Nazzala `Alayka Al-Kitāba Bil-Ĥaqqi Muşaddiqāan Limā Bayna Yadayhi Wa 'Anzala At-Tawrāata Wa Al-'Injīla
003-003 (ऐ रसूल) उसी ने तुम पर बरहक़ किताब नाज़िल की जो (आसमानी किताबें पहले से) उसके सामने मौजूद हैं उनकी तसदीक़ करती है और उसी ने उससे पहले लोगों की हिदायत के वास्ते तौरेत व इन्जील नाज़िल की
MinQablu Hudan Lilnnāsi Wa 'Anzala Al-Furqāna ۗ 'Inna Al-Ladhīna Kafarū Bi'āyāti Allāhi Lahum `AdhābunShadīdun Wa ۗ Allāhu `AzīzunDhū Antiqāmin
003-004 और हक़ व बातिल में तमीज़ देने वाली किताब (कुरान) नाज़िल की बेशक जिन लोगों ने ख़ुदा की आयतों को न माना उनके लिए सख्त अज़ाब है और ख़ुदा हर चीज़ पर ग़ालिब बदला लेने वाला है
Huwa Al-Ladhī 'Anzala `Alayka Al-Kitāba Minhu 'Āyātun Muĥkamātun Hunna 'Ummu Al-Kitābi Wa 'Ukharu Mutashābihātun ۖ Fa'ammā Al-Ladhīna Fī Qulūbihim Zayghun Fayattabi`ūna Mā Tashābaha Minhu Abtighā'a Al-Fitnati Wa Abtighā'a Ta'wīlihi ۗ Wa Mā Ya`lamu Ta'wīlahu~ 'Illā Al-Lahu Wa ۗ Ar-Rāsikhūna Fī Al-`Ilmi Yaqūlūna 'Āmannā Bihi Kullun Min `Indi Rabbinā ۗ Wa Mā Yadhdhakkaru 'Illā 'Ūlū Al-'Albābi
003-007 वही (हर चीज़ पर) ग़ालिब और दाना है (ए रसूल) वही (वह ख़ुदा) है जिसने तुमपर किताब नाज़िल की उसमें की बाज़ आयतें तो मोहकम (बहुत सरीह) हैं वही (अमल करने के लिए) असल (व बुनियाद) किताब है और कुछ (आयतें) मुतशाबेह (मिलती जुलती) (गोल गोल जिसके मायने में से पहलू निकल सकते हैं) पस जिन लोगों के दिलों में कज़ी है वह उन्हीं आयतों के पीछे पड़े रहते हैं जो मुतशाबेह हैं ताकि फ़साद बरपा करें और इस ख्याल से कि उन्हें मतलब पर ढाले लें हालाँकि ख़ुदा और उन लोगों के सिवा जो इल्म से बड़े पाए पर फ़ायज़ हैं उनका असली मतलब कोई नहीं जानता वह लोग (ये भी) कहते हैं कि हम उस पर ईमान लाए (यह) सब (मोहकम हो या मुतशाबेह) हमारे परवरदिगार की तरफ़ से है और अक्ल वाले ही समझते हैं
Rabbanā Lā TuzighQulūbanā Ba`da 'Idh Hadaytanā Wa Hab Lanā Min Ladunka Raĥmatan ۚ 'Innaka 'Anta Al-Wahhābu
003-008 (और दुआ करते हैं) ऐ हमारे पालने वाले हमारे दिल को हिदायत करने के बाद डॉवाडोल न कर और अपनी बारगाह से हमें रहमत अता फ़रमा इसमें तो शक ही नहीं कि तू बड़ा देने वाला है
003-009 ऐ हमारे परवरदिगार बेशक तू एक न एक दिन जिसके आने में शुबह नहीं लोगों को इक्ट्ठा करेगा (तो हम पर नज़रे इनायत रहे) बेशक ख़ुदा अपने वायदे के ख़िलाफ़ नहीं करता
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Lan Tughniya `Anhum 'Amwāluhum Wa Lā 'Awlāduhum Mina Allāhi Shay'āan ۖ Wa 'Ūlā'ika Hum Wa Qūdu An-Nāri
003-010 बेशक जिन लोगों ने कुफ्र किया इख्तेयार किया उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से न उनके माल ही कुछ बचाएंगे, न उनकी औलाद (कुछ काम आएगी) और यही लोग जहन्नुम के ईधन होंगे
Kada'bi 'Āli Fir`awna Wa Al-Ladhīna MinQablihim ۚ Kadhdhabū Bi'āyātinā Fa'akhadhahumu Allāhu Bidhunūbihim Wa ۗ Allāhu Shadīdu Al-`Iqābi
003-011 (उनकी भी) क़ौमे फ़िरऔन और उनसे पहले वालों की सी हालत है कि उन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया तो खुदा ने उन्हें उनके गुनाहों की पादाश (सज़ा) में ले डाला और ख़ुदा सख्त सज़ा देने वाला है
Qul Lilladhīna Kafarū Satughlabūna Wa Tuĥsharūna 'Ilá Jahannama ۚ Wa Bi'sa Al-Mihādu
003-012 (ऐ रसूल) जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनसे कह दो कि बहुत जल्द तुम (मुसलमानो के मुक़ाबले में) मग़लूब (हारे हुए) होंगे और जहन्नुम में इकट्ठे किये जाओगे और वह (क्या) बुरा ठिकाना है
Qad Kāna Lakum 'Āyatun Fī Fi'atayni At-Taqatā ۖ Fi'atun Tuqātilu Fī Sabīli Allāhi Wa 'Ukhrá Kāfiratun Yarawnahum MithlayhimRa'ya Al-`Ayni Wa ۚ Allāhu Yu'uayyidu Binaşrihi Man Yashā'u ۗ 'Inna Fī Dhālika La`ibratan Li'wlī Al-'Abşāri
003-013 बेशक तुम्हारे (समझाने के) वास्ते उन दो (मुख़ालिफ़ गिरोहों में जो (बद्र की लड़ाई में) एक दूसरे के साथ गुथ गए (रसूल की सच्चाई की) बड़ी भारी निशानी है कि एक गिरोह ख़ुदा की राह में जेहाद करता था और दूसरा काफ़िरों का जिनको मुसलमान अपनी ऑख से दुगना देख रहे थे (मगर ख़ुदा ने क़लील ही को फ़तह दी) और ख़ुदा अपनी मदद से जिस की चाहता है ताईद करता है बेशक ऑख वालों के वास्ते इस वाक़ये में बड़ी इबरत है
Zuyyina Lilnnāsi Ĥubbu Ash-Shahawāti Mina An-Nisā' Wa Al-Banīna Wa Al-Qanāţīri Al-Muqanţarati Mina Adh-Dhahabi Wa Al-Fiđđati Wa Al-Khayli Al-Musawwamati Wa Al-'An`āmi Wa Al-Ĥarthi ۗ Dhālika Matā`u Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Wa ۖ Allāhu `Indahu Ĥusnu Al-Ma'ābi
003-014 दुनिया में लोगों को उनकी मरग़ूब चीज़े (मसलन) बीवियों और बेटों और सोने चॉदी के बड़े बड़े लगे हुए ढेरों और उम्दा उम्दा घोड़ों और मवेशियों ओर खेती के साथ उलफ़त भली करके दिखा दी गई है ये सब दुनयावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) फ़ायदे हैं और (हमेशा का) अच्छा ठिकाना तो ख़ुदा ही के यहॉ है
Qul 'A'uunabbi'ukum Bikhayrin MinDhālikum ۚ Lilladhīna Attaqaw `Inda Rabbihim Jannātun Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā Wa 'Azwājun Muţahharatun Wa Riđwānun Mina Allāhi Wa ۗ Allāhu Başīrun Bil-`Ibādi
003-015 (ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि क्या मैं तुमको उन सब चीज़ों से बेहतर चीज़ बता दूं (अच्छा सुनो) जिन लोगों ने परहेज़गारी इख्तेयार की उनके लिए उनके परवरदिगार के यहॉ (बेहिश्त) के वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं (और वह) हमेशा उसमें रहेंगे और उसके अलावा उनके लिए साफ सुथरी बीवियॉ हैं और (सबसे बढ़कर) ख़ुदा की ख़ुशनूदी है और ख़ुदा (अपने) उन बन्दों को खूब देख रहा हे जो दुआऐं मॉगा करते हैं
Aş-Şābirīna Wa Aş-Şādiqīna Wa Al-Qānitīna Wa Al-Munfiqīna Wa Al-Mustaghfirīna Bil-'Asĥāri
003-017 (यही लोग हैं) सब्र करने वाले और सच बोलने वाले और (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार और (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करने वाले और पिछली रातों में (ख़ुदा से तौबा) इस्तग़फ़ार करने वाले
Shahida Allāhu 'Annahu Lā 'Ilāha 'Illā Huwa Wa Al-Malā'ikatu Wa 'Ūlū Al-`Ilmi Qā'imāan Bil-Qisţi ۚ Lā 'Ilāha 'Illā Huwa Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
003-018 ज़रूर ख़ुदा और फ़रिश्तों और इल्म वालों ने गवाही दी है कि उसके सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं है और वह ख़ुदा अद्ल व इन्साफ़ के साथ (कारख़ानाए आलम का) सॅभालने वाला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वही हर चीज़ पर) ग़ालिब और दाना है (सच्चा) दीन तो ख़ुदा के नज़दीक यक़ीनन (बस यही) इस्लाम है
'Inna Ad-Dīna `Inda Allāhi Al-'Islāmu ۗ Wa Mā Akhtalafa Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba 'Illā Min Ba`di Mā Jā'ahumu Al-`Ilmu Baghyāan Baynahum ۗ Wa Man Yakfur Bi'āyāti Allāhi Fa'inna Allāha Sarī`u Al-Ĥisābi
003-019 और अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्र) मालूम हो जाने के बाद (ही क्या है) और जिस शख्स ने ख़ुदा की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन ख़ुदा (उससे) बहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है
Fa'in Ĥājjūka Faqul 'Aslamtu Wajhiya Lillāh Wa Mani Attaba`ani Wa Qul ۗ Lilladhīna 'Ūtū Al-Kitāba Wa Al-'Ummīyīna 'A'aslamtum Fa'in ۚ 'Aslamū Faqadi Ahtadaw Wa 'In ۖ Tawallaw Fa'innamā `Alayka Al-Balāghu Wa Allāhu ۗ Başīrun Bil-`Ibādi
003-020 (ऐ रसूल) पस अगर ये लोग तुमसे (ख्वाह मा ख्वाह) हुज्जत करे तो कह दो मैंने ख़ुदा के आगे अपना सरे तस्लीम ख़म कर दिया है और जो मेरे ताबे है (उन्होंने) भी) और ऐ रसूल तुम अहले किताब और जाहिलों से पूंछो कि क्या तुम भी इस्लाम लाए हो (या नही) पस अगर इस्लाम लाए हैं तो बेख़टके राहे रास्त पर आ गए और अगर मुंह फेरे तो (ऐ रसूल) तुम पर सिर्फ़ पैग़ाम (इस्लाम) पहुंचा देना फ़र्ज़ है (बस) और ख़ुदा (अपने बन्दों) को देख रहा है
'Inna Al-Ladhīna Yakfurūna Bi'āyāti Allāhi Wa Yaqtulūna An-Nabīyīna Bighayri Ĥaqqin Wa Yaqtulūna Al-Ladhīna Ya'murūna Bil-Qisţi Mina An-Nāsi Fabashshirhum Bi`adhābin 'Alīmin
003-021 बेशक जो लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते हैं और नाहक़ पैग़म्बरों को क़त्ल करते हैं और उन लोगों को (भी) क़त्ल करते हैं जो (उन्हें) इन्साफ़ करने का हुक्म करते हैं तो (ऐ रसूल) तुम उन लोगों को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो
'Alam Tara 'Ilá Al-Ladhīna 'Ūtū Naşībāan Mina Al-Kitābi Yud`awna 'Ilá Kitābi Allāhi Liyaĥkuma BaynahumThumma Yatawallá Farīqun Minhum Wa Hum Mu`riđūna
