरी क़ौम मै उस (समझाने पर तुमसे कुछ मज़दूरी नहीं मॉगता मेरी मज़दूरी तो बस उस शख़्श के ज़िम्मे है जिसने मुझे पैदा किया तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते
Wa Yā Qawmi Astaghfirū RabbakumThumma Tūbū 'Ilayhi Yursili As-Samā'a `Alaykum Midrārāan Wa YazidkumQūwatan 'Ilá Qūwatikum Wa Lā Tatawallaw Mujrimīna
011-052 और ऐ मेरी क़ौम अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में अपने (गुनाहों से) तौबा करो तो वह तुम पर मूसलाधार मेह आसमान से बरसाएगा ख़ुश्क साली न होगी और तुम्हारी क़ूवत (ताक़त) में और क़ूवत बढ़ा देगा और मुजरिम बन कर उससे मुँह न मोड़ों
Qālū Yā Hūdu Mā Ji'tanā Bibayyinatin Wa Mā Naĥnu Bitārikī 'Ālihatinā `AnQawlika Wa Mā Naĥnu Laka Bimu'uminīna
011-053 वह लोग कहने लगे ऐ हूद तुम हमारे पास कोई दलील लेकर तो आए नहीं और तुम्हारे कहने से अपने ख़ुदाओं को तो छोड़ने वाले नहीं और न हम तुम पर ईमान लाने वाले हैं
011-054 हम तो बस ये कहते हैं कि हमारे ख़ुदाओं में से किसने तुम्हें मजनून (दीवाना) बना दिया है (इसी वजह से तुम) बहकी बहकी बातें करते हो हूद ने जवाब दिया बेशक मै ख़ुदा को गवाह करता हूँ और तुम भी गवाह रहो कि तुम ख़ुदा के सिवा (दूसरों को) उसका शरीक बनाते हो
'Innī Tawakkaltu `Alá Allāhi Rabbī Wa Rabbikum ۚ Mā Min Dābbatin 'Illā Huwa 'Ākhidhun Bināşiyatihā ۚ 'Inna Rabbī `Alá Şirāţin Mustaqīmin
011-056 मै तो सिर्फ ख़ुदा पर भरोसा रखता हूँ जो मेरा भी परवरदिगार है और तुम्हारा भी परवरदिगार है और रुए ज़मीन पर जितने चलने वाले हैं सबकी चोटी उसी के साथ है इसमें तो शक़ ही नहीं कि मेरा परवरदिगार (इन्साफ की) सीधी राह पर है
011-057 इस पर भी अगर तुम उसके हुक्म से मुँह फेरे रहो तो जो हुक्म दे कर मैं तुम्हारे पास भेजा गया था उसे तो मैं यक़ीनन पहुँचा चुका और मेरा परवरदिगार (तुम्हारी नाफरमानी पर तुम्हें हलाक करें) तुम्हारे सिवा दूसरी क़ौम को तुम्हारा जानशीन करेगा और तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते इसमें तो शक़ नहीं है कि मेरा परवरदिगार हर चीज़ का निगेहबान है
Wa Tilka `Ādun ۖ Jaĥadū Bi'āyāti Rabbihim Wa `Aşaw Rusulahu Wa Attaba`ū 'Amra Kulli Jabbārin `Anīdin
011-059 (ऐ रसूल) ये हालात क़ौमे आद के हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार की आयतों से इन्कार किया और उसके पैग़म्बरों की नाफ़रमानी की और हर सरकश (दुश्मने ख़ुदा) के हुक्म पर चलते रहें
Wa 'Utbi`ū Fī Hadhihi Ad-Dunyā La`natan Wa Yawma Al-Qiyāmati ۗ 'Alā 'Inna `Ādāan Kafarū Rabbahum ۗ 'Alā Bu`dāan Li`ādinQawmi Hūdin
011-060 और इस दुनिया में भी लानत उनके पीछे लगा दी गई और क़यामत के दिन भी (लगी रहेगी) देख क़ौमे आद ने अपने परवरदिगार का इन्कार किया देखो हूद की क़ौमे आद (हमारी बारगाह से) धुत्कारी पड़ी है