003-023 (ऐ रसूल) क्या तुमने (उलमाए यहूद) के हाल पर नज़र नहीं की जिनको किताब (तौरेत) का एक हिस्सा दिया गया था (अब) उनको किताबे ख़ुदा की तरफ़ बुलाया जाता है ताकि वही (किताब) उनके झगड़ें का फैसला कर दे इस पर भी उनमें का एक गिरोह मुंह फेर लेता है और यही लोग रूगरदानी (मुँह फेरने) करने वाले हैं
Dhālika Bi'annahumQālū Lan Tamassanā An-Nāru 'Illā 'Ayyāmāan Ma`dūdātin ۖ Wa Gharrahum Fī Dīnihim Mā Kānū Yaftarūna
003-024 ये इस वजह से है कि वह लोग कहते हैं कि हमें गिनती के चन्द दिनों के सिवा जहन्नुम की आग हरगिज़ छुएगी भी तो नहीं जो इफ़तेरा परदाज़ी ये लोग बराबर करते आए हैं उसी ने उन्हें उनके दीन में भी धोखा दिया है
Fakayfa 'Idhā Jama`nāhum Liyawmin Lā Rayba Fīhi Wa Wuffiyat Kullu Nafsin Mā Kasabat Wa Hum Lā Yužlamūna
003-025 फ़िर उनकी क्या गत होगी जब हम उनको एक दिन (क़यामत) जिसके आने में कोई शुबहा नहीं इक्ट्ठा करेंगे और हर शख्स को उसके किए का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी
Quli Allāhumma Mālika Al-Mulki Tu'utī Al-Mulka Man Tashā'u Wa Tanzi`u Al-Mulka Mimman Tashā'u Wa Tu`izzu Man Tashā'u Wa Tudhillu Man Tashā'u ۖ Biyadika Al-Khayru ۖ 'Innaka `Alá Kulli Shay'inQadīrun
003-026 (ऐ रसूल) तुम तो यह दुआ मॉगों कि ऐ ख़ुदा तमाम आलम के मालिक तू ही जिसको चाहे सल्तनत दे और जिससे चाहे सल्तनत छीन ले और तू ही जिसको चाहे इज्ज़त दे और जिसे चाहे ज़िल्लत दे हर तरह की भलाई तेरे ही हाथ में है बेशक तू ही हर चीज़ पर क़ादिर है
Tūliju Al-Layla Fī An-Nahāri Wa Tūliju An-Nahāra Fī Al-Layli ۖ Wa Tukhriju Al-Ĥayya Mina Al-Mayyiti Wa Tukhriju Al-Mayyita Mina Al-Ĥayyi ۖ Wa Tarzuqu Man Tashā'u Bighayri Ĥisābin
003-027 तू ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो) रात बढ़ जाती है और तू ही दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल करता है (तो दिन बढ़ जाता है) तू ही बेजान (अन्डा नुत्फ़ा वगैरह) से जानदार को पैदा करता है और तू ही जानदार से बेजान नुत्फ़ा (वगैरहा) निकालता है और तू ही जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है
Lā Yattakhidhi Al-Mu'uminūna Al-Kāfirīna 'Awliyā'a Min Dūni Al-Mu'uminīna ۖ Wa Man Yaf`al Dhālika Falaysa Mina Allāhi Fī Shay'in 'Illā 'An Tattaqū Minhum Tuqāatan ۗ Wa Yuĥadhdhirukumu Allāhu Nafsahu ۗ Wa 'Ilá Allāhi Al-Maşīru
003-028 मोमिनीन मोमिनीन को छोड़ के काफ़िरों को अपना सरपरस्त न बनाऐं और जो ऐसा करेगा तो उससे ख़ुदा से कुछ सरोकार नहीं मगर (इस क़िस्म की तदबीरों से) किसी तरह उन (के शर) से बचना चाहो तो (ख़ैर) और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा ही की तरफ़ लौट कर जाना है
Qul 'In Tukhfū Mā Fī Şudūrikum 'Aw Tubdūhu Ya`lamhu Allāhu ۗ Wa Ya`lamu Mā Fī As-Samāwāti Wa Mā Fī Al-'Arđi Wa ۗ Allāhu `Alá Kulli Shay'inQadīrun
003-029 ऐ रसूल तुम उन (लोगों से) कह दो किजो कुछ तुम्हारे दिलों में है तो ख्वाह उसे छिपाओ या ज़ाहिर करो (बहरहाल) ख़ुदा तो उसे जानता है और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में वह (सब कुछ) जानता है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Yawma Tajidu Kullu Nafsin Mā `Amilat Min Khayrin Muĥđarāan Wa Mā `Amilat Min Sū'in Tawaddu Law 'Anna Baynahā Wa Baynahu~ 'Amadāan Ba`īdāan ۗ Wa Yuĥadhdhirukumu Allāhu Nafsahu Wa ۗ Allāhu Ra'ūfun Bil-`Ibādi
003-030 (और उस दिन को याद रखो) जिस दिन हर शख्स जो कुछ उसने (दुनिया में) नेकी की है और जो कुछ बुराई की है उसको मौजूद पाएगा (और) आरज़ू करेगा कि काश उस की बदी और उसके दरमियान में ज़मानए दराज़ (हाएल) हो जाता और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा अपने बन्दों पर बड़ा शफ़ीक़ और (मेहरबान भी) है
Qul 'In Kuntum Tuĥibbūna Allāha Fa Attabi`ūnī Yuĥbibkumu Allāhu Wa Yaghfir LakumDhunūbakum Wa ۗ Allāhu GhafūrunRaĥīmun
003-031 (ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ख़ुदा को दोस्त रखते हो तो मेरी पैरवी करो कि ख़ुदा (भी) तुमको दोस्त रखेगा और तुमको तुम्हारे गुनाह बख्श देगा और खुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
003-035 (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब इमरान की बीवी ने (ख़ुदा से) अर्ज़ की कि ऐ मेरे पालने वाले मेरे पेट में जो बच्चा है (उसको मैं दुनिया के काम से) आज़ाद करके तेरी नज़्र करती हूं तू मेरी तरफ़ से (ये नज़्र कुबूल फ़रमा तू बेशक बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है
Falammā Wađa`at/hā Qālat Rabbi 'Innī Wađa`tuhā 'Unthá Wa Allāhu 'A`lamu Bimā Wađa`at Wa Laysa Adh-Dhakaru Kāl'unthá ۖ Wa 'Innī Sammaytuhā Maryama Wa 'Innī 'U`īdhuhā Bika Wa Dhurrīyatahā Mina Ash-Shayţāni Ar-Rajīmi
003-036 फिर जब वह बेटी जन चुकी तो (हैरत से) कहने लगी ऐ मेरे परवरदिगार (मैं क्या करूं) मैं तो ये लड़की जनी हूँ और लड़का लड़की के ऐसा (गया गुज़रा) नहीं होता हालॉकि उसे कहने की ज़रूरत क्या थी जो वे जनी थी ख़ुदा उस (की शान व मरतबा) से खूब वाक़िफ़ था और मैंने उसका नाम मरियम रखा है और मैं उसको और उसकी औलाद को शैतान मरदूद (के फ़रेब) से तेरी पनाह में देती हूं
Fataqabbalahā Rabbuhā Biqabūlin Ĥasanin Wa 'Anbatahā Nabātāan Ĥasanāan Wa Kaffalahā Zakarīyā ۖ Kullamā Dakhala `Alayhā Zakarīyā Al-Miĥrāba Wajada `Indahā Rizqāan ۖ Qāla Yā Maryamu 'Anná Laki Hādhā ۖ Qālat Huwa Min `Indi Allāhi ۖ 'Inna Allāha Yarzuqu Man Yashā'u Bighayri Ĥisābin
003-037 तो उसके परवरदिगार ने (उनकी नज़्र) मरियम को ख़ुशी से कुबूल फ़रमाया और उसकी नशो व नुमा (परवरिश) अच्छी तरह की और ज़करिया को उनका कफ़ील बनाया जब किसी वक्त ज़क़रिया उनके पास (उनके) इबादत के हुजरे में जाते तो मरियम के पास कुछ न कुछ खाने को मौजूद पाते तो पूंछते कि ऐ मरियम ये (खाना) तुम्हारे पास कहॉ से आया है तो मरियम ये कह देती थी कि यह खुदा के यहॉ से (आया) है बेशक ख़ुदा जिसको चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है
003-038 (ये माजरा देखते ही) उसी वक्त ज़करिया ने अपने परवरदिगार से दुआ कि और अर्ज क़ी ऐ मेरे पालने वाले तू मुझको (भी) अपनी बारगाह से पाकीज़ा औलाद अता फ़रमा बेशक तू ही दुआ का सुनने वाला है
Fanādat/hu Al-Malā'ikatu Wa Huwa Qā'imun Yuşallī Fī Al-Miĥrābi 'Anna Allāha Yubashshiruka Biyaĥyá Muşaddiqāan Bikalimatin Mina Allāhi Wa Sayyidāan Wa Ĥaşūrāan Wa Nabīyāan Mina Aş-Şāliĥīna
003-039 अभी ज़करिया हुजरे में खड़े (ये) दुआ कर ही रहे थे कि फ़रिश्तों ने उनको आवाज़ दी कि ख़ुदा तुमको यहया (के पैदा होने) की खुशख़बरी देता है जो जो कलेमतुल्लाह (ईसा) की तस्दीक़ करेगा और (लोगों का) सरदार होगा और औरतों की तरफ़ रग़बत न करेगा और नेको कार नबी होगा
Qāla Rabbi 'Anná Yakūnu Lī Ghulāmun Wa Qad Balaghaniya Al-Kibaru Wa Amra'atī `Āqirun ۖ Qāla Kadhālika Allāhu Yaf`alu Mā Yashā'u
003-040 ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालॉकि मेरा बुढ़ापा आ पहुंचा और (उसपर) मेरी बीवी बॉझ है (ख़ुदा ने) फ़रमाया इसी तरह ख़ुदा जो चाहता है करता है
Qāla Rabbi Aj`al Lī 'Āyatan ۖ Qāla 'Āyatuka 'Allā Tukallima An-Nāsa Thalāthata 'Ayyāmin 'Illā Ramzāan ۗ Wa AdhkurRabbaka Kathīrāan Wa Sabbiĥ Bil-`Ashīyi Wa Al-'Ibkāri
003-041 ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मेरे इत्मेनान के लिए कोई निशानी मुक़र्रर फ़रमा इरशाद हुआ तुम्हारी निशानी ये है तुम तीन दिन तक लोगों से बात न कर सकोगे मगर इशारे से और (उसके शुक्रिये में) अपने परवरदिगार की अक्सर याद करो और रात को और सुबह तड़के (हमारी) तसबीह किया करो
Wa 'IdhQālati Al-Malā'ikatu Yā Maryamu 'Inna Allāha Aşţafāki Wa Ţahharaki Wa Aşţafāki `Alá Nisā'i Al-`Ālamīna
003-042 और वह वाक़िया भी याद करो जब फ़रिश्तों ने मरियम से कहा, ऐ मरियम तुमको ख़ुदा ने बरगुज़ीदा किया और (तमाम) गुनाहों और बुराइयों से पाक साफ़ रखा और सारे दुनिया जहॉन की औरतों में से तुमको मुन्तख़िब किया है
Dhālika Min 'Nbā'i Al-Ghaybi Nūĥīhi 'Ilayka ۚ Wa Mā Kunta Ladayhim 'Idh Yulqūna 'Aqlāmahum 'Ayyuhum Yakfulu Maryama Wa Mā Kunta Ladayhim 'Idh Yakhtaşimūna
003-044 (ऐ रसूल) ये ख़बर गैब की ख़बरों में से है जो हम तुम्हारे पास 'वही' के ज़रिए से भेजते हैं (ऐ रसूल) तुम तो उन सरपरस्ताने मरियम के पास मौजूद न थे जब वह लोग अपना अपना क़लम दरिया में बतौर क़ुरआ के डाल रहे थे (देखें) कौन मरियम का कफ़ील बनता है और न तुम उस वक्त उनके पास मौजूद थे जब वह लोग आपस में झगड़ रहे थे
'IdhQālati Al-Malā'ikatu Yā Maryamu 'Inna Allāha Yubashshiruki Bikalimatin Minhu Asmuhu Al-Masīĥu `Īsá Abnu Maryama Wajīhāan Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati Wa Mina Al-Muqarrabīna