Wa 'Ilá Thamūda 'AkhāhumŞāliĥāan ۚ Qāla Yā Qawmi A`budū Allaha Mā Lakum Min 'Ilahin Ghayruhu ۖ Huwa 'Ansha'akum Mina Al-'Arđi Wa Asta`marakum Fīhā Fāstaghfirūhu Thumma Tūbū 'Ilayhi ۚ 'Inna Rabbī Qarībun Mujībun
011-061 और (हमने) क़ौमे समूद के पास उनके भाई सालेह को (पैग़म्बर बनाकर भेजा) तो उन्होंने (अपनी क़ौम से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की परसतिश करो उसके सिवा कोई तुम्हारा माबूद नहीं उसी ने तुमको ज़मीन (की मिट्टी) से पैदा किया और तुमको उसमें बसाया तो उससे मग़फिरत की दुआ मॉगों फिर उसकी बारगाह में तौबा करो (बेशक मेरा परवरदिगार (हर शख़्श के) क़रीब और सबकी सुनता और दुआ क़ुबूल करता है
Qālū Yā Şāliĥu Qad Kunta Fīnā MarjūwāanQabla Hādhā ۖ 'Atanhānā 'An Na`buda Mā Ya`budu 'Ābā'uunā Wa 'Innanā Lafī Shakkin Mimmā Tad`ūnā 'Ilayhi Murībin
011-062 वह लोग कहने लगे ऐ सालेह इसके पहले तो तुमसे हमारी उम्मीदें वाबस्ता थी तो क्या अब तुम जिस चीज़ की परसतिश हमारे बाप दादा करते थे उसकी परसतिश से हमें रोकते हो और जिस दीन की तरफ तुम हमें बुलाते हो हम तो उसकी निस्बत ऐसे शक़ में पड़े हैं
011-063 कि उसने हैरत में डाल दिया है सालेह ने जवाब दिया ऐ मेरी क़ौम भला देखो तो कि अगर मैं अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हूँ और उसने मुझे अपनी (बारगाह) मे रहमत (नबूवत) अता की है इस पर भी अगर मै उसकी नाफ़रमानी करुँ तो ख़ुदा (के अज़ाब से बचाने में) मेरी मदद कौन करेगा-फिर तुम सिवा नुक़सान के मेरा कुछ बढ़ा दोगे नहीं
Wa Yā Qawmi Hadhihi Nāqatu Allāhi Lakum 'Āyatan Fadharūhā Ta'kul Fī 'Arđi Allāhi Wa Lā Tamassūhā Bisū'in Faya'khudhakum `AdhābunQarībun
011-064 ऐ मेरी क़ौम ये ख़ुदा की (भेजी हुई) ऊँटनी है तुम्हारे वास्ते (मेरी नबूवत का) एक मौजिज़ा है तो इसको (उसके हाल पर) छोड़ दो कि ख़ुदा की ज़मीन में (जहाँ चाहे) खाए और उसे कोई तकलीफ न पहुँचाओ
011-065 (वरना) फिर तुम्हें फौरन ही (ख़ुदा का) अज़ाब ले डालेगा इस पर भी उन लोगों ने उसकी कूँचे काटकर (मार) डाला तब सालेह ने कहा अच्छा तीन दिन तक (और) अपने अपने घर में चैन (उड़ा लो)
Falammā Jā'a 'Amrunā Najjaynā Şāliĥāan Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Ma`ahu Biraĥmatin Minnā Wa Min Khizyi Yawmi'idhin ۗ 'Inna Rabbaka Huwa Al-Qawīyu Al-`Azīzu
011-066 यही ख़ुदा का वायदा है जो कभी झूठा नहीं होता फिर जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने सालेह और उन लोगों को जो उसके साथ ईमान लाए थे अपनी मेहरबानी से नजात दी और उस दिन की रुसवाई से बचा लिया इसमें शक़ नहीं कि तेरा परवरदिगार ज़बरदस्त ग़ालिब है
011-068 और ऐसे मर मिटे कि गोया उनमें कभी बसे ही न थे तो देखो क़ौमे समूद ने अपने परवरदिगार की नाफरमानी की और (सज़ा दी गई) सुन रखो कि क़ौमे समूद (उसकी बारगाह से) धुत्कारी हुईहै
011-069 और हमारे भेजे हुए (फरिश्ते) इबराहीम के पास खुशख़बरी लेकर आए और उन्होंने (इबराहीम को) सलाम किया (इबराहीम ने) सलाम का जवाब दिया फिर इबराहीम एक बछड़े का भुना हुआ (गोश्त) ले आए
011-070 (और साथ खाने बैठें) फिर जब देखा कि उनके हाथ उसकी तरफ नहीं बढ़ते तो उनकी तरफ से बदगुमान हुए और जी ही जी में डर गए (उसको वह फरिश्ते समझे) और कहने लगे आप डरे नहीं हम तो क़ौम लूत की तरफ (उनकी सज़ा के लिए) भेजे गए हैं
Wa Amra'atuhuQā'imatun Fađaĥikat Fabashsharnāhā Bi'isĥāqa Wa Min Warā'i 'Isĥāqa Ya`qūba
011-071 और इबराहीम की बीबी (सायरा) खड़ी हुई थी वह (ये ख़बर सुनकर) हॅस पड़ी तो हमने (उन्हेंफ़रिश्तों के ज़रिए से) इसहाक़ के पैदा होने की खुशख़बरी दी और इसहाक़ के बाद याक़ूब की
Qālū 'Ata`jabīna Min 'Amri Allāhi ۖ Raĥmatu Allāhi Wa Barakātuhu `Alaykum 'Ahla Al-Bayti ۚ 'Innahu Ĥamīdun Majīdun
011-073 वह फरिश्ते बोले (हाए) तुम ख़ुदा की कुदरत से ताज्जुब करती हो ऐ अहले बैत (नबूवत) तुम पर ख़ुदा की रहमत और उसकी बरकते (नाज़िल हो) इसमें शक़ नहीं कि वह क़ाबिल हम्द (वासना) बुज़ुर्ग हैं
011-076 (हमने कहा) ऐ इबराहीम इस बात में हट मत करो (इस बार में) जो हुक्म तुम्हारे परवरदिगार का था वह क़तअन आ चुका और इसमें शक़ नहीं कि उन पर ऐसा अज़ाब आने वाले वाला है
Wa Lammā Jā'at Rusulunā Lūţāan Sī'a Bihim Wa Đāqa BihimDhar`āan Wa Qāla Hādhā Yawmun `Aşībun
011-077 जो किसी तरह टल नहीं सकता और जब हमारे भेजे हुए फरिश्ते (लड़को की सूरत में) लूत के पास आए तो उनके ख्याल से रजीदा हुए और उनके आने से तंग दिल हो गए और कहने लगे कि ये (आज का दिन) सख्त मुसीबत का दिन है
Wa Jā'ahuQawmuhu Yuhra`ūna 'Ilayhi Wa MinQablu Kānū Ya`malūna As-Sayyi'āti ۚ Qāla Yā Qawmi Hā'uulā' Banātī Hunna 'Aţharu Lakum Fa ۖ Attaqū Allaha Wa Lā Tukhzūnī Fī Đayfī ۖ 'Alaysa MinkumRajulunRashīdun
011-078 और उनकी क़ौम (लड़को की आवाज़ सुनकर बुरे इरादे से) उनके पास दौड़ती हुई आई और ये लोग उसके क़ब्ल भी बुरे काम किया करते थे लूत ने (जब उनको) आते देखा तो कहा ऐ मेरी क़ौम ये मारी क़ौम की बेटियाँ (मौजूद हैं) उनसे निकाह कर लो ये तुम्हारीे वास्ते जायज़ और ज्यादा साफ सुथरी हैं तो खुदा से डरो और मुझे मेरे मेहमान के बारे में रुसवा न करो क्या तुम में से कोई भी समझदार आदमी नहीं है
Qālū Laqad `Alimta Mā Lanā Fī Banātika Min Ĥaqqin Wa 'Innaka Lata`lamu Mā Nurīdu
011-079 उन (कम्बख्तो) न जवाब दिया तुम को खूब मालूम है कि तुम्हारी क़ौम की लड़कियों की हमें कुछ हाजत (जरूरत) नही है और जो बात हम चाहते है वह तो तुम ख़ूब जानते हो