003-045 (वह वाक़िया भी याद करो) जब फ़रिश्तों ने (मरियम) से कहा ऐ मरियम ख़ुदा तुमको सिर्फ़ अपने हुक्म से एक लड़के के पैदा होने की खुशख़बरी देता है जिसका नाम ईसा मसीह इब्ने मरियम होगा (और) दुनिया और आखेरत (दोनों) में बाइज्ज़त (आबरू) और ख़ुदा के मुक़र्रब बन्दों में होगा
003-047 (ये सुनकर मरियम ताज्जुब से) कहने लगी परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर होगा हालॉकि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं इरशाद हुआ इसी तरह ख़ुदा जो चाहता है करता है जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस कह देता है 'हो जा' तो वह हो जाता है
Wa Rasūlāan 'Ilá Banī 'Isrā'īla 'Annī Qad Ji'tukum Bi'āyatin MinRabbikum ۖ 'Annī 'Akhluqu Lakum Mina Aţ-Ţīni Kahay'ati Aţ-Ţayri Fa'anfukhu Fīhi Fayakūnu Ţayrāan Bi'idhni Allāhi ۖ Wa 'Ubri'u Al-'Akmaha Wa Al-'Abraşa Wa 'Uĥyi Al-Mawtá Bi'idhni Allāhi ۖ Wa 'Unabbi'ukum Bimā Ta'kulūna Wa Mā Taddakhirūna Fī Buyūtikum ۚ 'Inna Fī Dhālika La'āyatan Lakum 'In Kuntum Mu'uminyna
003-049 और बनी इसराइल का रसूल (क़रार देगा और वह उनसे यूं कहेगा कि) मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) यह निशानी लेकर आया हूं कि मैं गुंधीं हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फ़िर उस पर (कुछ) दम करूंगा तो वो ख़ुदा के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं ख़ुदा ही के हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को ज़िन्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सब) तुमको बता दूंगा अगर तुम ईमानदार हो तो बेशक तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत की) बड़ी निशानी है
Wa Muşaddiqāan Limā Bayna Yadayya Mina At-Tawrāati Wa Li'uĥilla Lakum Ba`đa Al-Ladhī Ĥurrima `Alaykum ۚ Wa Ji'tukum Bi'āyatin MinRabbikum Fa Attaqū Allaha Wa 'Aţī`ūni
003-050 और तौरेत जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हूं और (मेरे आने की) एक ग़रज़ यह (भी) है कि जो चीजे तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे ख़ुदा से) हलाल कर दूं और मैं तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) निशानी लेकर तुम्हारे पास आया हूं
003-052 पस उसकी इबादत करो (क्योंकि) यही नजात का सीधा रास्ता है फिर जब ईसा ने (इतनी बातों के बाद भी) उनका कुफ़्र (पर अड़े रहना) देखा तो (आख़िर) कहने लगे कौन ऐसा है जो ख़ुदा की तरफ़ होकर मेरा मददगार बने (ये सुनकर) हवारियों ने कहा हम ख़ुदा के तरफ़दार हैं और हम ख़ुदा पर ईमान लाए
Wa Makarū Wa Makara Allāhu Wa ۖ Allāhu Khayru Al-Mākirīna
003-054 और ख़ुदा की बारगाह में अर्ज़ की कि ऐ हमारे पालने वाले जो कुछ तूने नाज़िल किया हम उसपर ईमान लाए और हमने तेरे रसूल (ईसा) की पैरवी इख्तेयार की पस तू हमें (अपने रसूल के) गवाहों के दफ्तर में लिख ले
'IdhQāla Allāhu Yā `Īsá 'Innī Mutawaffīka Wa Rāfi`uka 'Ilayya Wa Muţahhiruka Mina Al-Ladhīna Kafarū Wa Jā`ilu Al-Ladhīna Attaba`ūka Fawqa Al-Ladhīna Kafarū 'Ilá Yawmi Al-Qiyā ۖ Mati Thumma 'Ilayya Marji`ukum Fa'aĥkumu Baynakum Fīmā Kuntum Fīhi Takhtalifūna
003-055 और यहूदियों (ने ईसा से) मक्कारी की और ख़ुदा ने उसके दफ़ईया की तदबीर की और ख़ुदा सब से बेहतर तदबीर करने वाला है (वह वक्त भी याद करो) जब ईसा से ख़ुदा ने फ़रमाया ऐ ईसा मैं ज़रूर तुम्हारी ज़िन्दगी की मुद्दत पूरी करके तुमको अपनी तरफ़ उठा लूंगा और काफ़िरों (की ज़िन्दगी) से तुमको पाक व पाकीज़ा रखूंगा और जिन लोगों ने तुम्हारी पैरवी की उनको क़यामत तक काफ़िरों पर ग़ालिब रखूंगा फिर तुम सबको मेरी तरफ़ लौटकर आना है
Fa'ammā Al-Ladhīna Kafarū Fa'u`adhdhibuhum `AdhābāanShadīdāan Fī Ad-Dunyā Wa Al-'Ākhirati Wa Mā Lahum Min Nāşirīna
003-056 तब (उस दिन) जिन बातों में तुम (दुनिया) में झगड़े करते थे (उनका) तुम्हारे दरमियान फ़ैसला कर दूंगा पस जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनपर दुनिया और आख़िरत (दोनों में) सख्त अज़ाब करूंगा और उनका कोई मददगार न होगा
Faman Ĥājjaka Fīhi Min Ba`di Mā Jā'aka Mina Al-`Ilmi Faqul Ta`ālaw Nad`u 'Abnā'anā Wa 'Abnā'akum Wa Nisā'anā Wa Nisā'akum Wa 'Anfusanā Wa 'AnfusakumThumma Nabtahil Fanaj`al La`nata Allāhi `Alá Al-Kādhibīna
003-061 फिर जब तुम्हारे पास इल्म (कुरान) आ चुका उसके बाद भी अगर तुम से कोई (नसरानी) ईसा के बारे में हुज्जत करें तो कहो कि (अच्छा मैदान में) आओ हम अपने बेटों को बुलाएं तुम अपने बेटों को और हम अपनी औरतों को (बुलाएं) और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाएं ओर तुम अपनी जानों को
'Inna Hādhā Lahuwa Al-Qaşaşu Al-Ĥaqqu ۚ Wa Mā Min 'Ilahin 'Illā Al-Lahu ۚ Wa 'Inna Allāha Lahuwa Al-`Azīzu Al-Ĥakīmu
003-062 उसके बाद हम सब मिलकर (खुदा की बारगाह में) गिड़गिड़ाएं और झूठों पर ख़ुदा की लानत करें (ऐ रसूल) ये सब यक़ीनी सच्चे वाक़यात हैं और ख़ुदा के सिवा कोई माबूद (क़ाबिले परसतिश) नहीं है
Qul Yā 'Ahla Al-Kitābi Ta`ālaw 'Ilá Kalimatin Sawā'in Baynanā Wa Baynakum 'Allā Na`buda 'Illā Al-Laha Wa Lā Nushrika Bihi Shay'āan Wa Lā Yattakhidha Ba`đunā Ba`đāan 'Arbābāan Min Dūni Allāhi ۚ Fa'in Tawallaw Faqūlū Ash/hadū Bi'annā Muslimūna
003-064 फिर अगर इससे भी मुंह फेरें तो (कुछ) परवाह (नहीं) ख़ुदा फ़सादी लोगों को खूब जानता है (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कहो कि ऐ अहले किताब तुम ऐसी (ठिकाने की) बात पर तो आओ जो हमारे और तुम्हारे दरमियान यकसॉ है कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करें और किसी चीज़ को उसका शरीक न बनाएं और ख़ुदा के सिवा हममें से कोई किसी को अपना परवरदिगार न बनाए अगर इससे भी मुंह मोडें तो तुम गवाह रहना हम (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार हैं
Yā 'Ahla Al-Kitābi Lima Tuĥājjūna Fī 'Ibrāhīma Wa Mā 'Unzilati At-Tawrāatu Wa Al-'Injīlu 'Illā Min Ba`dihi~ ۚ 'Afalā Ta`qilūna
003-065 ऐ अहले किताब तुम इबराहीम के बारे में (ख्वाह मा ख्वाह) क्यों झगड़ते हो कि कोई उनको नसरानी कहता है कोई यहूदी हालॉकि तौरेत व इन्जील (जिनसे यहूद व नसारा की इब्तेदा है वह) तो उनके बाद ही नाज़िल हुई
003-066 तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते? (ऐ लो अरे) तुम वही एहमक़ लोग हो कि जिस का तुम्हें कुछ इल्म था उसमें तो झगड़ा कर चुके (खैर) फिर तब उसमें क्या (ख्वाह मा ख्वाह) झगड़ने बैठे हो जिसकी (सिरे से) तुम्हें कुछ ख़बर नहीं और (हकॣक़ते हाल तो) खुदा जानता है और तुम नहीं जानते
WaddatŢā'ifatun Min 'Ahli Al-Kitābi Law Yuđillūnakum Wa Mā Yuđillūna 'Illā 'Anfusahum Wa Mā Yash`urūn
003-069 (मुसलमानो) अहले किताब से एक गिरोह ने बहुत चाहा कि किसी तरह तुमको राहेरास्त से भटका दे हालॉकि वह (अपनी तदबीरों से तुमको तो नहीं मगर) अपने ही को भटकाते हैं
Wa QālatŢā'ifatun Min 'Ahli Al-Kitābi 'Āminū Bial-Ladhī 'Unzila `Alá Al-Ladhīna 'Āmanū Wajha An-Nahāri Wa Akfurū 'Ākhirahu La`allahum Yarji`ūna
003-072 और अहले किताब से एक गिरोह ने (अपने लोगों से) कहा कि मुसलमानों पर जो किताब नाज़िल हुईहै उसपर सुबह सवेरे ईमान लाओ और आख़िर वक्त ऌन्कार कर दिया करो शायद मुसलमान (इसी तदबीर से अपने दीन से) फिर जाए
Wa Lā Tu'uminū 'Illā Liman Tabi`a DīnakumQul 'Inna Al-Hudá Hudá Allāhi 'An Yu'utá 'Aĥadun Mithla Mā 'Ūtītum 'Aw Yuĥājjūkum `Inda Rabbikum ۗ Qul 'Inna Al-Fađla Biyadi Allāhi Yu'utīhi Man Yashā'u Wa ۗ Allāhu Wāsi`un `Alīmun
003-073 और तुम्हारे दीन की पैरवरी करे उसके सिवा किसी दूसरे की बात का ऐतबार न करो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि बस ख़ुदा ही की हिदायत तो हिदायत है (यहूदी बाहम ये भी कहते हैं कि) उसको भी न (मानना) कि जैसा (उम्दा दीन) तुमको दिया गया है, वैसा किसी और को दिया जाय या तुमसे कोई शख्स ख़ुदा के यहॉ झगड़ा करे (ऐ रसूल तुम उनसे) कह दो कि (ये क्या ग़लत ख्याल है) फ़ज़ल (व करम) ख़ुदा के हाथ में है वह जिसको चाहे दे और ख़ुदा बड़ी गुन्जाईश वाला है (और हर शै को)े जानता है
Wa Min 'Ahli Al-Kitābi Man 'In Ta'manhu Biqinţārin Yu'uaddihi~ 'Ilayka Wa Minhum Man 'In Ta'manhu Bidīnārin Lā Yu'uaddihi~ 'Ilayka 'Illā Mā Dumta `Alayhi Qā'imāan ۗ Dhālika Bi'annahumQālū Laysa `Alaynā Fī Al-'Ummīyīna Sabīlun Wa Yaqūlūna `Alá Allāhi Al-Kadhiba Wa Hum Ya`lamūna
003-075 और अहले किताब कुछ ऐसे भी हैं कि अगर उनके पास रूपए की ढेर अमानत रख दो तो भी उसे (जब चाहो) वैसे ही तुम्हारे हवाले कर देंगे और बाज़ ऐसे हें कि अगर एक अशर्फ़ी भी अमानत रखो तो जब तक तुम बराबर (उनके सर) पर खड़े न रहोगे तुम्हें वापस न देंगे ये (बदमुआम लगी) इस वजह से है कि उन का तो ये क़ौल है कि (अरब के) जाहिलो (का हक़ मार लेने) में हम पर कोई इल्ज़ाम की राह ही नहीं और जान बूझ कर खुदा पर झूठ (तूफ़ान) जोड़ते हैं