011-081 वह फरिश्ते बोले ऐ लूत हम तुम्हारे परवरदिगार के भेजे हुए (फरिश्ते हैं तुम घबराओ नहीं) ये लोग तुम तक हरगिज़ (नहीं पहुँच सकते तो तुम कुछ रात रहे अपने लड़कों बालों समैत निकल भागो और तुममें से कोई इधर मुड़ कर भी न देखे मगर तुम्हारी बीबी कि उस पर भी यक़ीनन वह अज़ाब नाज़िल होने वाला है जो उन लोगों पर नाज़िल होगा और उन (के अज़ाब का) वायदा बस सुबह है क्या सुबह क़रीब नहीं
Falammā Jā'a 'Amrunā Ja`alnā `Āliyahā Sāfilahā Wa 'Amţarnā `Alayhā Ĥijāratan Min Sijjīlin Manđūdin
011-082 फिर जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने (बस्ती की ज़मीन के तबके) उलट कर उसके ऊपर के हिस्से को नीचे का बना दिया और उस पर हमने खरन्जेदार पत्थर ताबड़ तोड़ बरसाए
Wa 'Ilá Madyana 'AkhāhumShu`aybāan ۚ Qāla Yā Qawmi A`budū Allaha Mā Lakum Min 'Ilahin Ghayruhu ۖ Wa Lā Tanquşū Al-Mikyā La Wa ۚ Al-Mīzāna 'Innī 'Arākum Bikhayrin Wa 'Innī 'Akhāfu `Alaykum `Adhāba Yawmin Muĥīţin
011-084 और हमने मदयन वालों के पास उनके भाई शुएब को पैग़म्बर बना कर भेजा उन्होंने (अपनी क़ौम से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा की इबादत करो उसके सिवा तुम्हारा कोई ख़ुदा नहीं और नाप और तौल में कोई कमी न किया करो मै तो तुम को आसूदगी (ख़ुशहाली) में देख रहा हूँ (फिर घटाने की क्या ज़रुरत है) और मै तो तुम पर उस दिन के अज़ाब से डराता हूँ जो (सबको) घेर लेगा
011-087 वह लोग कहने लगे ऐ शुएब क्या तुम्हारी नमाज़ (जिसे तुम पढ़ा करते हो) तुम्हें ये सिखाती है कि जिन (बुतों) की परसतिश हमारे बाप दादा करते आए उन्हें हम छोड़ बैठें या हम अपने मालों में जो कुछ चाहे कर बैठें तुम ही तो बस एक बुर्दबार और समझदार (रह गए) हो
011-088 शुएब ने कहा ऐ मेरी क़ौम अगर मै अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हूँ और उसने मुझे (हलाल) रोज़ी खाने को दी है (तो मै भी तुम्हारी तरह हराम खाने लगूँ) और मै तो ये नहीं चाहता कि जिस काम से तुम को रोकूँ तुम्हारे बर ख़िलाफ (बदले) आप उसको करने लगूं मैं तो जहाँ तक मुझे बन पड़े इसलाह (भलाई) के सिवा (कुछ और) चाहता ही नहीं और मेरी ताईद तो ख़ुदा के सिवा और किसी से हो ही नहीं सकती इस पर मैने भरोसा कर लिया है और उसी की तरफ रुज़ू करता हूँ
011-089 और ऐ मेरी क़ौमे मेरी ज़िद कही तुम से ऐसा जुर्म न करा दे जैसी मुसीबत क़ौम नूह या हूद या सालेह पर नाज़िल हुई थी वैसी ही मुसीबत तुम पर भी आ पड़े और लूत की क़ौम (का ज़माना) तो (कुछ ऐसा) तुमसे दूर नहीं (उन्हीं के इबरत हासिल करो
Qālū Yā Shu`aybu Mā Nafqahu Kathīrāan Mimmā Taqūlu Wa 'Innā Lanarāka Fīnā Đa`īfāan ۖ Wa Lawlā Rahţuka Larajamnāka ۖ Wa Mā 'Anta `Alaynā Bi`azīzin