'Inna Al-Ladhīna Yashtarūna Bi`ahdi Allāhi Wa 'AymānihimThamanāanQalīlāan 'Ūlā'ika Lā Khalāqa Lahum Fī Al-'Ākhirati Wa Lā Yukallimuhumu Allāhu Wa Lā Yanžuru 'Ilayhim Yawma Al-Qiyāmati Wa Lā Yuzakkīhim Wa Lahum `Adhābun 'Alīmun
003-077 बेशक जो लोग अपने एहद और (क़समे) जो ख़ुदा (से किया था उसके) बदले थोड़ा (दुनयावी) मुआवेज़ा ले लेते हैं उन ही लोगों के वास्ते आख़िरत में कुछ हिस्सा नहीं और क़यामत के दिन ख़ुदा उनसे बात तक तो करेगा नहीं ओर उनकी तरफ़ नज़र (रहमत) ही करेगा और न उनको (गुनाहों की गन्दगी से) पाक करेगा और उनके लिये दर्दनाम अज़ाब है
Wa 'Inna Minhum Lafarīqāan Yalwūna 'Alsinatahum Bil-Kitābi Litaĥsabūhu Mina Al-Kitābi Wa Mā Huwa Mina Al-Kitābi Wa Yaqūlūna Huwa Min `Indi Allāhi Wa Mā Huwa Min `Indi Allāhi Wa Yaqūlūna `Alá Allāhi Al-Kadhiba Wa Hum Ya`lamūna
003-078 और अहले किताब से बाज़ ऐसे ज़रूर हैं कि किताब (तौरेत) में अपनी ज़बाने मरोड़ मरोड़ के (कुछ का कुछ) पढ़ जाते हैं ताकि तुम ये समझो कि ये किताब का जुज़ है हालॉकि वह किताब का जुज़ नहीं और कहते हैं कि ये (जो हम पढ़ते हैं) ख़ुदा के यहॉ से (उतरा) है हालॉकि वह ख़ुदा के यहॉ से नहीं (उतरा) और जानबूझ कर ख़ुदा पर झूठ (तूफ़ान) जोड़ते हैं
Mā Kāna Libasharin 'An Yu'utiyahu Allāhu Al-Kitāba Wa Al-Ĥukma Wa An-Nubūwata Thumma Yaqūla Lilnnāsi Kūnū `Ibādāan Lī Min Dūni Allāhi Wa Lakin Kūnū Rabbānīyīna Bimā Kuntum Tu`allimūna Al-Kitāba Wa Bimā Kuntum Tadrusūna
003-079 किसी आदमी को ये ज़ेबा न था कि ख़ुदा तो उसे (अपनी) किताब और हिकमत और नबूवत अता फ़रमाए और वह लोगों से कहता फिरे कि ख़ुदा को छोड़कर मेरे बन्दे बन जाओ बल्कि (वह तो यही कहेगा कि) तुम अल्लाह वाले बन जाओ क्योंकि तुम तो (हमेशा) किताबे ख़ुदा (दूसरो) को पढ़ाते रहते हो और तुम ख़ुद भी सदा पढ़ते रहे हो
Wa Lā Ya'murakum 'An Tattakhidhū Al-Malā'ikata Wa An-Nabīyīna 'Arbābāan ۗ 'Aya'murukum Bil-Kufri Ba`da 'Idh 'Antum Muslimūna
003-080 और वह तुमसे ये तो (कभी) न कहेगा कि फ़रिश्तों और पैग़म्बरों को ख़ुदा बना लो भला (कहीं ऐसा हो सकता है कि) तुम्हारे मुसलमान हो जाने के बाद तुम्हें कुफ़्र का हुक्म करेगा
Wa 'Idh 'Akhadha Allāhu Mīthāqa An-Nabīyīna Lamā 'Ātaytukum Min Kitābin Wa ĤikmatinThumma Jā'akumRasūlun Muşaddiqun Limā Ma`akum Latu'uminunna Bihi Wa Latanşurunnahu ۚ Qāla 'A'aqrartum Wa 'Akhadhtum `Alá Dhālikum 'Işrī ۖ Qālū 'Aqrarnā ۚ Qāla Fāsh/hadū Wa 'Anā Ma`akum Mina Ash-Shāhidīna
003-081 (और ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब ख़ुदा ने पैग़म्बरों से इक़रार लिया कि हम तुमको जो कुछ किताब और हिकमत (वगैरह) दे उसके बाद तुम्हारे पास कोई रसूल आए और जो किताब तुम्हारे पास उसकी तसदीक़ करे तो (देखो) तुम ज़रूर उस पर ईमान लाना, और ज़रूर उसकी मदद करना (और) ख़ुदा ने फ़रमाया क्या तुमने इक़रार लिया तुमने मेरे (एहद का) बोझ उठा लिया सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया इरशाद हुआ (अच्छा) तो आज के क़ौल व (क़रार के) आपस में एक दूसरे के गवाह रहना
'Afaghayra Dīni Allāhi Yabghūna Wa Lahu~ 'Aslama Man Fī As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Ţaw`āan Wa Karhāan Wa 'Ilayhi Yurja`ūna
003-083 तो क्या ये लोग ख़ुदा के दीन के सिवा (कोई और दीन) ढूंढते हैं हालॉकि जो (फ़रिश्ते) आसमानों में हैं और जो (लोग) ज़मीन में हैं सबने ख़ुशी ख़ुशी या ज़बरदस्ती उसके सामने अपनी गर्दन डाल दी है और (आख़िर सब) उसकी तरफ़ लौट कर जाएंगे
Qul 'Āmannā Billāhi Wa Mā 'Unzila `Alaynā Wa Mā 'Unzila `Alá 'Ibrāhīma Wa 'Ismā`īla Wa 'Isĥāqa Wa Ya`qūba Wa Al-'Asbāţi Wa Mā 'Ūtiya Mūsá Wa `Īsá Wa An-Nabīyūna MinRabbihim Lā Nufarriqu Bayna 'Aĥadin Minhum Wa Naĥnu Lahu Muslimūna
003-084 (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि हम तो ख़ुदा पर ईमान लाए और जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो (सहीफ़े) इबराहीम और इस्माईल और इसहाक़ और याकूब और औलादे याकूब पर नाज़िल हुये और मूसा और ईसा और दूसरे पैग़म्बरों को जो (जो किताब) उनके परवरदिगार की तरफ़ से इनायत हुई(सब पर ईमान लाए) हम तो उनमें से किसी एक में भी फ़र्क़ नहीं करते
Wa Man Yabtaghi Ghayra Al-'Islāmi Dīnāan Falan Yuqbala Minhu Wa Huwa Fī Al-'Ākhirati Mina Al-Khāsirīna
003-085 और हम तो उसी (यकता ख़ुदा) के फ़रमाबरदार हैं और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही न किया जाएगा और वह आख़िरत में सख्त घाटे में रहेगा
Kayfa Yahdī Al-Lahu Qawmāan Kafarū Ba`da 'Īmānihim Wa Shahidū 'Anna Ar-Rasūla Ĥaqqun Wa Jā'ahumu Al-Bayyinātu Wa ۚ Allāhu Lā Yahdī Al-Qawma Až-Žālimīna
003-086 भला ख़ुदा ऐसे लोगों की क्योंकर हिदायत करेगा जो इमाने लाने के बाद फिर काफ़िर हो गए हालॉकि वह इक़रार कर चुके थे कि पैग़म्बर (आख़िरूज़ज़मा) बरहक़ हैं और उनके पास वाजेए व रौशन मौजिज़े भी आ चुके थे और ख़ुदा ऐसी हठधर्मी करने वाले लोगों की हिदायत नहीं करता
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Ba`da 'ĪmānihimThumma Azdādū Kufrāan Lan Tuqbala Tawbatuhum Wa 'Ūlā'ika Humu Ađ-Đāllūna
003-090 जो अपने ईमान के बाद काफ़िर हो बैठे फ़िर (रोज़ बरोज़ अपना) कुफ़्र बढ़ाते चले गये तो उनकी तौबा हरगिज़ न कुबूल की जाएगी और यही लोग (पल्ले दरजे के) गुमराह हैं
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Wa Mātū Wa Hum Kuffārun Falan Yuqbala Min 'Aĥadihim Mil'u Al-'Arđi Dhahabāan Wa Law Aftadá Bihi~ ۗ 'Ūlā'ika Lahum `Adhābun 'Alīmun Wa Mā Lahum Min Nāşirīna
003-091 बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तियार किया और कुफ़्र की हालत में मर गये तो अगरचे इतना सोना भी किसी की गुलू ख़लासी (छुटकारा पाने) में दिया जाए कि ज़मीन भर जाए तो भी हरगिज़ न कुबूल किया जाएगा यही लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उनका कोई मददगार भी न होगा
003-093 सी चीज़ भी ख़र्च करो ख़ुदा तो उसको ज़रूर जानता है तौरैत के नाज़िल होने के क़ब्ल याकूब ने जो जो चीज़े अपने ऊपर हराम कर ली थीं उनके सिवा बनी इसराइल के लिए सब खाने हलाल थे (ऐ रसूल उन यहूद से) कह दो कि अगर तुम (अपने दावे में सच्चे हो तो तौरेत ले आओ
003-096 लोगों (की इबादत) के वास्ते जो घर सबसे पहले बनाया गया वह तो यक़ीनन यही (काबा) है जो मक्के में है बड़ी (खैर व बरकत) वाला और सारे जहॉन के लोगों का रहनुमा
Fīhi 'Āyātun Bayyinātun Maqāmu 'Ibrāhīma ۖ Wa Man Dakhalahu Kāna 'Āmināan ۗ Wa Lillāh `Alá An-Nāsi Ĥijju Al-Bayti Mani Astaţā`a 'Ilayhi Sabīlāan ۚ Wa Man Kafara Fa'inna Allāha Ghanīyun `Ani Al-`Ālamīna
003-097 इसमें (हुरमत की) बहुत सी वाज़े और रौशन निशानियॉ हैं (उनमें से) मुक़ाम इबराहीम है (जहॉ आपके क़दमों का पत्थर पर निशान है) और जो इस घर में दाख़िल हुआ अमन में आ गया और लोगों पर वाजिब है कि महज़ ख़ुदा के लिए ख़ानाए काबा का हज करें जिन्हे वहां तक पहुँचने की इस्तेताअत है और जिसने बावजूद कुदरत हज से इन्कार किया तो (याद रखे) कि ख़ुदा सारे जहॉन से बेपरवा है
Qul Yā 'Ahla Al-Kitābi Lima Taşuddūna `An Sabīli Allāhi Man 'Āmana Tabghūnahā `Iwajāan Wa 'AntumShuhadā'u ۗ Wa Mā Al-Lahu Bighāfilin `Ammā Ta`malūna
003-099 (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ अहले किताब दीदए दानिस्ता खुदा की (सीधी) राह में (नाहक़ की) कज़ी ढूंढो (ढूंढ) के ईमान लाने वालों को उससे क्यों रोकते हो ओर जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं है
Wa Kayfa Takfurūna Wa 'Antum Tutlá `Alaykum 'Āyātu Allāhi Wa FīkumRasūluhu ۗ Wa Man Ya`taşim Billāhi Faqad Hudiya 'Ilá Şirāţin Mustaqīmin
003-101 और (भला) तुम क्योंकर काफ़िर बन जाओगे हालॉकि तुम्हारे सामने ख़ुदा की आयतें (बराबर) पढ़ी जाती हैं और उसके रसूल (मोहम्मद) भी तुममें (मौजूद) हैं और जो शख्स ख़ुदा से वाबस्ता हो वह (तो) जरूर सीधी राह पर लगा दिया गया
Wa A`taşimū Biĥabli Allāhi Jamī`āan Wa Lā Tafarraqū ۚ Wa Adhkurū Ni`mata Allāhi `Alaykum 'Idh Kuntum 'A`dā'an Fa'allafa Bayna Qulūbikum Fa'aşbaĥtum Bini`matihi~ 'Ikhwānāan Wa Kuntum `Alá Shafā Ĥufratin Mina An-Nāri Fa'anqadhakum Minhā ۗ Kadhālika Yubayyinu Allāhu Lakum 'Āyātihi La`allakum Tahtadūna
003-103 और तुम सब के सब (मिलकर) ख़ुदा की रस्सी मज़बूती से थामे रहो और आपस में (एक दूसरे) के फूट न डालो और अपने हाल (ज़ार) पर ख़ुदा के एहसान को तो याद करो जब तुम आपस में (एक दूसरे के) दुश्मन थे तो ख़ुदा ने तुम्हारे दिलों में (एक दूसरे की) उलफ़त पैदा कर दी तो तुम उसके फ़ज़ल से आपस में भाई भाई हो गए और तुम गोया सुलगती हुईआग की भट्टी (दोज़ख) के लब पर (खडे) थे गिरना ही चाहते थे कि ख़ुदा ने तुमको उससे बचा लिया तो ख़ुदा अपने एहकाम यूं वाजेए करके बयान करता है ताकि तुम राहे रास्त पर आ जाओ