011-091 और वह लोग कहने लगे ऐ शुएब जो बाते तुम कहते हो उनमें से अक्सर तो हमारी समझ ही में नहीं आयी और इसमें तो शक नहीं कि हम तुम्हें अपने लोगों में बहुत कमज़ोर समझते है और अगर तुम्हारा क़बीला न होता तो हम तुम को (कब का) संगसार कर चुके होते और तुम तो हम पर किसी तरह ग़ालिब नहीं आ सकते
Qāla Yā Qawmi 'Arahţī 'A`azzu `Alaykum Mina Allāhi Wa Attakhadhtumūhu Warā'akumŽihrīyāan ۖ 'Inna Rabbī Bimā Ta`malūna Muĥīţun
011-092 शुएब ने कहा ऐ मेरी क़ौम क्या मेरे कबीले का दबाव तुम पर ख़ुदा से भी बढ़ कर है (कि तुम को उसका ये ख्याल) और ख़ुदा को तुम लोगों ने अपने वास्ते पीछे डाल दिया है बेशक मेरा परवरदिगार तुम्हारे सब आमाल पर अहाता किए हुए है
Wa Yā Qawmi A`malū `Alá Makānatikum 'Innī `Āmilun ۖ Sawfa Ta`lamūna Man Ya'tīhi `Adhābun Yukhzīhi Wa Man Huwa Kādhibun ۖ Wa Artaqibū 'Innī Ma`akumRaqībun
011-093 और ऐ मेरी क़ौम तुम अपनी जगह (जो चाहो) करो मैं भी (बजाए खुद) कुछ करता हू अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि किस पर अज़ाब नाज़िल होता है जा उसको (लोगों की नज़रों में) रुसवा कर देगा और (ये भी मालूम हो जाएगा कि) कौन झूठा है तुम भी मुन्तिज़र रहो मैं भी तुम्हारे साथ इन्तेज़ार करता हूँ
Wa Lammā Jā'a 'Amrunā Najjaynā Shu`aybāan Wa Al-Ladhīna 'Āmanū Ma`ahu Biraĥmatin Minnā Wa 'Akhadhati Al-Ladhīna Žalamū Aş-Şayĥatu Fa'aşbaĥū Fī Diyārihim Jāthimīna
011-094 और जब हमारा (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो हमने शुएब और उन लोगों को जो उसके साथ ईमान लाए थे अपनी मेहरबानी से बचा लिया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया था उनको एक चिंघाड़ ने ले डाला फिर तो वह सबके सब अपने घरों में औंधे पड़े रह गए
011-095 (और वह ऐसे मर मिटे) कि गोया उन बस्तियों में कभी बसे ही न थे सुन रखो कि जिस तरह समूद (ख़ुदा की बारगाह से) धुत्कारे गए उसी तरह अहले मदियन की भी धुत्कारी हुई
'Ilá Fir`awna Wa Mala'ihi Fa Attaba`ū 'Amra Fir`awna ۖ Wa Mā 'Amru Fir`awna Birashīdin
011-097 फिरऔन और उसके अम्र (सरदारों) के पास (पैग़म्बर बना कर) भेजा तो लोगों ने फिरऔन ही का हुक्म मान लिया (और मूसा की एक न सुनी) हालॉकि फिरऔन का हुक्म कुछ जॅचा समझा हुआ न था
Wa Mā Žalamnāhum Wa LakinŽalamū 'Anfusahum ۖ Famā 'Aghnat `Anhum 'Ālihatuhumu Allatī Yad`ūna Min Dūni Allāhi MinShay'in Lammā Jā'a 'AmruRabbika ۖ Wa Mā ZādūhumGhayra Tatbībin
011-101 और हमने किसी तरह उन पर ज़ल्म नहीं किया बल्कि उन लोगों ने आप अपने ऊपर (नाफरमानी करके) ज़ुल्म किया फिर जब तुम्हारे परवरदिगार का (अज़ाब का) हुक्म आ पहुँचा तो न उसके वह माबूद ही काम आए जिन्हें ख़ुदा को छोड़कर पुकारा करते थें और न उन माबूदों ने हलाक करने के सिवा कुछ फायदा ही पहुँचाया बल्कि उन्हीं की परसतिश की बदौलत अज़ाब आया