Wa Ltakun Minkum 'Ummatun Yad`ūna 'Ilá Al-Khayri Wa Ya'murūna Bil-Ma`rūfi Wa Yanhawna `Ani Al-Munkari ۚ Wa 'Ūlā'ika Humu Al-Mufliĥūna
003-104 और तुमसे एक गिरोह ऐसे (लोगों का भी) तो होना चाहिये जो (लोगों को) नेकी की तरफ़ बुलाए अच्छे काम का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके और ऐसे ही लोग (आख़ेरत में) अपनी दिली मुरादें पायेंगे
Wa Lā Takūnū Kālladhīna Tafarraqū Wa Akhtalafū Min Ba`di Mā Jā'ahumu Al-Bayyinātu ۚ Wa 'Ūlā'ika Lahum `Adhābun `Ažīmun
003-105 और तुम (कहीं) उन लोगों के ऐसे न हो जाना जो आपस में फूट डाल कर बैठ रहे और रौशन (दलील) आने के बाद भी एक मुंह एक ज़बान न रहे और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा (भारी) अज़ाब है
003-106 (उस दिन से डरो) जिस दिन कुछ लोगों के चेहरे तो सफैद नूरानी होंगे और कुछ (लोगो) के चेहरे सियाह जिन लोगों के मुहॅ में कालिक होगी (उनसे कहा जायेगा) हाए क्यों तुम तो ईमान लाने के बाद काफ़िर हो गए थे अच्छा तो (लो) (अब) अपने कुफ़्र की सज़ा में अज़ाब (के मजे) चखो
KuntumKhayra 'Ummatin 'Ukhrijat Lilnnāsi Ta'murūna Bil-Ma`rūfi Wa Tanhawna `Ani Al-Munkari Wa Tu'uminūna Billāhi ۗ Wa Law 'Āmana 'Ahlu Al-Kitābi Lakāna Khayrāan Lahum ۚ Minhumu Al-Mu'uminūna Wa 'Aktharuhumu Al-Fāsiqūna
003-110 तुम क्या अच्छे गिरोह हो कि (लोगों की) हिदायत के वास्ते पैदा किये गए हो तुम (लोगों को) अच्छे काम का हुक्म करते हो और बुरे कामों से रोकते हो और ख़ुदा पर ईमान रखते हो और अगर अहले किताब भी (इसी तरह) ईमान लाते तो उनके हक़ में बहुत अच्छा होता उनमें से कुछ ही तो ईमानदार हैं और अक्सर बदकार
Lan Yađurrūkum 'Illā 'Adhan ۖ Wa 'In Yuqātilūkum Yuwallūkumu Al-'AdbāraThumma Lā Yunşarūna
003-111 (मुसलमानों) ये लोग मामूली अज़ीयत के सिवा तुम्हें हरगिज़ ज़रर नहीं पहुंचा सकते और अगर तुमसे लड़ेंगे तो उन्हें तुम्हारी तरफ़ पीठ ही करनी होगी और फिर उनकी कहीं से मदद भी नहीं पहुंचेगी
Đuribat `Alayhimu Adh-Dhillatu 'Ayna Mā Thuqifū 'Illā Biĥablin Mina Allāhi Wa Ĥablin Mina An-Nāsi Wa Bā'ū Bighađabin Mina Allāhi Wa Đuribat `Alayhimu Al-Maskanatu ۚ Dhālika Bi'annahum Kānū Yakfurūna Bi'āyāti Allāhi Wa Yaqtulūna Al-'Anbiyā'a Bighayri Ĥaqqin ۚ Dhālika Bimā `Aşaw Wa Kānū Ya`tadūna
003-112 और जहॉ कहीं हत्ते चढ़े उनपर रूसवाई की मार पड़ी मगर ख़ुदा के एहद (या) और लोगों के एहद के ज़रिये से (उनको कहीं पनाह मिल गयी) और फिर हेरफेर के खुदा के गज़ब में पड़ गए और उनपर मोहताजी की मार (अलग) पड़ी ये (क्यों) इस सबब से कि वह ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करते थे ये सज़ा उसकी है कि उन्होंने नाफ़रमानी की और हद से गुज़र गए थे
Laysū Sawā'an ۗ Min 'Ahli Al-Kitābi 'UmmatunQā'imatun Yatlūna 'Āyāti Allāhi 'Ānā'a Al-Layli Wa Hum Yasjudūna
003-113 और ये लोग भी सबके सब यकसॉ नहीं हैं (बल्कि) अहले किताब से कुछ लोग तो ऐसे हैं कि (ख़ुदा के दीन पर) इस तरह साबित क़दम हैं कि रातों को ख़ुदा की आयतें पढ़ा करते हैं और वह बराबर सजदे किया करते हैं
Yu'uminūna Billāhi Wa Al-Yawmi Al-'Ākhiri Wa Ya'murūna Bil-Ma`rūfi Wa Yanhawna `Ani Al-Munkari Wa Yusāri`ūna Fī Al-Khayrāti Wa 'Ūlā'ika Mina Aş-Şāliĥīna
003-114 खुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं और अच्छे काम का तो हुक्म करते हैं और बुरे कामों से रोकते हैं और नेक कामों में दौड़ पड़ते हैं और यही लोग तो नेक बन्दों से हैं
'Inna Al-Ladhīna Kafarū Lan Tughniya `Anhum 'Amwāluhum Wa Lā 'Awlāduhum Mina Allāhi Shay'āan ۖ Wa 'Ūlā'ika 'Aşĥābu An-Nāri ۚ Hum Fīhā Khālidūna
003-116 बेशक जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया ख़ुदा (के अज़ाब) से बचाने में हरगिज़ न उनके माल ही कुछ काम आएंगे न उनकी औलाद और यही लोग जहन्नुमी हैं और हमेशा उसी में रहेंगे
Mathalu Mā Yunfiqūna Fī Hadhihi Al-Ĥayāati Ad-Dunyā Kamathali Rīĥin Fīhā Şirrun 'Aşābat Ĥartha QawminŽalamū 'Anfusahum Fa'ahlakat/hu ۚ Wa Mā Žalamahumu Allāhu Wa Lakin 'Anfusahum Yažlimūna
003-117 दुनिया की चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में ये लोग जो कुछ (ख़िलाफ़ शरा) ख़र्च करते हैं उसकी मिसाल अन्धड़ की मिसाल है जिसमें बहुत पाला हो और वह उन लोगों के खेत पर जा पड़े जिन्होंने (कुफ़्र की वजह से) अपनी जानों पर सितम ढाया हो और फिर पाला उसे मार के (नास कर दे) और ख़ुदा ने उनपर जुल्म कुछ नहीं किया बल्कि उन्होंने आप अपने ऊपर जुल्म किया
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Tattakhidhū Biţānatan Min Dūnikum Lā Ya'lūnakumKhabālāan Waddū Mā `AnittumQad Badati Al-Baghđā'u Min 'Afwāhihim Wa Mā Tukhfī Şudūruhum 'Akbaru ۚ Qad Bayyannā Lakumu Al-'Āyāti ۖ 'In Kuntum Ta`qilūna
003-118 ऐ ईमानदारों अपने (मोमिनीन) के सिवा (गैरो को) अपना राज़दार न बनाओ (क्योंकि) ये गैर लोग तुम्हारी बरबादी में कुछ उठा नहीं रखेंगे (बल्कि जितना ज्यादा तकलीफ़) में पड़ोगे उतना ही ये लोग ख़ुश होंगे दुश्मनी तो उनके मुंह से टपकती है और जो (बुग़ज़ व हसद) उनके दिलों में भरा है वह कहीं उससे बढ़कर है हमने तुमसे (अपने) एहकाम साफ़ साफ़ बयान कर दिये अगर तुम समझ रखते हो
Hā'antum 'Ūlā'i Tuĥibbūnahum Wa Lā Yuĥibbūnakum Wa Tu'uminūna Bil-Kitābi Kullihi Wa 'Idhā LaqūkumQālū 'Āmannā Wa 'Idhā Khalaw `Ađđū `Alaykumu Al-'Anāmila Mina Al-Ghayži Qul ۚ Mūtū Bighayžikum 'Inna ۗ Allāha `Alīmun Bidhāti Aş-Şudūri
003-119 ऐ लोगों तुम ऐसे (सीधे) हो कि तुम उनसे उलफ़त रखतो हो और वह तुम्हें (ज़रा भी) नहीं चाहते और तुम तो पूरी किताब (ख़ुदा) पर ईमान रखते हो और वह ऐसे नहीं हैं (मगर) जब तुमसे मिलते हैं तो कहने लगते हैं कि हम भी ईमान लाए और जब अकेले में होते हैं तो तुम पर गुस्से के मारे उंगलियों काटते हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (काटना क्या) तुम अपने गुस्से में जल मरो जो बातें तुम्हारे दिलों में हैं बेशक ख़ुदा ज़रूर जानता है
'In Tamsaskum Ĥasanatun Tasu'uhum Wa 'In Tuşibkum Sayyi'atun Yafraĥū Bihā ۖ Wa 'In Taşbirū Wa Tattaqū Lā Yađurrukum KayduhumShay'āan ۗ 'Inna Allāha Bimā Ya`malūna Muĥīţun
003-120 (ऐ ईमानदारों) अगर तुमको भलाई छू भी गयी तो उनको बुरा मालूम होता है और जब तुमपर कोई भी मुसीबत पड़ती है तो वह ख़ुश हो जाते हैं और अगर तुम सब्र करो और परहेज़गारी इख्तेयार करो तो उनका फ़रेब तुम्हें कुछ भी ज़रर नहीं पहुंचाएगा (क्योंकि) ख़ुदा तो उनकी कारस्तानियों पर हावी है
Wa 'IdhGhadawta Min 'Ahlika Tubawwi'u Al-Mu'uminīna Maqā`ida Lilqitāli Wa ۗ Allāhu Samī`un `Alīmun
003-121 और (ऐ रसूल) एक वक्त वो भी था जब तुम अपने बाल बच्चों से तड़के ही निकल खड़े हुए और मोमिनीन को लड़ाई के मोर्चों पर बिठा रहे थे और खुदा सब कुछ जानता और सुनता है
'Idh HammatŢā'ifatāni Minkum 'An Tafshalā Wa Allāhu Walīyuhumā ۗ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mu'uminūna
003-122 ये उस वक्त क़ा वाक़या है जब तुममें से दो गिरोहों ने ठान लिया था कि पसपाई करें और फिर (सॅभल गए) क्योंकि ख़ुदा तो उनका सरपरस्त था और मोमिनीन को ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिये
003-124 पस तुम ख़ुदा से डरते रहो ताकि (उनके) शुक्रगुज़ार बनो (ऐ रसूल) उस वक्त तुम मोमिनीन से कह रहे थे कि क्या तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं है कि तुम्हारा परवरदिगार तीन हज़ार फ़रिश्ते आसमान से भेजकर तुम्हारी मदद करे हॉ (ज़रूर काफ़ी है)
Balá ۚ 'In Taşbirū Wa Tattaqū Wa Ya'tūkum Min Fawrihim Hādhā YumdidkumRabbukum Bikhamsati 'Ālāfin Mina Al-Malā'ikati Musawwimīna
003-125 बल्कि अगर तुम साबित क़दम रहो और (रसूल की मुख़ालेफ़त से) बचो और कुफ्फ़ार अपने (जोश में) तुमपर चढ़ भी आये तो तुम्हारा परवरदिगार ऐसे पॉच हज़ार फ़रिश्तों से तुम्हारी मदद करेगा जो निशाने जंग लगाए हुए डटे होंगे और ख़ुदा ने ये मदद सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी के लिए की है
Wa Sāri`ū 'Ilá Maghfiratin MinRabbikum Wa Jannatin `Arđuhā As-Samāwātu Wa Al-'Arđu 'U`iddat Lilmuttaqīna
003-133 और अपने परवरदिगार के (सबब) बख्शिश और जन्नत की तरफ़ दौड़ पड़ो जिसकी (वुसअत सारे) आसमान और ज़मीन के बराबर है और जो परहेज़गारों के लिये मुहय्या की गयी है
Al-Ladhīna Yunfiqūna Fī As-Sarrā'i Wa Ađ-Đarrā'i Wa Al-Kāžimīna Al-Ghayža Wa Al-`Āfīna `Ani An-Nāsi Wa ۗ Allāhu Yuĥibbu Al-Muĥsinīna
003-134 जो ख़ुशहाली और कठिन वक्त में भी (ख़ुदा की राह पर) ख़र्च करते हैं और गुस्से को रोकते हैं और लोगों (की ख़ता) से दरगुज़र करते हैं और नेकी करने वालों से अल्लाह उलफ़त रखता है
Wa Al-Ladhīna 'Idhā Fa`alū Fāĥishatan 'Aw Žalamū 'AnfusahumDhakarū Allaha Fāstaghfarū Lidhunūbihim Wa Man Yaghfiru Adh-Dhunūba 'Illā Al-Lahu Wa Lam Yuşirrū `Alá Mā Fa`alū Wa Hum Ya`lamūna
003-135 और लोग इत्तिफ़ाक़ से कोई बदकारी कर बैठते हैं या आप अपने ऊपर जुल्म करते हैं तो ख़ुदा को याद करते हैं और अपने गुनाहों की माफ़ी मॉगते हैं और ख़ुदा के सिवा गुनाहों का बख्शने वाला और कौन है और जो (क़ूसूर) वह (नागहानी) कर बैठे तो जानबूझ कर उसपर हट नहीं करते
'Ūlā'ika Jazā'uuhum Maghfiratun MinRabbihim Wa Jannātun Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā ۚ Wa Ni`ma 'Ajru Al-`Āmilīna
003-136 ऐसे ही लोगों की जज़ा उनके परवरदिगार की तरफ़ से बख्शिश है और वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं कि वह उनमें हमेशा रहेंगे और (अच्छे) चलन वालों की (भी) ख़ूब खरी मज़दूरी है
003-137 तुमसे पहले बहुत से वाक़यात गुज़र चुके हैं पस ज़रा रूए ज़मीन पर चल फिर कर देखो तो कि (अपने अपने वक्त क़े पैग़म्बरों को) झुठलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ
'In YamsaskumQarĥun Faqad Massa Al-Qawma Qarĥun Mithluhu ۚ Wa Tilka Al-'Ayyāmu Nudāwiluhā Bayna An-Nāsi Wa Liya`lama Allāhu Al-Ladhīna 'Āmanū Wa Yattakhidha MinkumShuhadā'a Wa ۗ Allāhu Lā Yuĥibbu Až-Žālimīna
003-140 अगर (जंगे ओहद में) तुमको ज़ख्म लगा है तो उसी तरह (बदर में) तुम्हारे फ़रीक़ (कुफ्फ़ार को) भी ज़ख्म लग चुका है (उस पर उनकी हिम्मत तो न टूटी) ये इत्तफ़ाक़ाते ज़माना हैं जो हम लोगों के दरमियान बारी बारी उलट फेर किया करते हैं और ये (इत्तफ़ाक़ी शिकस्त इसलिए थी) ताकि ख़ुदा सच्चे ईमानदारों को (ज़ाहिरी) मुसलमानों से अलग देख लें और तुममें से बाज़ को दरजाए शहादत पर फ़ायज़ करें और ख़ुदा (हुक्मे रसूल से) सरताबी करने वालों को दोस्त नहीं रखता
'Am Ĥasibtum 'An Tadkhulū Al-Jannata Wa Lammā Ya`lami Allāhu Al-Ladhīna Jāhadū Minkum Wa Ya`lama Aş-Şābirīna
003-142 (मुसलमानों) क्या तुम ये समझते हो कि सब के सब बहिश्त में चले ही जाओगे और क्या ख़ुदा ने अभी तक तुममें से उन लोगों को भी नहीं पहचाना जिन्होंने जेहाद किया और न साबित क़दम रहने वालों को ही पहचाना
Wa Mā Muĥammadun 'Illā RasūlunQadKhalat MinQablihi Ar-Rusulu ۚ 'Afa'īn Māta 'Aw Qutila Anqalabtum `Alá 'A`qābikum ۚ Wa Man Yanqalib `Alá `Aqibayhi Falan Yađurra Allāha Shay'āan ۗ Wa Sayajzī Al-Lahu Ash-Shākirīna
003-144 (फिर लड़ाई से जी क्यों चुराते हो) और मोहम्मद तो सिर्फ रसूल हैं (ख़ुदा नहीं) इनसे पहले बहुतेरे पैग़म्बर गुज़र चुके हैं फिर क्या अगर मोहम्मद अपनी मौत से मर जॉए या मार डाले जाएं तो तुम उलटे पॉव (अपने कुफ़्र की तरफ़) पलट जाओगे और जो उलटे पॉव फिरेगा (भी) तो (समझ लो) हरगिज़ ख़ुदा का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा और अनक़रीब ख़ुदा का शुक्र करने वालों को अच्छा बदला देगा
Wa Mā Kāna Linafsin 'An Tamūta 'Illā Bi'idhni Allāhi Kitābāan Mu'uajjalāan ۗ Wa Man YuridThawāba Ad-Dunyā Nu'utihi Minhā Wa Man YuridThawāba Al-'Ākhirati Nu'utihi Minhā ۚ Wa Sanajzī Ash-Shākirīna
003-145 और बगैर हुक्मे ख़ुदा के तो कोई शख्स मर ही नहीं सकता वक्ते मुअय्यन तक हर एक की मौत लिखी हुई है और जो शख्स (अपने किए का) बदला दुनिया में चाहे तो हम उसको इसमें से दे देते हैं और जो शख्स आख़ेरत का बदला चाहे उसे उसी में से देंगे और (नेअमत ईमान के) शुक्र करने वालों को बहुत जल्द हम जज़ाए खैर देंगे
Wa Ka'ayyin Min NabīyinQātala Ma`ahuRibbīyūna Kathīrun Famā Wahanū Limā 'Aşābahum Fī Sabīli Allāhi Wa Mā Đa`ufū Wa Mā Astakānū Wa ۗ Allāhu Yuĥibbu Aş-Şābirīna
003-146 और (मुसलमानों तुम ही नहीं) ऐसे पैग़म्बर बहुत से गुज़र चुके हैं जिनके साथ बहुतेरे अल्लाह वालों ने (राहे खुदा में) जेहाद किया और फिर उनको ख़ुदा की राह में जो मुसीबत पड़ी है न तो उन्होंने हिम्मत हारी न बोदापन किया (और न दुशमन के सामने) गिड़गिड़ाने लगे और साबित क़दम रहने वालों से ख़ुदा उलफ़त रखता है
Wa Mā Kāna Qawlahum 'Illā 'AnQālū Rabbanā Aghfir Lanā Dhunūbanā Wa 'Isrāfanā Fī 'Amrinā Wa Thabbit 'Aqdāmanā Wa Anşurnā `Alá Al-Qawmi Al-Kāfirīna
003-147 और लुत्फ़ ये है कि उनका क़ौल इसके सिवा कुछ न था कि दुआएं मॉगने लगें कि ऐ हमारे पालने वाले हमारे गुनाह और अपने कामों में हमारी ज्यादतियॉ माफ़ कर और दुश्मनों के मुक़ाबले में हमको साबित क़दम रख और काफ़िरों के गिरोह पर हमको फ़तेह दे
003-149 ऐ ईमानदारों अगर तुम लोगों ने काफ़िरों की पैरवी कर ली तो (याद रखो) वह तुमको उलटे पॉव (कुफ़्र की तरफ़) फेर कर ले जाऐंगे फिर उलटे तुम ही घाटे में आ जाओगे
003-151 (तुम घबराओ नहीं) हम अनक़रीब तुम्हारा रोब काफ़िरों के दिलों में जमा देंगे इसलिए कि उन लोगों ने ख़ुदा का शरीक बनाया (भी तो) इस चीज़ बुत को जिसे ख़ुदा ने किसी क़िस्म की हुकूमत नहीं दी और (आख़िरकार) उनका ठिकाना दौज़ख़ है और ज़ालिमों का (भी क्या) बुरा ठिकाना है
Wa LaqadŞadaqakumu Allāhu Wa`dahu~ 'Idh Taĥussūnahum Bi'idhnihi ۖ Ĥattá 'Idhā Fashiltum Wa Tanāza`tum Fī Al-'Amri Wa `Aşaytum Min Ba`di Mā 'Arākum Mā Tuĥibbūna ۚ Minkum Man Yurīdu Ad-Dunyā Wa Minkum Man Yurīdu Al-'Ākhirata ۚ Thumma Şarafakum `Anhum Liyabtaliyakum ۖ Wa Laqad `Afā `Ankum Wa ۗ Allāhu Dhū Fađlin `Alá Al-Mu'uminīna
003-152 बेशक खुदा ने (जंगे औहद में भी) अपना (फतेह का) वायदा सच्चा कर दिखाया था जब तुम उसके हुक्म से (पहले ही हमले में) उन (कुफ्फ़ार) को खूब क़त्ल कर रहे थे यहॉ तक की तुम्हारे पसन्द की चीज़ (फ़तेह) तुम्हें दिखा दी उसके बाद भी तुमने (माले ग़नीमत देखकर) बुज़दिलापन किया और हुक्में रसूल (मोर्चे पर जमे रहने) झगड़ा किया और रसूल की नाफ़रमानी की तुममें से कुछ तो तालिबे दुनिया हैं (कि माले ग़नीमत की तरफ़) से झुक पड़े और कुछ तालिबे आख़िरत (कि रसूल पर अपनी जान फ़िदा कर दी) फिर (बुज़दिलेपन ने) तुम्हें उन (कुफ्फ़ार) की की तरफ से फेर दिया (और तुम भाग खड़े हुए) उससे ख़ुदा को तुम्हारा (ईमान अख़लासी) आज़माना मंज़ूर था और (उसपर भी) ख़ुदा ने तुमसे दरगुज़र की और खुदा मोमिनीन पर बड़ा फ़ज़ल करने वाला है
'Idh Tuş`idūna Wa Lā Talwūna `Alá 'Aĥadin Wa Ar-Rasūlu Yad`ūkum Fī 'Ukhrākum Fa'athābakumGhammāan Bighammin Likaylā Taĥzanū `Alá Mā Fātakum Wa Lā Mā 'Aşābakum Wa ۗ Allāhu Khabīrun Bimā Ta`malūna
003-153 (मुसलमानों तुम) उस वक्त क़ो याद करके शर्माओ जब तुम (बदहवास) भागे पहाड़ पर चले जाते थे पस (चूंकि) रसूल को तुमने (आज़ारदा) किया ख़ुदा ने भी तुमको (इस) रंज की सज़ा में (शिकस्त का) रंज दिया ताकि जब कभी तुम्हारी कोई चीज़ हाथ से जाती रहे या कोई मुसीबत पड़े तो तुम रंज न करो और सब्र करना सीखो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है
Thumma 'Anzala `Alaykum Min Ba`di Al-Ghammi 'Amanatan Nu`āsāan Yaghshá Ţā'ifatan Minkum ۖ Wa Ţā'ifatunQad 'Ahammat/hum 'Anfusuhum Yažunnūna Billāhi Ghayra Al-Ĥaqqi Žanna Al-Jāhilīyati ۖ Yaqūlūna Hal Lanā Mina Al-'Amri MinShay'in ۗ Qul 'Inna Al-'Amra Kullahu Lillāh ۗ Yukhfūna Fī 'Anfusihim Mā Lā Yubdūna Laka ۖ Yaqūlūna Law Kāna Lanā Mina Al-'Amri Shay'un Mā Qutilnā Hāhunā ۗ Qul Law Kuntum Fī Buyūtikum Labaraza Al-Ladhīna Kutiba `Alayhimu Al-Qatlu 'Ilá Mađāji`ihim ۖ Wa Liyabtaliya Allāhu Mā Fī Şudūrikum Wa Liyumaĥĥişa Mā Fī Qulūbikum Wa ۗ Allāhu `Alīmun Bidhāti Aş-Şudūri
003-154 फिर ख़ुदा ने इस रंज के बाद तुमपर इत्मिनान की हालत तारी की कि तुममें से एक गिरोह का (जो सच्चे ईमानदार थे) ख़ूब गहरी नींद आ गयी और एक गिरोह जिनको उस वक्त भी (भागने की शर्म से) जान के लाले पड़े थे ख़ुदा के साथ (ख्वाह मख्वाह) ज़मानाए जिहालत की ऐसी बदगुमानियॉ करने लगे और कहने लगे भला क्या ये अम्र (फ़तेह) कुछ भी हमारे इख्तियार में है (ऐ रसूल) कह दो कि हर अम्र का इख्तियार ख़ुदा ही को है (ज़बान से तो कहते ही है नहीं) ये अपने दिलों में ऐसी बातें छिपाए हुए हैं जो तुमसे ज़ाहिर नहीं करते (अब सुनो) कहते हैं कि इस अम्र (फ़तेह) में हमारा कुछ इख़्तियार होता तो हम यहॉ मारे न जाते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि तुम अपने घरों में रहते तो जिन जिन की तकदीर में लड़के मर जाना लिखा था वह अपने (घरो से) निकल निकल के अपने मरने की जगह ज़रूर आ जाते और (ये इस वास्ते किया गया) ताकि जो कुछ तुम्हारे दिल में है उसका इम्तिहान कर दे और ख़ुदा तो दिलों के राज़ खूब जानता है