Wa Kadhalika 'Akhdhu Rabbika 'Idhā 'Akhadha Al-Qurá Wa Hiya Žālimatun ۚ 'Inna 'Akhdhahu~ 'AlīmunShadīdun
011-102 और (ऐ रसूल) बस्तियों के लोगों की सरकशी से जब तुम्हारा परवरदिगार अज़ाब में पकड़ता है तो उसकी पकड़ ऐसी ही होती है बेशक पकड़ तो दर्दनाक (और सख्त) होती है
'Inna Fī Dhālika La'āyatan Liman Khāfa `Adhāba Al-'Ākhirati ۚ Dhālika Yawmun Majmū`un Lahu An-Nāsu Wa Dhalika Yawmun Mash/hūdun
011-103 इसमें तो शक़ नहीं कि उस शख़्श के वास्ते जो अज़ाब आख़िरत से डरता है (हमारी कुदरत की) एक निशानी है ये वह रोज़ होगा कि सारे (जहाँन) के लोग जमा किए जाएंगें और यही वह दिन होगा कि (हमारी बारगाह में) सब हाज़िर किए जाएंगें
011-107 वह लोग जब तक आसमान और ज़मीन में है हमेशा उसी मे रहेगें मगर जब तुम्हारा परवरदिगार (नजात देना) चाहे बेशक तुम्हारा परवरदिगार जो चाहता है कर ही डालता है
011-108 और जो लोग नेक बख्त हैं वह तो बेहश्त में होगें (और) जब तक आसमान व ज़मीन (बाक़ी) है वह हमेशा उसी में रहेगें मगर जब तेरा परवरदिगार चाहे (सज़ा देकर आख़िर में जन्नत में ले जाए
011-109 ये वह बख़्शिस है जो कभी मनक़तआ (खत्म) न होगी तो ये लोग (ख़ुदा के अलावा) जिसकी परसतिश करते हैं तुम उससे शक़ में न पड़ना ये लोग तो बस वैसी इबादत करते हैं जैसी उनसे पहले उनके बाप दादा करते थे और हम ज़रुर (क़यामत के दिन) उनको (अज़ाब का) पूरा पूरा हिस्सा बग़ैर कम किए देगें
Wa Laqad 'Ātaynā Mūsá Al-Kitāba Fākhtulifa Fīhi ۚ Wa Lawlā Kalimatun Sabaqat MinRabbika Laquđiya Baynahum ۚ Wa 'Innahum Lafī Shakkin Minhu Murībin
011-110 और हमने मूसा को किताब तौरैत अता की तो उसमें (भी) झगड़े डाले गए और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हुक्म कोइ पहले ही न हो चुका होता तो उनके दरमियान (कब का) फैसला यक़ीनन हो गया होता और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) भी इस (क़ुरान) की तरफ से बहुत गहरे शक़ में पड़े हैं
Fāstaqim Kamā 'Umirta Wa Man Tāba Ma`aka Wa Lā Taţghaw ۚ 'Innahu Bimā Ta`malūna Başīrun
011-112 तो (ऐ रसूल) जैसा तुम्हें हुक्म दिया है तुम और वह लोग भी जिन्होंने तुम्हारे साथ (कुफ्र से) तौबा की है ठीक साबित क़दम रहो और सरकशी न करो (क्योंकि) तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह यक़ीनन देख रहा है
Wa Lā Tarkanū 'Ilá Al-Ladhīna Žalamū Fatamassakumu An-Nāru Wa Mā Lakum Min Dūni Allāhi Min 'Awliyā'a Thumma Lā Tunşarūna
011-113 और (मुसलमानों) जिन लोगों ने (हमारी नाफरमानी करके) अपने ऊपर ज़ुल्म किया है उनकी तरफ माएल (झुकना) न होना और वरना तुम तक भी (दोज़ख़) की आग आ लपटेगी और ख़ुदा के सिवा और लोग तुम्हारे सरपरस्त भी नहीं हैं फिर तुम्हारी मदद कोई भी नहीं करेगा