003-155 बेशक जिस दिन (जंगे औहद में) दो जमाअतें आपस में गुथ गयीं उस दिन जो लोग तुम (मुसलमानों) में से भाग खड़े हुए (उसकी वजह ये थी कि) उनके बाज़ गुनाहों (मुख़ालफ़ते रसूल) की वजह से शैतान ने बहका के उनके पॉव उखाड़ दिए और (उसी वक्त तो) ख़ुदा ने ज़रूर उनसे दरगुज़र की बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला बुर्दवार है
Yā 'Ayyuhā Al-Ladhīna 'Āmanū Lā Takūnū Kālladhīna Kafarū Wa Qālū Li'khwānihim 'Idhā Đarabū Fī Al-'Arđi 'Aw Kānū Ghuzzan Law Kānū `Indanā Mā Mātū Wa Mā Qutilū Liyaj`ala Allāhu Dhālika Ĥasratan Fī Qulūbihim Wa ۗ Allāhu Yuĥyī Wa Yumītu Wa ۗ Allāhu Bimā Ta`malūna Başīrun
003-156 ऐ ईमानदारों उन लोगों के ऐसे न बनो जो काफ़िर हो गए भाई बन्द उनके परदेस में निकले हैं या जेहाद करने गए हैं (और वहॉ) मर (गए) तो उनके बारे में कहने लगे कि वह हमारे पास रहते तो न मरते ओर न मारे जाते (और ये इस वजह से कहते हैं) ताकि ख़ुदा (इस ख्याल को) उनके दिलों में (बाइसे) हसरत बना दे और (यूं तो) ख़ुदा ही जिलाता और मारता है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है
Wa La'inQutiltum Fī Sabīli Allāhi 'Aw Muttum Lamaghfiratun Mina Allāhi Wa Raĥmatun Khayrun Mimmā Yajma`ūna
003-157 और अगर तुम ख़ुदा की राह में मारे जाओ या (अपनी मौत से) मर जाओ तो बेशक ख़ुदा की बख्शिश और रहमत इस (माल व दौलत) से जिसको तुम जमा करते हो ज़रूर बेहतर है
Fabimā Raĥmatin Mina Allāhi Linta Lahum ۖ Wa Law Kunta Fažžāan Ghalīža Al-Qalbi Lānfađđū Min Ĥawlika ۖ Fā`fu `Anhum Wa Astaghfir Lahum Wa Shāwirhum Fī Al-'Amri ۖ Fa'idhā `Azamta Fatawakkal `Alá Allāhi ۚ 'Inna Allāha Yuĥibbu Al-Mutawakkilīna
003-159 (तो ऐ रसूल ये भी) ख़ुदा की एक मेहरबानी है कि तुम (सा) नरमदिल (सरदार) उनको मिला और तुम अगर बदमिज़ाज और सख्त दिल होते तब तो ये लोग (ख़ुदा जाने कब के) तुम्हारे गिर्द से तितर बितर हो गए होते पस (अब भी) तुम उनसे दरगुज़र करो और उनके लिए मग़फेरत की दुआ मॉगो और (साबिक़ दस्तूरे ज़ाहिरा) उनसे काम काज में मशवरा कर लिया करो (मगर) इस पर भी जब किसी काम को ठान लो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो (क्योंकि जो लोग ख़ुदा पर भरोसा रखते हैं ख़ुदा उनको ज़रूर दोस्त रखता है
'In Yanşurkumu Allāhu Falā Ghāliba Lakum ۖ Wa 'In Yakhdhulkum FamanDhā Al-Ladhī Yanşurukum Min Ba`dihi ۗ Wa `Alá Allāhi Falyatawakkali Al-Mu'uminūna
003-160 (मुसलमानों याद रखो) अगर ख़ुदा ने तुम्हारी मदद की तो फिर कोई तुमपर ग़ालिब नहीं आ सकता और अगर ख़ुदा तुमको छोड़ दे तो फिर कौन ऐसा है जो उसके बाद तुम्हारी मदद को खड़ा हो और मोमिनीन को चाहिये कि ख़ुदा ही पर भरोसा रखें
Wa Mā Kāna Linabīyin 'An Yaghulla ۚ Wa Man Yaghlul Ya'ti Bimā Ghalla Yawma Al-Qiyāmati ۚ Thumma Tuwaffá Kullu Nafsin Mā Kasabat Wa Hum Lā Yužlamūna
003-161 और (तुम्हारा गुमान बिल्कुल ग़लत है) किसी नबी की (हरगिज़) ये शान नहीं कि ख्यानत करे और ख्यानत करेगा तो जो चीज़ ख्यानत की है क़यामत के दिन वही चीज़ (बिलकुल वैसा ही) ख़ुदा के सामने लाना होगा फिर हर शख्स अपने किए का पूरा पूरा बदला पाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी
'Afamani Attaba`a Riđwāna Allāhi Kaman Bā'a Bisakhaţin Mina Allāhi Wa Ma'wāhu Jahannamu ۚ Wa Bi'sa Al-Maşīru
003-162 भला जो शख्स ख़ुदा की ख़ुशनूदी का पाबन्द हो क्या वह उस शख्स के बराबर हो सकता है जो ख़ुदा के गज़ब में गिरफ्तार हो और जिसका ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरा ठिकाना है
Laqad Manna Allāhu `Alá Al-Mu'uminīna 'Idh Ba`atha FīhimRasūlāan Min 'Anfusihim Yatlū `Alayhim 'Āyātihi Wa Yuzakkīhim Wa Yu`allimuhumu Al-Kitāba Wa Al-Ĥikmata Wa 'In Kānū MinQablu Lafī Đalālin Mubīnin
003-164 ख़ुदा ने तो ईमानदारों पर बड़ा एहसान किया कि उनके वास्ते उन्हीं की क़ौम का एक रसूल भेजा जो उन्हें खुदा की आयतें पढ़ पढ़ के सुनाता है और उनकी तबीयत को पाकीज़ा करता है और उन्हें किताबे (ख़ुदा) और अक्ल की बातें सिखाता है अगरचे वह पहले खुली हुई गुमराही में पडे थे
'Awalammā 'Aşābatkum MuşībatunQad 'Aşabtum Mithlayhā Qultum 'Anná Hādhā ۖ Qul Huwa Min `Indi 'Anfusikum ۗ 'Inna Allāha `Alá Kulli Shay'inQadīrun
003-165 मुसलमानों क्या जब तुमपर (जंगे ओहद) में वह मुसीबत पड़ी जिसकी दूनी मुसीबत तुम (कुफ्फ़ार पर) डाल चुके थे तो (घबरा के) कहने लगे ये (आफ़त) कहॉ से आ गयी (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ये तो खुद तुम्हारी ही तरफ़ से है (न रसूल की मुख़ालेफ़त करते न सज़ा होती) बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
Wa Mā 'Aşābakum Yawma At-Taqá Al-Jam`āni Fabi'idhni Allāhi Wa Liya`lama Al-Mu'uminīna
003-166 और जिस दिन दो जमाअतें आपस में गुंथ गयीं उस दिन तुम पर जो मुसीबत पड़ी वह तुम्हारी शरारत की वजह से (ख़ुदा के इजाजत की वजह से आयी) और ताकि ख़ुदा सच्चे ईमान वालों को देख ले
003-167 और मुनाफ़िक़ों को देख ले (कि कौन है) और मुनाफ़िक़ों से कहा गया कि आओ ख़ुदा की राह में जेहाद करो या (ये न सही अपने दुशमन को) हटा दो तो कहने लगे (हाए क्या कहीं) अगर हम लड़ना जानते तो ज़रूर तुम्हारा साथ देते ये लोग उस दिन बनिस्बते ईमान के कुफ़्र के ज्यादा क़रीब थे अपने मुंह से वह बातें कह देते हैं जो उनके दिल में (ख़ाक) नहीं होतीं और जिसे वह छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है
Al-Ladhīna Qālū Li'khwānihim Wa Qa`adū Law 'Aţā`ūnā Mā Qutilū ۗ Qul Fādra'ū `An 'Anfusikumu Al-Mawta 'In KuntumŞādiqīna
003-168 (ये वही लोग हैं) जो (आप चैन से घरों में बैठे रहते है और अपने शहीद) भाईयों के बारे में कहने लगे काश हमारी पैरवी करते तो न मारे जाते (ऐ रसूल) उनसे कहो (अच्छा) अगर तुम सच्चे हो तो ज़रा अपनी जान से मौत को टाल दो
Wa Lā Taĥsabanna Al-Ladhīna Qutilū Fī Sabīli Allāhi 'Amwātāan ۚ Bal 'Aĥyā'un `Inda Rabbihim Yurzaqūna
003-169 और जो लोग ख़ुदा की राह में शहीद किए गए उन्हें हरगिज़ मुर्दा न समझना बल्कि वह लोग जीते जागते मौजूद हैं अपने परवरदिगार की तरफ़ से वह (तरह तरह की) रोज़ी पाते हैं
Fariĥīna Bimā 'Ātāhumu Allāhu Min Fađlihi Wa Yastabshirūna Bial-Ladhīna Lam Yalĥaqū Bihim Min Khalfihim 'Allā Khawfun `Alayhim Wa Lā Hum Yaĥzanūna
003-170 और ख़ुदा ने जो फ़ज़ल व करम उन पर किया है उसकी (ख़ुशी) से फूले नहीं समाते और जो लोग उनसे पीछे रह गए और उनमें आकर शामिल नहीं हुए उनकी निस्बत ये (ख्याल करके) ख़ुशियॉ मनाते हैं कि (ये भी शहीद हों तो) उनपर न किसी क़िस्म का ख़ौफ़ होगा और न आज़ुर्दा ख़ातिर होंगे
Al-Ladhīna Astajābū Lillāh Wa Ar-Rasūli Min Ba`di Mā 'Aşābahumu Al-Qarĥu ۚ Lilladhīna 'Aĥsanū Minhum Wa Attaqaw 'Ajrun `Ažīmun
003-172 निहाल हो रहे हैं (जंगे ओहद में) जिन लोगों ने जख्म खाने के बाद भी ख़ुदा और रसूल का कहना माना उनमें से जिन लोगों ने नेकी और परहेज़गारी की (सब के लिये नहीं सिर्फ) उनके लिये बड़ा सवाब है
Al-Ladhīna Qāla Lahumu An-Nāsu 'Inna An-Nāsa Qad Jama`ū Lakum Fākhshawhum Fazādahum 'Īmānāan Wa Qālū Ĥasbunā Al-Lahu Wa Ni`ma Al-Wakīlu
003-173 यह वह हैं कि जब उनसे लोगों ने आकर कहना शुरू किया कि (दुशमन) लोगों ने तुम्हारे (मुक़ाबले के) वास्ते (बड़ा लश्कर) जमा किया है पस उनसे डरते (तो बजाए ख़ौफ़ के) उनका ईमान और ज्यादा हो गया और कहने लगे (होगा भी) ख़ुदा हमारे वास्ते काफ़ी है
Fānqalabū Bini`matin Mina Allāhi Wa Fađlin Lam Yamsas/hum Sū'un Wa Attaba`ū Riđwāna Allāhi Wa ۗ Allāhu Dhū Fađlin `Ažīmin
003-174 और वह क्या अच्छा कारसाज़ है फिर (या तो हिम्मत करके गए मगर जब लड़ाई न हुई तो) ये लोग ख़ुदा की नेअमत और फ़ज़ल के साथ (अपने घर) वापस आए और उन्हें कोई बुराई छू भी नहीं गयी और ख़ुदा की ख़ुशनूदी के पाबन्द रहे और ख़ुदा बड़ा फ़ज़ल करने वाला है
003-175 यह (मुख्बिर) बस शैतान था जो सिर्फ़ अपने दोस्तों को (रसूल का साथ देने से) डराता है पस तुम उनसे तो डरो नहीं अगर सच्चे मोमिन हो तो मुझ ही से डरते रहो
Wa Lā Yaĥzunka Al-Ladhīna Yusāri`ūna Fī Al-Kufri ۚ 'Innahum Lan Yađurrū Allaha Shay'āan ۗ Yurīdu Allāhu 'Allā Yaj`ala Lahum Ĥažžāan Fī Al-'Ākhirati ۖ Wa Lahum `Adhābun `Ažīmun
003-176 और (ऐ रसूल) जो लोग कुफ़्र की (मदद) में पेश क़दमी कर जाते हैं उनकी वजह से तुम रन्ज न करो क्योंकि ये लोग ख़ुदा को कुछ ज़रर नहीं पहुँचा सकते (बल्कि) ख़ुदा तो ये चाहता है कि आख़ेरत में उनका हिस्सा न क़रार दे और उनके लिए बड़ा (सख्त) अज़ाब है
Wa Lā Yaĥsabanna Al-Ladhīna Kafarū 'Annamā Numlī LahumKhayrun Li'anfusihim ۚ 'Innamā Numlī Lahum Liyazdādū 'Ithmāan ۚ Wa Lahum `Adhābun Muhīnun
003-178 और जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तियार किया वह हरगिज़ ये न ख्याल करें कि हमने जो उनको मोहलत व बेफिक्री दे रखी है वह उनके हक़ में बेहतर है (हालॉकि) हमने मोहल्लत व बेफिक्री सिर्फ इस वजह से दी है ताकि वह और ख़ूब गुनाह कर लें और (आख़िर तो) उनके लिए रूसवा करने वाला अज़ाब है
Mā Kāna Allāhu Liyadhara Al-Mu'uminīna `Alá Mā 'Antum `Alayhi Ĥattá Yamīza Al-Khabītha Mina Aţ-Ţayyibi ۗ Wa Mā Kāna Allāhu Liyuţli`akum `Alá Al-Ghaybi Wa Lakinna Allāha Yajtabī MinRusulihi Man Yashā'u ۖ Fa'āminū Billāhi Wa Rusulihi ۚ Wa 'In Tu'uminū Wa Tattaqū Falakum 'Ajrun `Ažīmun
003-179 (मुनाफ़िक़ो) ख़ुदा ऐसा नहीं कि बुरे भले की तमीज़ किए बगैर जिस हालत पर तुम हो उसी हालत पर मोमिनों को भी छोड़ दे और ख़ुदा ऐसा भी नहीं है कि तुम्हें गैब की बातें बता दे मगर (हॉ) ख़ुदा अपने रसूलों में जिसे चाहता है (गैब बताने के वास्ते) चुन लेता है पस ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और अगर तुम ईमान लाओगे और परहेज़गारी करोगे तो तुम्हारे वास्ते बड़ी जज़ाए ख़ैर है
Wa Lā Yaĥsabanna Al-Ladhīna Yabkhalūna Bimā 'Ātāhumu Allāhu Min Fađlihi Huwa Khayrāan Lahum ۖ Bal Huwa Sharrun Lahum ۖ Sayuţawwaqūna Mā Bakhilū Bihi Yawma Al-Qiyāmati ۗ Wa Lillāh Mīrāthu As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Wa ۗ Allāhu Bimā Ta`malūna Khabīrun
003-180 और जिन लोगों को ख़ुदा ने अपने फ़ज़ल (व करम) से कुछ दिया है (और फिर) बुख्ल करते हैं वह हरगिज़ इस ख्याल में न रहें कि ये उनके लिए (कुछ) बेहतर होगा बल्कि ये उनके हक़ में बदतर है क्योंकि जिस (माल) का बुख्ल करते हैं अनक़रीब ही क़यामत के दिन उसका तौक़ बनाकर उनके गले में पहनाया जाएगा और सारे आसमान व ज़मीन की मीरास ख़ुदा ही की है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है
Laqad Sami`a Allāhu Qawla Al-Ladhīna Qālū 'Inna Allāha Faqīrun Wa Naĥnu 'Aghniyā'u ۘ Sanaktubu Mā Qālū Wa Qatlahumu Al-'Anbiyā'a Bighayri Ĥaqqin Wa Naqūlu Dhūqū `Adhāba Al-Ĥarīqi
003-181 जो लोग (यहूद) ये कहते हैं कि ख़ुदा तो कंगाल है और हम बड़े मालदार हैं ख़ुदा ने उनकी ये बकवास सुनी उन लोगों ने जो कुछ किया उसको और उनका पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करना हम अभी से लिख लेते हैं और (आज तो जो जी में कहें मगर क़यामत के दिन) हम कहेंगे कि अच्छा तो लो (अपनी शरारत के एवज़ में) जलाने वाले अज़ाब का मज़ा चखो
003-183 (यह वही लोग हैं) जो कहते हैं कि ख़ुदा ने तो हमसे वायदा किया है कि जब तक कोई रसूल हमें ये (मौजिज़ा) न दिखा दे कि वह कुरबानी करे और उसको (आसमानी) आग आकर चट कर जाए उस वक्त तक हम ईमान न लाएंगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (भला) ये तो बताओ बहुतेरे पैग़म्बर मुझसे क़ब्ल तुम्हारे पास वाजे व रौशन मौजिज़ात और जिस चीज़ की तुमने (उस वक्त) फ़रमाइश की है (वह भी) लेकर आए फिर तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे तो तुमने क्यों क़त्ल किया
Fa'in Kadhdhabūka Faqad Kudhdhiba Rusulun MinQablika Jā'ū Bil-Bayyināti Wa Az-Zuburi Wa Al-Kitābi Al-Munīri
003-184 (ऐ रसूल) अगर वह इस पर भी तुम्हें झुठलाएं तो (तुम आज़ुर्दा न हो क्योंकि) तुमसे पहले भी बहुत से पैग़म्बर रौशन मौजिज़े और सहीफे और नूरानी किताब लेकर आ चुके हैं (मगर) फिर भी लोगों ने आख़िर झुठला ही छोड़ा
Kullu NafsinDhā'iqatu Al-Mawti ۗ Wa 'Innamā Tuwaffawna 'Ujūrakum Yawma Al-Qiyāmati ۖ Faman Zuĥziĥa `Ani An-Nāri Wa 'Udkhila Al-Jannata Faqad Fāza ۗ Wa Mā Al-Ĥayāatu Ad-Dunyā 'Illā Matā`u Al-Ghurūri
003-185 हर जान एक न एक (दिन) मौत का मज़ा चखेगी और तुम लोग क़यामत के दिन (अपने किए का) पूरा पूरा बदला भर पाओगे पस जो शख्स जहन्नुम से हटा दिया गया और बहिश्त में पहुंचा दिया गया पस वही कामयाब हुआ और दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी धोखे की टट्टी के सिवा कुछ नहीं
Latublawunna Fī 'Amwālikum Wa 'Anfusikum Wa Latasma`unna Mina Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba MinQablikum Wa Mina Al-Ladhīna 'Ashrakū 'Adhan Kathīrāan ۚ Wa 'In Taşbirū Wa Tattaqū Fa'inna Dhālika Min `Azmi Al-'Umūri
003-186 (मुसलमानों) तुम्हारे मालों और जानों का तुमसे ज़रूर इम्तेहान लिया जाएगा और जिन लोगो को तुम से पहले किताबे ख़ुदा दी जा चुकी है (यहूद व नसारा) उनसे और मुशरेकीन से बहुत ही दुख दर्द की बातें तुम्हें ज़रूर सुननी पड़ेंगी और अगर तुम (उन मुसीबतों को) झेल जाओगे और परहेज़गारी करते रहोगे तो बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है
Wa 'Idh 'Akhadha Allāhu Mīthāqa Al-Ladhīna 'Ūtū Al-Kitāba Latubayyinunnahu Lilnnāsi Wa Lā Taktumūnahu Fanabadhūhu Warā'a Žuhūrihim Wa Ashtaraw Bihi ThamanāanQalīlāan ۖ Fabi'sa Mā Yashtarūna
003-187 और (ऐ रसूल) इनको वह वक्त तो याद दिलाओ जब ख़ुदा ने अहले किताब से एहद व पैमान लिया था कि तुम किताबे ख़ुदा को साफ़ साफ़ बयान कर देना और (ख़बरदार) उसकी कोई बात छुपाना नहीं मगर इन लोगों ने (ज़रा भी ख्याल न किया) और उनको पसे पुश्त फेंक दिया और उसके बदले में (बस) थोड़ी सी क़ीमत हासिल कर ली पस ये क्या ही बुरा (सौदा) है जो ये लोग ख़रीद रहे हैं
Lā Taĥsabanna Al-Ladhīna Yafraĥūna Bimā 'Ataw Wa Yuĥibbūna 'An Yuĥmadū Bimā Lam Yaf`alū Falā Taĥsabannahum Bimafāzatin Mina Al-`Adhābi ۖ Wa Lahum `Adhābun 'Alīmun
003-188 (ऐ रसूल) तुम उन्हें ख्याल में भी न लाना जो अपनी कारस्तानी पर इतराए जाते हैं और किया कराया ख़ाक नहीं (मगर) तारीफ़ के ख़ास्तगार (चाहते) हैं पस तुम हरगिज़ ये ख्याल न करना कि इनको अज़ाब से छुटकारा है बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
Al-Ladhīna Yadhkurūna Allāha Qiyāmāan Wa Qu`ūdāan Wa `Alá Junūbihim Wa Yatafakkarūna Fī Khalqi As-Samāwāti Wa Al-'Arđi Rabbanā Mā Khalaqta Hādhā Bāţilāan Subĥānaka Faqinā `Adhāba An-Nāri
003-191 जो लोग उठते बैठते करवट लेते (अलगरज़ हर हाल में) ख़ुदा का ज़िक्र करते हैं और आसमानों और ज़मीन की बनावट में ग़ौर व फ़िक्र करते हैं और (बेसाख्ता) कह उठते हैं कि ख़ुदावन्दा तूने इसको बेकार पैदा नहीं किया तू (फेले अबस से) पाक व पाकीज़ा है बस हमको दोज़क के अज़ाब से बचा
003-193 ऐ हमारे पालने वाले (जब) हमने एक आवाज़ लगाने वाले (पैग़म्बर) को सुना कि वह (ईमान के वास्ते यूं पुकारता था) कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ तो हम ईमान लाए पस ऐ हमारे पालने वाले हमें हमारे गुनाह बख्श दे और हमारी बुराईयों को हमसे दूर करे दे और हमें नेकों के साथ (दुनिया से) उठा ले
Fāstajāba LahumRabbuhum 'Annī Lā 'Uđī`u `Amala `Āmilin Minkum MinDhakarin 'Aw 'Unthá ۖ Ba`đukum Min Ba`đin ۖ Fa-Al-Ladhīna Hājarū Wa 'Ukhrijū Min Diyārihim Wa 'Ūdhū Fī Sabīlī Wa Qātalū Wa Qutilū La'ukaffiranna `Anhum Sayyi'ātihim Wa La'udkhilannahum Jannātin Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruThawābāan Min `Indi Allāhi Wa ۗ Allāhu `Indahu Ĥusnu Ath-Thawābi
003-195 तो उनके परवरदिगार ने दुआ कुबूल कर ली और (फ़रमाया) कि हम तुममें से किसी काम करने वाले के काम को अकारत नहीं करते मर्द हो या औरत (उस में कुछ किसी की खुसूसियत नहीं क्योंकि) तुम एक दूसरे (की जिन्स) से हो जो लोग (हमारे लिए वतन आवारा हुए) और शहर बदर किए गए और उन्होंने हमारी राह में अज़ीयतें उठायीं और (कुफ्फ़र से) जंग की और शहीद हुए मैं उनकी बुराईयों से ज़रूर दरगुज़र करूंगा और उन्हें बेहिश्त के उन बाग़ों में ले जाऊॅगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं ख़ुदा के यहॉ ये उनके किये का बदला है और ख़ुदा (ऐसा ही है कि उस) के यहॉ तो अच्छा ही बदला है
Lakini Al-Ladhīna Attaqaw Rabbahum Lahum Jannātun Tajrī Min Taĥtihā Al-'AnhāruKhālidīna Fīhā Nuzulāan Min `Indi Allāhi ۗ Wa Mā `Inda Allāhi Khayrun Lil'abrāri
003-198 मगर जिन लोगों ने अपने परवरदिगार की परहेज़गारी (इख्तेयार की उनके लिए बेहिश्त के) वह बाग़ात हैं जिनके नीचे नहरें जारीं हैं और वह हमेशा उसी में रहेंगे ये ख़ुदा की तरफ़ से उनकी (दावत है और जो साज़ो सामान) ख़ुदा के यहॉ है वह नेको कारों के वास्ते दुनिया से कहीं बेहतर है
Wa 'Inna Min 'Ahli Al-Kitābi Laman Yu'uminu Billāhi Wa Mā 'Unzila 'Ilaykum Wa Mā 'Unzila 'IlayhimKhāshi`īna Lillāh Lā Yashtarūna Bi'āyāti Allāhi ThamanāanQalīlāan ۗ 'Ūlā'ika Lahum 'Ajruhum `Inda Rabbihim ۗ 'Inna Allāha Sarī`u Al-Ĥisābi
003-199 और अहले किताब में से कुछ लोग तो ऐसे ज़रूर हैं जो ख़ुदा पर और जो (किताब) तुम पर नाज़िल हुई और जो (किताब) उनपर नाज़िल हुई (सब पर) ईमान रखते हैं ख़ुदा के आगे सर झुकाए हुए हैं और ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फ़ायदे) नहीं लेते ऐसे ही लोगों के वास्ते उनके परवरदिगार के यहॉ अच्छा बदला है बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब करने वाला है