Wa 'Aqimi Aş-Şalāata Ţarafayi An-Nahāri Wa Zulafāan Mina Al-Layli ۚ 'Inna Al-Ĥasanāti Yudh/hibna As-Sayyi'āti ۚ Dhālika Dhikrá Lildhdhākirīna
011-114 और (ऐ रसूल) दिन के दोनो किनारे और कुछ रात गए नमाज़ पढ़ा करो (क्योंकि) नेकियाँ यक़ीनन गुनाहों को दूर कर देती हैं और (हमारी) याद करने वालो के लिए ये (बातें) नसीहत व इबरत हैं
Falawlā Kāna Mina Al-Qurūni MinQablikum 'Ūlū Baqīyatin Yanhawna `Ani Al-Fasādi Fī Al-'Arđi 'Illā Qalīlāan Mimman 'Anjaynā Minhum ۗ Wa Attaba`a Al-Ladhīna Žalamū Mā 'Utrifū Fīhi Wa Kānū Mujrimīna
011-116 फिर जो लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनमें कुछ लोग ऐसे अक़ल वाले क्यों न हुए जो (लोगों को) रुए ज़मीन पर फसाद फैलाने से रोका करते (ऐसे लोग थे तो) मगर बहुत थोड़े से और ये उन्हीं लोगों से थे जिनको हमने अज़ाब से बचा लिया और जिन लोगों ने नाफरमानी की थी वह उन्हीं (लज्ज़तों) के पीछे पड़े रहे और जो उन्हें दी गई थी और ये लोग मुजरिम थे ही
Wa Law Shā'a Rabbuka Laja`ala An-Nāsa 'Ummatan Wāĥidatan ۖ Wa Lā Yazālūna Mukhtalifīna
011-118 और अगर तुम्हारा परवरदिगार चाहता तो बेशक तमाम लोगों को एक ही (किस्म की) उम्मत बना देता (मगर) उसने न चाहा इसी (वजह से) लोग हमेशा आपस में फूट डाला करेगें
'Illā ManRaĥima Rabbuka ۚ Wa Lidhalika Khalaqahum ۗ Wa Tammat Kalimatu Rabbika La'amla'anna Jahannama Mina Al-Jinnati Wa An-Nāsi 'Ajma`īna
011-119 मगर जिस पर तुम्हारा परवरदिगार रहम फरमाए और इसलिए तो उसने उन लोगों को पैदा किया (और इसी वजह से तो) तुम्हारा परवरदिगार का हुक्म क़तई पूरा होकर रहा कि हम यक़ीनन जहन्नुम को तमाम जिन्नात और आदमियों से भर देगें
Wa Kullāan Naquşşu `Alayka Min 'Anbā'i Ar-Rusuli Mā Nuthabbitu Bihi Fu'uādaka ۚ Wa Jā'aka Fī Hadhihi Al-Ĥaqqu Wa Maw`ižatun Wa Dhikrá Lilmu'uminīna
011-120 और (ऐ रसूल) पैग़म्बरों के हालत में से हम उन तमाम क़िस्सों को तुम से बयान किए देते हैं जिनसे हम तुम्हारे दिल को मज़बूत कर देगें और उन्हीं क़िस्सों में तुम्हारे पास हक़ (क़ुरान) और मोमिनीन के लिए नसीहत और याद दहानी भी आ गई
Wa Lillāh Ghaybu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa 'Ilayhi Yurja`u Al-'Amru Kulluhu Fā`bud/hu Wa Tawakkal `Alayhi ۚ Wa Mā Rabbuka Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
011-123 और सारे आसमान व ज़मीन की पोशीदा बातों का इल्म ख़ास ख़ुदा ही को है और उसी की तरफ हर काम हिर फिर कर लौटता है तुम उसी की इबादत करो और उसी पर भरोसा रखो और जो कुछ तुम लोग करते हो उससे ख़ुदा बेख़बर नहीं